अदालत ने कहा कि धन के समान वितरण को हासिल करने का प्रयास कर भारत के लोगों के लिए सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए संविधान के ‘प्रस्तावना के वादे’ को प्राप्त करने में भ्रष्टाचार एक प्रमुख बाधा है।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ राज्य के पूर्व प्रिंसिपल सेक्रेटरी अमन सिंह और उनकी पत्नी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में दर्ज FIR को रद्द कर दिया गया था। इस दौरान उन्होंने आदेश को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की।
पीठ ने कहा कि भ्रष्टाचार एक ऐसी बीमारी है, जिसकी उपस्थिति जीवन के हर क्षेत्र में व्याप्त है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह पूरे समुदाय के लिए शर्म की बात है कि हमारे संविधान निर्माताओं के मन में जो ऊंचे आदर्श थे, उनका पालन करने में लगातार गिरावट आ रही है और समाज में नैतिक मूल्यों को तेजी से गिराया जा रहा है।
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में हिंदू धर्म का भी उल्लेख किया। कहा, ‘भ्रष्टाचार की जड़ का पता लगाने के लिए अधिक बहस की आवश्यकता नहीं है। हिंदू धर्म में सात पापों में से एक माना जाने वाला ‘लालच’ अपने प्रभाव में प्रबल रहा है। वास्तव में, धन के लिए अतृप्त लालच ने भ्रष्टाचार को कैंसर की तरह विकसित करने में मदद की है।