दि किसान सहकारी चीनी मिल्स लि0, गजरौला, जिला अमरोहा की पेराई क्षमता 2500 टी0सी0डी0 से बढ़ाकर 4900 टी0सी0डी0 करते हुए सल्फरलेस रिफाइण्ड शुगर मिल, केन जूस/बी हैवी/सी हैवी फीड स्टाक पर 100 कि0ली0 प्रतिदिन एथेनाल उत्पादन की हाइब्रिड आसवनी एवं प्रेसमड से कम्प्रेस्ड बॉयो गैस (सी0बी0जी0) उत्पादन हेतु 100 टी0पी0डी0 प्लाण्ट की स्थापना के प्रस्ताव के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने दि किसान सहकारी चीनी मिल्स लि0, गजरौला, जिला अमरोहा की पेराई क्षमता 2500 टी0सी0डी0 से बढ़ाकर 4900 टी0सी0डी0 करते हुए सल्फरलेस रिफाइण्ड शुगर मिल, केन जूस/बी हैवी/सी हैवी फीड स्टाक पर 100 कि0ली0 प्रतिदिन एथेनाल उत्पादन की हाइब्रिड आसवनी एवं प्रेसमड से कम्प्रेस्ड बॉयो गैस (सी0बी0जी0) उत्पादन हेतु 100 टी0पी0डी0 प्लाण्ट की स्थापना की प्रायोजना की प्रस्तावित लागत 58729.11 लाख रुपये के सापेक्ष 54582.77 लाख रुपये की पी0आई0बी0 द्वारा अनुमोदित लागत पर प्रायोजना का वित्त पोषण राज्य सरकार की अंश पूंजी/अनुदान तथा राज्य सरकार से प्राप्त ऋण के द्वारा किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके तहत प्रायोजना की लागत का 50 प्रतिशत राज्य सरकार की अंशपूँजी/अनुदान की धनराशि एवं 50 प्रतिशत राज्य सरकार से ऋण के रूप में प्राप्त धनराशि से किया जायेगा।
मंत्रिपरिषद ने इस चीनी मिल, आसवनी, सी0बी0जी0 प्लाण्ट आदि का तकनीकी संचालन, ऑफसीजन व पेराई सत्र के दौरान मेंटीनेन्स का कार्य आउटसोर्सिंग द्वारा कराये जाने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति प्रदान की है।
इस परियोजना की स्थापना से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन होगा। चीनी मिल क्षेत्र के किसान समृद्ध होंगे। क्षेत्र का सर्वांगीण विकास होगा। साथ ही, प्रदेश के आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
उ0प्र0 राज्य चीनी निगम लि0 की मोहिउद्दीनपुर चीनी मिल में बी-हैवी शीरे पर आधारित 60 के0एल0पी0डी0 क्षमता की आसवनी की स्थापना के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम लि0 की मोहिउद्दीनपुर चीनी मिल में बी-हैवी शीरे पर आधारित 60 के0एल0पी0डी0 क्षमता की आसवनी की स्थापना से सम्बन्धित परियोजना पर वित्त पोषण हेतु संस्तुत परियोजना लागत 11377.70 लाख का 20 प्रतिशत (2275.54 लाख रुपये) धनराशि राज्य सरकार से अंश पूंजी के रूप में तथा शेष 80 प्रतिशत (9102.16 लाख रुपये) धनराशि राष्ट्रीयकृत बैंक से टर्मलोन प्राप्त करने के सम्बन्ध में शासकीय गारण्टी की आवश्यकता के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
इस परियोजना की स्थापना से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन होगा। चीनी मिल क्षेत्र के किसान समृद्ध होंगे। क्षेत्र का सर्वांगीण विकास होगा। साथ ही, प्रदेश के आर्थिक विकास को गति मिलेग
जनपद आजमगढ़ में गाजीपुर-आजमगढ़ मार्ग कि0मी0-60 से महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय, असपालपुर हेतु 4-लेन पहुँच मार्ग के निर्माण के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने जनपद आजमगढ़ में गाजीपुर-आजमगढ़ (एस0एच0-67) मार्ग कि0मी0-60 से महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय, असपालपुर आजमगढ़ हेतु 4-लेन पहुँच मार्ग के निर्माण की परियोजना शून्य स्तर से 4-लेन चौड़ाई में नवनिर्माण हेतु प्रस्तुत प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
