याचिका में कहा गया था कि गोपनीय तरीके से चल रहे ऐसे संबंध लगातार जघन्य अपराध की वजह बन रहे हैं। लिव इन पार्टनर्स की सुरक्षा के लिए उनके संबंध की जानकारी पुलिस के पास होना ज़रूरी है। सुप्रीम कोर्ट की वकील ममता रानी (Mamata Rani) की याचिका में लिव इन में रह रहे लोगों की संख्या की जानकारी जुटाने की भी मांग की गई थी। याचिकाकर्ता की दलील थी लिव इन रिलेशंस की संख्या की जानकारी के बारे में दलील दी थी कि यह जानकारी तभी मिल सकेगी जब लिव इन रिलेशन का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाएगा।
नई दिल्ली (मानवी मीडिया)-लिव इन रिलेशन के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था बनाने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने आज खारिज कर दी। कोर्ट ने इसे अव्यवहारिक बताया है। याचिका में श्रद्धा वालकर और निक्की यादव हत्याकांड का हवाला दिया गया था। इसमें कहा गया था कि गोपनीय तरीके से चल रहे ऐसे संबंध लगातार जघन्य अपराध की वजह बन रहे हैं।