लखनऊ (मानवी मीडिया) लखनऊ के संभागीय परिवहन कार्यालय में बिना परीक्षा व टेस्ट ड्राइविंग दिये हर महीने पांच हजार लोग ड्राइविंग लाइसेंस धारक बन जा रहे हैं। इस खेल का मामला प्रकाश में आने के बाद आरटीओ कार्यालय के कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।
जब ऐसे बनेगा ड्राइविंग लाइसेंस तो सड़क दुर्घटनाएं कैसे रुकेगी। डीएल बनवाने वालों को ट्रैफिक नियमों की जानकारी तक नहीं है फिर भी डीएल बनवाकर तेज रफ्तार से हाईवे पर फर्राटा भर रहे हैं।
राजधानी के पब्लिक ट्रांसपोर्ट कार्यालय का हाल यह है कि एक महीने में पांच हजार ड्राइविंग लाइसेंस तो बन रहे हैं लेकिन 200 लोगों का भी न तो परीक्षा लिया जाता है ना ही ड्राइविंग टेस्ट। ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक पर आरआई की कुर्सी खाली पड़ी रहती है,दूर दूर तक कोई आवेदक टेस्ट देते नजर नहीं आता है। आवेदकों का बायोमेट्रिक कराकर डीएल सीधे उनके घर भेज दिया जाता है ।
लंबे समय से चल रहा है फेल को पास करने का खेल
आरटीओ में सबकुछ ऑनलाइन होने के बाद अधिकारी पारदर्शिता का दावा करते रहे हैं। लेकिन भ्रष्टाचारी अफसर और कर्मचारियों ने इसकी भी काट निकाल रखी है। इसी खेल के जरिये ड्राइविंग लाइसेंस की ऑनलाइन परीक्षा में फेल होने वाले अभ्यर्थियों को पास करने का खेल लंबे समय से चल रहा है। जिसमें आरटीओ के दलाल पूरी तरह संलिप्त है। लर्निंग लाइसेंस के लिए अभ्यर्थियों को ऑनलाइन आवेदन करना होता है।
आवदेन के 24 घंटे बाद पहले बायोमेट्रिक होती है। जिसके बाद ऑनलाइन आवेदक को ऑनलाइन परीक्षा के साथ ड्राइविंग टेस्ट देना होता है। लेकिन लखनऊ आरटीओ कार्यालय में परीक्षा व टेस्ट लेने के बजाय सीधे उसे पास कर दिया जाता है । जबकि नियम यह है कि आरआई की मौजूदगी में आवेदकों का ड्राइविंग टेस्ट अनिवार्य होता है
आरआई के बजाए बाहरी एजेंट कर रहे हैं राजकीय निर्वहन का कार्य
ट्रांसपोर्टनगर आरटीओ कार्यालय में आरआई का कार्य उनके बाहरी शुभचिंतक एजेंट कर रहे हैं। जो ना ही यहां पर कार्यरत है ना ही संविदा पर लगे हैं। अधिकारियों की सांठ गांठ से बाहरी एजेंट डीएल बनाने से लेकर गाड़ी ट्रांसफर तक के कार्य कर रहे हैं। यहां अधिकारी खुद दलालों को बढ़ावा दे रहे हैं।