*तो खबर यह है कि उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन मे अवैध रूप से तैनात कृषि विशेषज्ञ विद्युत विभाग मे अनुभवहीन बडकऊ के आस-पास मडराने वाले और अपने आप को बडकऊ के खास बताने वाले व पूर्व ऊर्जा मंत्री के मुँह लगे व उत्तर प्रदेश पावर आफिसर्स एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष महोदय ने एक प्रान्तीय सम्मेलन किया* ।
अब पाठकगण पूछेगे कि *सम्मेलन आयोजित किया तो इसमे उत्तर प्रदेश सरकार, आदर्श चुनाव आचार सहिता और उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी नियमावली व संघो की मान्यता की नियमावली सभी का उल्लंघन कैसे हो गया*
तो जवाब है कि *तो 9 अप्रैल से ही सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश मे निकाय चुनाव की घोषणा होते ही आदर्श चुनाव आचार सहिता लागू हो गयी और जो संगठन है वो उत्तर प्रदेश पावर आफिसर्स एसोसिएशन जो कि अनुसूचित जाति/ जनजातीय व पिछडा वर्ग का एक प्रमुख संगठन है जिसे हम नही कह रहे इनकी सभागार मे लगी होल्डिंग कह रही है वैसे तो विभाग मे चर्चा तो यह हुआ आदर्श चुनाव आचार सहिता का उल्लंघन, दूसरा इन्होने क्षेत्रीय थाने व जिला प्रशासन को कोई सूचना नही दी* *जिसके बारे मे इलाकाई थाने पर ना तो कोई प्रार्थनापत्र मिला और ना ही क्षेत्रीय थाने को इसका संज्ञान ही था इस सम्मेलन करने से पूर्व एक और महत्वपूर्ण कागज लापता था वो था अनापत्ति प्रमाणपत्र अग्नि शमन विभाग का इसके अतिरिक्त एक आश्चर्यजनक बात और दिखाई दी जिसमे इस संगठन का रजिस्ट्रेशन नम्बर भी इनके सभागार मे प्रदर्शित होल्डिंग से लापता मिला व एक विशेष बात भी लिखी मिली कि यह संगठन अनुसूचित जाती/ अनुसूचित जनजाती व अन्य पिछडा वर्ग का शीर्ष संगठन है यह प्रमुखता से लिखा है जो कि मान्यता प्राप्त सेवा संघो की मान्यता नियमावली 1979 के नियम* *4 (ड) के अनुसार सेवा संघ कोई ऐसा कार्य न करेगा और कोई न ऐसा कार्य करने मे सहायता देगा , जिसको यदि किसी सेवक द्वारा किया जाए तो उत्तर प्रदेश सरकारी सेवा आचरण नियमावली 1956 के किसी उपबन्ध का उल्लंघन होगा*
*संघो को मान्यता देने की नियमावली की शर्तो*
*नियम 5( घ) संघ किसी धर्म मूलवंश, जाति या सम्प्रदाय के या ऐसे धर्म मूलवंश , जाति या सम्प्रदाय के भीतर किसी वर्ग या पंथ आधार पर ना बनाया गया हो*
*5(ड ) के अनुसार कोई ऐसे व्यक्ति जो कार्यरत सरकारी सेवक न हो ,संघ के कार्कयलापो सम्बद्ध न हो*
वैसे नियमावली तो बहुत बडी है कुछ मुख्य नियम पाठको के सामने रखे है वैसे तो नियमो की घज्जिया उडाना तो कोई उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन मे अवैध रूप से तैनात बडका बाबूओ से सीख सकता है
*वैसे विभागीय चर्चा है कि बडकऊ के खासमखास सर्विस एसोसिएशन का पदाधिकारी कोई भी बाहरी व्यक्ति या विभागीय सेवानिवृत्त व्यक्ति भी नही हो सकता तो कैसे तो र्कायकारी अध्यक्ष बन गये यह महोदय और कैसे बन गया यह संगठन जब कि किसी भी विभाग मे एक सवर्ग का एक ही संगठन हो सकता है उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन मे मुख्यता तीन सवर्ग है पहला अभियन्ताओ का स्वर्ग जिसे जिसे अभियन्ता संघ कहते है जिसमे सारे अभिन्ता जुडे है*।
*इसी तरह कार्मिक अधिकारियो का एक सवर्ग अलग है जिसमे कार्मिक अधिकारी जुडे है और उसी तरह लेखा अधिकारियो का भी अपना अलग सवर्ग है जिसका अपना एक अलग संगठन है वो उसमे जुडे है तो फिर यह कौन से अधिकारीयो का सवर्ग है ? जिन अधिकारियो का वह कौन है सा वर्ग है कार्मिक वर्ग या लेखा वर्ग ,अभियन्ता वर्ग यह सवर्ग है तो फिर विभाग मे यह किस सवर्ग के आफिसर्स है यह दूसरी आफिसर्स एसोसिएशन कैसे बन गयी और इसको कहाँ से मान्यता मिल गयी *? *वैसे नियमावली यह कहती है विभागीय एसोसियेशन मे कोई भी बाहरी या विभागीय सेवा निवृत्त अधिकारी किसी भी पद पर नही बैठ सकता* फिर यह यह जनाब किन नियमो के अन्तर्गत बैठे है दूसरा यह कि विभागीय कोई भी कार्यक्रम करने से पहले विभाग को यानि उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन को व सम्बन्धित डिस्कॉम को सूचित करना होता है परन्तु यहाँ तो वन मैन शो है सारे नियम कानून ताक पर रख कर अधिवेशन ही नही चुनाव भी करा दिया गया अब इसे क्या कहेगे कि यह संगठन / एसोसिएशन अपने को सारे नियम कानून से परे समझती है इनके पदाधिकारियो ने अपने जो पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम मे तैनात थे अधिकांश ने तो छुट्टी नही ली और जो मध्यांचल मे तैनात है उन्होने छुट्टी ली परन्तु उसका कारण नही बताया नियमानुसार अगर कोई व्यक्ति जो किसी संगठन से जुडा है और उसके किसी कार्यक्रम मे भाग लेता है तो उसे अपने विभाग को सूचित किया जाता है परन्तु यहाँ तो नियमो को कौन पूछे वैसे बिना सूचना के छुट्टी पर जाना या बिना छुट्टी लिए इस तरह के सम्मेलन मे भाग लेना एक गम्भीर मामला है इस पर बडकऊ को ध्यान दे कर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।*
वैसे इन सब नियमावलियो को पढने के बाद उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन की स्थिती पर एक शेर याद आता है *कि चश्मदीद अंधा बना बहरा सुने दलील,झूठों का है दबदबा,सच्चे हुए ज़लील* । खैर
*युद्ध अभी शेष है*
*अविजित आनन्द