लखनऊ (मानवी मीडिया) आज की तारीख में हार्ट की डिजीज यानी की दिल की बीमारी बढ़ती जा रही है। साथ ही इधर कुछ समय से हृदय की विफलता (हार्ट फेल) के भी मामले सामने आये हैं। हालांकि इस सब के बीच एक्यूट हार्ट अटैक में कमी देखी जा रही है। यह कहना है संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. सुदीप कुमार का। वह शनिवार को एसजीपीजीआई में कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के यूपी चैप्टर की तरफ से आयोजित राष्ट्रीय हार्ट-फेलियर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
प्रो. सुदीप कुमार के मुताबिक दिल की बढ़ती बीमारी और हार्ट फेल्योर के कारण कई प्रकार के हो सकते हैं, लेकिन एक प्रमुख कारण बदलती जीवन शैली और उससे होने वाले रोग हैं। उन्होंने बताया कि उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) मधुमेह (डायबिटीज) और मोटापा दिल की गंभीर बीमारी पैदा कर रहे हैं। इसके अलावा एक्यूट हार्ट अटैक भी बाद में हार्ट फेल्योर का कारण बन रहा है। उन्होंने बताया कि एंजियोप्लास्टी व दवाओं के जरिये मरीज के एक्यूट हार्ट अटैक का इलाज तो हो जाता है,
लेकिन इससे दिल को होने वाला नुकसान बाद में हार्ट फेलियर का कारण बन सकता है। उन्होंने कहा कि एक्यूट हार्ट अटैक से दिल मांसपेशियां डैमेज अथवा कमजोर हो जाती हैं। जिससे दिल को जितना खून पंप करना चाहिए उतना नहीं कर पाता है। साथ ही उन्होंने कहा कि बढ़ती उम्र और खराब दिनचर्या और जीवन शैली लोगों में उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) मधुमेह (डायबिटीज) को बढ़ा रहे हैं। मौजूदा समय में 50 साल की उम्र पार कर चुके करीब 30 प्रतिशत लोगों में उच्च रक्तचाप की समस्या देखी गई है। जो हृदय रोगों का कारण बनते हैं।
कार्डियोलॉजी सोसाइटी ऑफ इंडिया के सचिव डा. देबव्रत रॉय के मुताबिक बच्चों में रूमेटिक हार्ट डिजीज का पता अब आसानी से लगाया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि बच्चों में दिल की बीमारी का पता लगाने के लिए डिजिटल स्टेथोस्कोप तैयार किया गया है। जो एप से लिंग होगा। सीने पर लगाते ही यह दिल की बीमारी को ऐप पर बतायेगा। उन्होंने बताया कि कार्डियोलॉजी सोसाइटी ऑफ इंडिया ने इसके लिए एक आईटी कंपनी के साथ समझौता किया है। आने वाले समय में स्कूलों में जाकर बच्चों की जाचं करेगी।