लखनऊ (मानवी मीडिया)सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग पत्नी से संबंध बनाने के मामले में रेप के आरोप से पति को बरी कर दिया।*जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने कहा कि* अगर पत्नी उम्र 15 साल से ज्यादा है तो ऐसे केस में रेप का आरोप नहीं बनता। इससे पहले पति को हाईकोर्ट ने रेप में दोषी करार दिया था। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ पति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
*सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों सुनीं और मामले में आईपीसी के सेक्शन 375 के अपवाद 2 पर भरोसा जताया।* इसके तहत अगर पत्नी की उम्र 15 साल से अधिक है या यूं कहें नाबालिग पत्नी के साथ यौन संबंध बनाने के मामले में पति पर रेप का आरोप नहीं बनता है। इसमें रेप मामले में पति को अपवाद की कैटेगरी में रखा गया। इसी आधार पर पति को बरी कर दिया गया।
*आपको बता दें, रेप की परिभाषा में प्रावधान है कि* अगर पत्नी की उम्र 15 साल से ऊपर है तो मेरिटल रेप में पति को अपवाद में रखा गया है।
*इसका मतलब ये हुआ कि पति के खिलाफ रेप का केस नहीं बन सकता।* सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में पति और पत्नी के बीच जब संबंध बने थे तब पत्नी की उम्र 15 साल से ज्यादा थी।
*ऐसे में रेप का मामला नहीं बनेगा। साथ ही लड़की ने हलफनामा दिया है कि* उसने खुद से पति के साथ शादी की थी और उनके बीच सहमति से संबंध बने थे और उनका एक बच्चा भी है।
*कोर्ट ने ये भी कहा कि सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन ही धोखाधड़ी के क्रिमिनल केस का कारण नहीं बन सकता है।* इसके लिए मामले में शुरू से ही गलत मंशा को साबित किया जाना जरूरी होता है। महज वादा पूरा करने में विफलता का आरोप ही आपराधिक कार्यवाही शुरू करने के लिए काफी नहीं होगा।