वर्तमान में यह मार्ग शून्य स्तर का है। परियोजना के शून्य स्तर से 4-लेन चौड़ाई में नवनिर्माण हेतु मंत्रिपरिषद से शिथिलीकरण प्रस्तावित किया गया था। प्रस्तावित 04 लेन मार्ग की लम्बाई 2.40 किलोमीटर एवं चौड़ाई 19.50 मीटर है। इस मार्ग के निर्माण लागत के लिए 3038.33 लाख रुपये का प्रारम्भिक आगणन किया गया है।
जनपद आजमगढ़ के इस राज्य विश्वविद्यालय में पठन-पाठन कार्य चालू हो जाने पर इस मार्ग पर यातायात घनत्व अत्यधिक बढ़ जायेगा। इस मार्ग का निर्माण हो जाने से राज्य विश्वविद्यालय का सीधा सम्पर्क राज्य राजमार्ग सं0-67 से हो जायेगा। राष्ट्रीय महत्व के इस विश्वविद्यालय के पहुंच मार्ग से आजमगढ़ के साथ-साथ अन्य जनपदों के छात्र-छात्राओं, शिक्षक एवं सामान्यजन को विश्वविद्यालय तक पहुंचने में सुविधा होगी तथा विश्वविद्यालय की बसों आदि का सुगमतापूर्वक संचालन हो सकेगा।
जनपद शाहजहाँपुर में लिपुलेक भिण्ड मार्ग (राज्य मार्ग संख्या-29) के चैनेज-468.750 से 497.050 तक (लम्बाई 28.30 कि0मी0) मार्ग के चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण कार्य की प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने जनपद शाहजहाँपुर में लिपुलेक भिण्ड मार्ग (राज्य मार्ग संख्या-29) के चैनेज-468.750 से चैनेज 497.050 तक (लम्बाई 28.30 कि०मी०) मार्ग का चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण कार्य की सम्पूर्ण परियोजना एवं इस कार्य की व्यय वित्त समिति द्वारा अनुमोदित लागत 29429.81 लाख रुपये (दो अरब चौरानबे करोड़ उन्तीस लाख इक्यासी हजार रुपये मात्र) के व्यय के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
यह मार्ग राष्ट्रीय मार्ग संख्या-24 (बरेली मोड, शाहजहाँपुर शहर) से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-730 सी पर स्थित कस्बा जलालाबाद को जोड़ने वाला अत्यन्त महत्वपूर्ण मार्ग है। यह मार्ग शाहजहाँपुर से फर्रुखाबाद, लखनऊ, बदायूँ, मुरादाबाद, दिल्ली को आने-जाने हेतु आवागमन के लिए प्रयोग होता है। इस मार्ग पर कृभकों फैक्ट्री, मेडिकल कॉलेज, राजकीय पॉलिटेक्निक, इण्डेन गैस प्लाण्ट इत्यादि अनेक महत्वपूर्ण औद्योगिक प्रतिष्ठान होने के कारण अत्यधिक भारी यातायात का दबाव तथा यातायात जाम की स्थिति बनी रहती है। मार्ग का पी0सी0यू0 18267 व सी0वी0पी0डी0 1364 है। मार्ग की लम्बाई 28.30 कि0मी0 में चौड़ाई 7.00/10.00 से बढ़ाकर 18.00 कि0मी0 किया जाना प्रस्तावित है। इस मार्ग के चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण से क्षेत्र का चहुंमुखी विकास होगा।
उ0प्र0 इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण एवं गतिशीलता नीति, 2022 के अन्तर्गत पंजीकृत होने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों एवं पंजीकृत वाहन स्क्रेपिंग सुविधा में स्क्रैप किये जाने वाले वाहनों पर शुल्क एवं शास्ति में एकमुश्त छूट प्रदान किये जाने के प्रयोजनार्थ उ0प्र0 मोटर यान नियमावली, 1998 के नियम 50 में संशोधन के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण एवं गतिशीलता नीति, 2022 के प्राविधानों एवं क्रेताओं को इलेक्ट्रिक वाहनों के पंजीकरण के शुल्क में छूट प्रदत्त किये जाने के प्रयोजनार्थ उत्तर प्रदेश मोटर यान नियमावली, 1998 के नियम-50 में संशोधन हेतु उत्तर प्रदेश मोटर यान (तीसवां संशोधन) नियमावली, 2023 के प्रख्यापन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन दिये जाने एवं प्रदूषण की रोकथाम के उद्देश्य से औद्योगिक विकास विभाग द्वारा ‘उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन मैन्युफैक्चरिंग नीति, 2019’ प्रख्यापित की गयी है। विगत 03 वर्ष में इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण क्षेत्र में आए व्यापक बदलाव, तकनीकी सुधार तथा पर्यावरण के प्रति प्रदेश की बढ़ती जिम्मेदारी के दृष्टिगत इस नीति के स्थान पर नवीन नीति प्रख्यापित किये जाने की आवश्यकता को देखते हुए औद्योगिक विकास विभाग द्वारा 14 अक्टूबर, 2022 को ‘उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण एवं गतिशीलता नीति, 2022’ प्रख्यापित की गयी है।
