जीलैंडिया के अस्तित्व पर शोधकर्ताओं ने लगाई मुहर - मानवी मीडिया

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Thursday, March 23, 2023

जीलैंडिया के अस्तित्व पर शोधकर्ताओं ने लगाई मुहर


नई दिल्ली (
मानवी मीडियाअब तक हमने सात महाद्वीपों के बारे में सुना था, लेकिन इसी बीच वैज्ञानिकों ने एक शोध के जरिए आठवें महाद्वीप के अस्तित्व पर मुहर लगा दी है। 375 सालों बाद वैज्ञानिकों ने जीलैंडिया  के अस्तित्व की जानकारी दी है

बताया जा रहा है कि यह महाद्वीप 1.89 मिलियन वर्ग मील में फैला हुआ है। बताया जा रहा है कि अलग-अलग महाद्वीप बहुत से देशों का घर है, लेकिन ज़ीलैंडिया सिर्फ तीन प्रदेशों का घर है।

105 मिलियन वर्ष पहले हुआ था अलग

करीब 105 मिलियन वर्ष पहले जीलैंडिया सुपर महाद्वीप गोंडवाना लैंड का हिस्सा था, जिसमें पिछले 500 मिलियन वर्ष से पश्चिमी अंटार्कटिका और पूर्वी ऑस्ट्रेलिया हिस्सा हैं। बाद में यह गोंडवाना लैंड से अलग हो गया और समुद्र की लहरों की बीच समुद्र में समा गया। शोधार्थी आज भी इसके अलग होने के विषय को लेकर रिसर्च कर रहे हैं।

पहली बार 1642 में सामने आया था अस्तित्व

जीलैंडिया महाद्वीप का अस्तित्व पहली बार 1642 में सामने आया था। एक डच बिजनेसमैन और नाविक एबल टैसमैन ग्रेट साउथर्न कॉन्टिनेंट की खोज में निकले थे, इउसी दौरान उन्हें इस महाद्वीप के बारे में पता लगा। हालांकि, वह न्यूजीलैंड के दक्षिणी आईलैंड पर पहुंच गए।

वहां पहुंचने पर स्थानीय निवासी ने उन्हें आसपास की जगहों के बारे में जानकारी दी। इसके साथ ही उन्हें जीलैंडिया के अस्तित्तव के बारे में भी बताया गया था, लेकिन इस बात को मानने में उन्हें करीब 400 साल लग गए।

साल 2017 में हुई पुष्टि

साल 2017 में भूवैज्ञानिकों ने माना कि जीलैंडिया महाद्वीप का अस्तित्व है, जिसका ज्यादातर हिस्सा पानी के अंदर है। इसको लेकर बताया जा रहा है कि 6560 फीट यानि करीब दो किलोमीटर जितना हिस्सा पानी के नीचे समाया हुआ है।

जीलैंड क्राउन रिसर्च इंस्टीट्यूट के भूवैज्ञानी एंडी ने कहा कि जीलैंडिया एक ऐसा उदाहरण है, जिसके जरिए अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी शोध को पूरा करने में कितना समय लग सकता है। हालांकि, अभी भी इस बात का शोध किया जा रहा है कि यह गोंडवाना लैंड से अलग कैसे हुआ था।

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