लखनऊ (मानवी मीडिया) एतिहासिक चारबाग रेलवे स्टेशन के ठीक सामने रविंद्रालय मैदान किताबों से गुलजार है। यहां आपको यूपी के अनसुने किस्सों से लेकर मशहूर नाटकों की किताबों का कलेक्शन मिल जाएगा। मेले में एकओर निराला और प्रेमचंद का कालजयी साहित्य है, तो दूसरीओर दिव्य प्रकाश दुबे, मानव कौल और मनोज मुंतशिर जैसे यूथ राइटर्स की किताबें। थोड़ा और अंदर जाएंगे तो एक विशाल मंच मिलेगा। जहां आपको माइक पर किताबों के किस्से सुनाती हुई लेखकों की मंडली भी दिख जाएगी। ये शोरगुल है किताबों के जमघट का...लखनऊ पुस्तक मेले का।
लखनऊ में 17 से 26 मार्च तक चलने वाले पुस्तक मेले में 30 स्टॉल लगाए गए हैं। इनमें 250 पब्लिशर्स की 20,000 से ज्यादा किताबें मौजूद हैं। सभी एक से बढ़कर एक, तो चलिए आपको किताबों की इस खास दुनिया की सैर करा लाते हैं...
लखनऊ पुस्तक मेले का सबसे चर्चित हिस्सा है 'बुक स्क्वायर'। एक चौकोना जहां पर 30 से ज्यादा दुकानों में अलग-अलग तरह की किताबें सजी हुई हैं। इस जगह को रंगीन अलमारियों से सजाया गया है। जहां पर क्लासिक, इंवेस्टिगेटिव, मिस्ट्री, हॉरर, पॉलिटिकल, हिस्टॉरिकल और माइथोलॉजी पर बेस्ड किताबें रखी हुई हैं। ठीक बगल में किताबों का गलियारा है, जहां आप अपनी पसंदीदा किताबों को मुफ्त में पढ़ सकते हैं और खरीदकर घर भी ले जा सकते हैं।
यहां पर सबसे पहला स्टॉल सुभाष पुस्तक भंडार का है। इसके मालिक अभिनव छाबड़ा ने बताया,"लखनऊ का रीडर क्लासिकल किताबों का शौक रखता है। हमारे पास पापुलर किताबों में गुनाहों का देवता, लज्जा, मृत्युंजय और युगांधर काफी सेलआउट हुईं हैं। यहां का युवा वर्ग दिव्य प्रकाश दुबे, मानव कौल, चेतन भगत और मनोज मुंतशिर जैसे लेखकों की किताबें पसंद कर रहा है। जो नई चीज देखने को मिली वह है यहां के लोगों का हिंदी के प्रति प्रेम। लोग विदेशी नॉवल्स के हिंदी ट्रांसलेशन की मांग कर रहे हैं।"
योगी संवाद और अटल बिहारी वाजपेयी चयन संग्रह की सबसे ज्यादा डिमांड
बुक स्क्वायर पर सबसे बड़ा किताबों का स्टॉल अमर चित्र कथा का है। यहां मिले संतोष ने बताया, "मेले में इंडियन हिस्ट्री और लिटरेचर की किताबों से अलग हटकर पॉलिटिकल बुक्स भी पसंद की जा रही हैं। शांतनु गुप्ता की योगी गाधा, डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी की योगी दृष्टि-संवाद, रवि मिश्र और नरेंद्र शुक्ल की अटल बिहारी वाजपेयी चयन संग्रह किताबों की डिमांड काफी ज्यादा है।"
संतोष कहते हैं, “पुस्तक मेले में 100 रुपए से लेकर 10 हजार रुपए तक की किताबें हैं। सबसे अच्छी बात ये है कि आप सभी किताबों को मुफ्त में जितनी देर चाहें उतना पढ़ सकते हैं।”
‘सही-को-सही और गलत-को-गलत कहने की हिम्मत रखती हैं किताबें’
पुस्तक मेले के लेखक मंच का हिस्सा बनने पहुंची लखनऊ की मशहूर लेखिका रश्मि गुप्त ने दैनिक भास्कर से बात की। उन्होंने कहा, "आप कितना भी डिजीटल हो जाइए लेकिन किताबों की दुनिया का दूसरा कोई विकल्प नहीं है। किताबों को हाथ से छूना। सोते वक्त उन्हें अपने तकिए के नीचे रखने में जो मजा है वो कहीं और नहीं मिल सकता।"
रश्मि कहती हैं, "धार्मिक हो या सामायिक, आज हर तरह की किताबों का विरोध होता रहता है। अधूरा ज्ञान रखने वाले किताबों में जातिवाद ढूंढ लेते हैं। जबकि किताबों से बड़ा मार्गदर्शक दूसरा कोई और नहीं हो सकता है।"