नई दिल्ली (मानवी मीडिया)-कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को सूरत की अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद अगर ऊपरी न्यायालयों द्वारा उनकी सजा का निलंबन नहीं किया जाता है, तो उन्हें एक सांसद के रूप में अयोग्यता का सामना करना पड़ सकता है और वह चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत अगर किसी को दो साल या उससे अधिक के कारावास की सजा सुनाई जाती है, तो वह व्यक्ति कारावास की अवधि और छह साल की अवधि के लिए अयोग्य हो जाता है। लेकिन, अधिनियम में मौजूदा सदस्यों के लिए एक अपवाद है। उन्हें अपील करने के लिए सजा की तारीख से तीन महीने की अवधि प्रदान की गई है और अपात्रता तब तक लागू नहीं होगी जब तक कि अपील का फैसला नहीं हो जाता। गौरतलब है कि गुरुवार को गुजरात में सूरत की एक जिला अदालत ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को 2019 में उनकी ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी को लेकर उनको मानहानि का दोषी ठहराया है।
पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एसडी संजय ने बताया कि मोदी सरनेम पर आपत्तिजनक टिप्पणी मामले में सूरत के सेशन कोर्ट ने राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई है। उन्होंने बताया कि 2 साल की सजा अगर अपील में भी स्टे नही होती है तो वायनाड से लोकसभा सांसद राहुल गांधी की सदस्यता भी 6 साल के लिए जा सकती है। गौरतलब है कि सूरत सेशन कोर्ट ने राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाने के बाद तुरंत उनकी तरफ से दायर की गई जमानत याचिका को भी स्वीकार कर लिया। इसके अलावा कोर्ट ने अपने ही सेंटेंस पर राहुल गांधी को अपील करने के लिए 30 दिन की राहत भी दे दी है। इस पर सुशील मोदी द्वारा राहुल गांधी पर दायर किए गए मानहानि के मामले को देख रहे अधिवक्ता एसडी संजय ने बताया कि राहुल गांधी को इसी मामले में 12 अप्रैल 2023 को पटना के एमपी एमएलए में भी पेश होना है।