लखनऊ (मानवी मीडिया) आउट ऑफ स्कूल बच्चों का परिषदीय स्कूलों में नामांकन कराने और उनकी अधिक से अधिक उपस्थिति दर्ज कराने के लिए नीदरलैंड का अर्ली वार्निंग सिस्टम प्रदेश में भी लागू किया जाएगा।
इसके लिए विशेष चर्चा को लेकर बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह के नेतृत्व में 12 सदस्यीय टीम शैक्षिक भ्रमण पर नीदरलैंड पहुंच गई है।
गुरुवार को बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने अपने अधिकारिक ट्वीटर हैंडिल से इसकी जानकारी देते हुए बताया पहले दिन विचार मंथन सत्र में सभी अधिकारियों ने भाग लेते हुए इस बात पर विस्तार से चर्चा की गई कि उन बच्चों की पहचान कैसे की जाये जो स्कूल छोड़ने को तैयार हैं।
इससे पहले बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने नीदरलैंड के शिक्षा मंत्री रॉबर्ट डीग्राफ से मुलाकात की। इस दौरान शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के विभिन्न आयामों पर विचार विमर्श हुआ।
शिक्षामंत्री ने अपने नीदरलैंड दौरे के दौरान वहां की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर साझा किया है। बता दें कि इससे पहले बेसिक शिक्षा विभाग के सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य में 2020-21 में लगभग 4.81 लाख बच्चे स्कूल से बाहर पाए गए थे।
यह आंकड़ा 2021-22 में 4 लाख और 2022-23 में 3.30 लाख से ज्यादा था। स्कूली शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद का कहना था कि प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की तर्ज पर अनुपस्थित बच्चों-स्कूल न जाने वाले बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने का विशेष प्रयास किया जाएगा। बता दें कि नीदरलैंडल में बेसिक शिक्षा मंत्री के शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी डॉ पवन सचान, श्याम किशोर तिवारी, गणेश कुमार व दो शिक्षकों सहित कुल 12 लोगों की टीम है।
बच्चों को स्कूल छोड़ने से रोकने की पहल
इस मॉडल से राज्य को स्कूल छोड़ने वालों बच्चों को फिर से नामांकित करने में मदद मिलने की संभावना है। बच्चों को स्कूल छोड़ने से रोकने के लिए नीदरलैंड ने एक शुरुआती चेतावनी प्रणाली विकसित की है। प्रणाली के तहत एक बच्चे को अधिकारियों द्वारा ट्रैक किया जाता है यदि वह 40 दिनों से अधिक समय तक स्कूल से अनुपस्थित रहता है। फिर माता-पिता से संपर्क किया जाता है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि बच्चा किसी तरह से स्कूल आकर पढ़ना शुरू कर दे।
यूपी में भी लागू करने की तैयारी
नीदरलैंड मॉडल को जल्द ही उत्तर प्रदेश में भी लागू किया जा सकता है ताकि स्कूल छोड़ने वालों की संख्या में कमी लाई जा सके। इस मॉडल के तहत माता-पिता को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न जागरूकता अभियान चलाने की भी योजना है। इस साल के अंत तक इस सिस्टम के लागू होने की उम्मीद है।
निपुण भारत मिशन को भी पूरा कर रहा बेसिक शिक्षा परिषद
प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में भी कई तकनीकी की मदद से पढ़ाई कराई जा रही है। निपुण प्रदेश बनाने के लिए रखे गए लक्ष्य से पहले ही सफलता हासिल करने की दृढ़ संकल्प लिया गया है। परिषदीय स्कूलों के छात्रों को स्मार्ट क्लास रूम में शिक्षा दी जा रही है। प्रदेश में पिछले चार सालों में छात्रों की संख्या में कई गुना इजाफा हुआ है। नीदरलैंड की शिक्षा प्रणाली को समझ कर जिले में भी अपनाया जाएगा।