लखनऊ/ आगरा (मानवी मीडिया)1 अप्रैल शनिवार उत्तर प्रदेश की सरकार बाहरी उद्योग पत्तीयो को तो प्रदेश मे उद्योग स्थापित करना के लिए तरह तरह की लुभावनी घोषणाऐ करती है लाखो करोड के समझौते होते है लेकिन घरातल पर भ्रष्टाचार का बोल बाला है वैसे तो उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन मे भ्रष्टाचार सर चढ कर बोलता है लखनऊ मे ही अर्थिक अपराध शाखा द्वारा नामजद अभियुक्त को G20 जैसे कामो की जिम्मेदारी देरखी गयी होगी तो बाकी के कहने क्या , लेकिन दक्षिणाचल मे तो यह पूरी तरह से यह बेकाबू हो नंगानाच कर रहा है ।
तो मामला शुरू होता है 22 मार्च को आगरा के एक उद्योगपति अशोक यादव का जिन्होने अपने क्षेत्र एक शीतग्रह खोला जो कि एक ग्रामीण क्षेत्र मे था । कोल्ड स्टोरेज यानि शीतगृह मे किसानो की उपज को सुरक्षित रखने का उद्योग चलाता है इस शीतगृह को चलाने के लिए 200 के वी का कनेक्शन विद्युत विभाग से निर्गित हुए ग्रामीण क्षेत्र होने की वजह से पोषक फीडर भी ग्रामीण था परन्तु उनसे हर महीने बिजली का ग्रामीण टेरिफ की जगह शहरी टैरिफ के हिसाब से लिया जाता रहा और बिल भी जमा होता रहा लेकिन 2014 मे इस शीतगृह के मालाक अशोक यादव को पता चला कि वो विभाग को ज्यादा पैसा जमा कर रहे है और विभाग इनकी अज्ञानता को जानते बूझते उनको चूना लगा रहे है तो शुरू हुई दौड वापस अपनी धनराशी पाने की और *अपना बिल ठीक कराने की इस बिल मे मुख्य रूप से चार गडबडिया है जिनको ठीक करने के लिए वो विभाग से गुहार लगा रहे है*
1 *ग्रामीण टेरिफ रिबेट*
2 *लोड फैक्टर रिबेट*
3 *प्रो पेमेंट रिबेट*
4 *सिक्योरिटी इंटरेस्ट एंड एडवांस पेमेंट इंटरेस्ट*
अब शुरू होती है दौड विभाग के चक्कर लगाने की परन्तु कोई सुनवाई नही कई बार प्रबंधनिदेशक से गुहार लगाई जिससे प्रबन्धनिदेशक महोदय इतना गुस्सा हो गये कि बोल पडे कि अपना चेहरा मुझे ना दिखाया करो मेरा पूरा दिन खराब होता है परन्तु सुनवाई फिर भी नही हुई नतीजा मामला वही का वही फिर एक बार पूरा परिवार भूख हडताल पर बैठा उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन मे अवैधरूप से नियुक्त बडका बाबू जो कि आज कल केन्द्रीय ऊर्जा विभाग के सर्वेश्वर बने बैठे है उनकी नजर इस भूख हडताल पर पडी और बडकऊ ने तत्कालीन प्रबन्धनिदेशक जो कि उस समय एक चयनित अभियन्ता थे को बिल ठीक करने का आदेश दिया लेकिन बडकऊ लखनऊ वापस आ गये परन्तु बिल ना ठीक होना था ना हुआ फिर 2021 एक अधिषाशी अभियन्ता ने इस बात को समझा लेकिन अपनी मजबूरी जाहिर करते हुए उतने ही समय का बिल ठीक किया है जितना उसका कार्यकाल था लेकिन इसमे भी सिर्फ शहरी टैरिफ की जगह ग्रामीण टैरिफ ही बदला गया बाकी समस्याए जस की तस प्रबन्धनिदेशक बदले और अवैध रूप से विराजमान बडकऊ ने गद्दी पकड ली । फिर से इन अवैधरूप से बैठे बडकऊ से इस समस्या का समाधान करने की गुहार उपभोक्ता ने लगाई परन्तु इन साहब ने तो स्पष्ट मना कर दिया और बोलने लगे कि इससे विभाग को नुकसान होगा । वैसे इस जगह अगर उल्टा होता कि उपभोक्ता को ग्रामीण टेरिफ की जगह शहरी टैरिफ लगता और इनकी बिलिग ग्रामीण होती तो और उपभोक्ता से विभाग को पैसा लेना होता तो अब तक तो कई बार कुर्की की नोटिस चस्पा हो जाती है खैर अब तो खुले आम उपभोक्ता का प्रमाणित उत्पीड़न हो रहा वो चीख चकर कह रहा है कि उससे कुल बिल का 25% रिश्वत मे दो वर्ना ऐसे ही परेशान होते रहो वैसे भी अभी उपभोक्ता द्वारा आत्मदाह की घोषणा की गयी थी और उसी क्रम मे यह जनाब लखनऊ आ कर सबसे बडे वाले बडकाऊ से मिलने की कोशिश करते है तो पुलिस इनको पकड लेती है और फिर बडका बाबू के स्टाफ अफिसर इनकी समस्याओ को सुनते है और मामला प्रबन्धनिदेशक उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के सम्मुख भी आ जाता है और एक हफते मे सब समस्याओ का निस्तारण करने के वचन पर जनाब मान जाते है पुलिस अपनी हिरासत मे ले कर आगरा चली जाती है लेकिन इसी बीच एक और फोन आता है और उपभोक्ता को 84 लाख का बिल थमा दिया जाता है जिसकी वजह से उपभोक्त के सीने मे दर्द होता है और वो पहुच जाता है अस्पताल। खबर लिखते समय तक उक्त उपभोक्ता अस्पताल मे भर्ती था अब देखना है कि बिल ठीक होता है या उपभोक्ता । वैसे चले थे जनाब भ्रष्टाचार मिटाने विभाग ने इनको ही मिटाने का फैसला कर लिया बोले भरो अब 84 लाख वैसे बिल तो भरना पडेगा भले अब सब कुछ बिक ही जाऐ । खैर
*युद्ध अभी शेष है*
अविजित आनन्द