रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मामले की जांच कुछ वक्त से चल रही थी। कुछ विद्यार्थी ने तो 2 साल का डिप्लोमा कोर्स पूरा कर लिया था। इसके बाद उन्होंने वर्क परमिट के लिए अप्लाई किया था। अगर वो ये हासिल कर लेते तो कनाडा में परमानेंट रेसीडेंस स्टेटस भी हासिल कर लेते।
पंजाब से स्टडी पर विदेश जाने की इच्छा रखने वाले स्टूडेंट्स के आवेदन बड़ी संख्या में नामंजूर होते हैं। इसके प्रमुख कारण फर्जी बैंक स्टेटमेंट और बर्थ सर्टिफिकेट के अलावा एजुकेशन गैप को लेकर तैयार किए जाने वाले फर्जी दस्तावेज भी हैं। जांच में यह मामले पकड़े जाते हैं।
2020-21 में ऑस्ट्रेलिया के डिपार्टमेंट ऑफ होम अफेयर्स ने पंजाब, हरियाणा से संबंधित 600 से अधिक ऐसे मामले पकड़े, जिनमें ऑस्ट्रेलिया का एजुकेशन वीजा हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेज लगाए गए थे।