औद्योगिक विकास विभाग द्वारा परिवहन विभाग से इस नीति के परिवहन विभाग से सम्बन्धित प्राविधानों को लागू कराये जाने के सम्बन्ध में अपेक्षित शासनादेश को निर्गत कराने तथा कृत कार्यवाही से अवगत कराये जाने की अपेक्षा की गयी है।
इस अपेक्षा के क्रम में इस नीति, 2022 के परिवहन विभाग से सम्बन्धित प्राविधानों के सम्बन्ध में अग्रेतर कार्यवाही किये जाने हेतु आख्या उपलब्ध कराने के लिए मुख्यालय स्तर पर समिति गठित की गयी। इस नीति, 2022 के प्रस्तर 4.3 (वित्तीय प्रोत्साहन) के बिन्दु संख्या-1 में क्रेताओं को पंजीकरण शुल्क एवं रोड टैक्स से छूट दिये जाने का प्राविधान किया गया है। समिति द्वारा पंजीकरण टैक्स से छूट के सम्बन्ध में की गयी संस्तुति के क्रम में सम्यक विचारोपरान्त यह मत स्थिर किया गया है कि उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण एवं गतिशीलता नीति, 2022 के अनुरूप क्रेताओं को इलेक्ट्रिक वाहनों के पंजीकरण शुल्क में छूट प्रदत्त किये जाने हेतु उत्तर प्रदेश मोटर यान नियमावली, 1998 के नियम 50 में विद्यमान उप नियमों/ प्राविधानों के स्थान पर संशोधित उप नियमों/प्राविधानों को प्रतिस्थापित कर दिया जाए।
नियम-50 के संशोधन के तहत रजिस्ट्रीकरण फीस के भुगतान से छूट के सम्बन्ध में, उल्लिखित विवरणों के मोटर यानों के रजिस्ट्रीकरण अर्थात रजिस्ट्रीकरण, पुनः रजिस्ट्रीकरण एवं स्वस्थता प्रमाण पत्र के लिए कोई फीस नहीं ली जाएगी। इन मोटर यानों में (1) कृषि प्रयोजनों के लिए अनन्य रूप से प्रयोग किए जाने वाले ट्रैक्टर और लोकोमोटिव, (2) पूर्व संस्थाओं के स्वामित्वाधीन और केवल बीमारों या घायलों के परिवहन के लिए अनन्य रूप से प्रयोग किए जाने वाले मोटर एम्बुलेंस, (3) ऐसे मोटर वाहन जो सरकार के स्वामित्वाधीन हों या तत्समय सरकार की सेवा में हों, (4) केन्द्रीय मोटरयान नियमावली, 1989 के अन्तर्गत जारी यान स्क्रेपिंग सुविधा का रजिस्ट्रीकरण और कार्य नियम, 2021 के अधीन स्थापित पंजीकृत यान स्क्रेपिंग सुविधा केन्द्र में स्क्रेप कराए जाने वाले वाहनों पर अधिसूचना की तिथि से एक वर्ष के लिए। उपनियम (4) के अन्तर्गत आने वाले वाहनों की फीस पर देय शास्ति से भी शत-प्रतिशत छूट होगी। (5) उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण एवं गतिशीलता नीति, 2022 के अधिसूचित किए जाने की तिथि 14 अक्टूबर, 2022 से 03 वर्ष के भीतर उत्तर प्रदेश राज्य में क्रय एवं पंजीकृत किए गए इलेक्ट्रिक वाहन (ई0वी0)। उपनियम (5) के अन्तर्गत आने वाले वाहनों पर दिनांक 14 अक्टूबर, 2022 को अधिसूचित उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण एवं गतिशीलता नीति, 2022 की प्रभावी अवधि के चौथे एवं पांचवे वर्ष में उत्तर प्रदेश में विनिर्मित, क्रय तथा पंजीकृत इलेक्ट्रिक वाहन (ई0वी0)। उपनियम (5) में उल्लिखित इलेक्ट्रिक वाहन (ई0वी0) का तात्पर्य इलेक्ट्रिक मोटर का उपयोग करने वाले समस्त ऑटोमोबाइल से है, जो बैटरी, अल्ट्रा-कैपेसिटर अथवा ईंधन सेल द्वारा संचालित होते हैं। इसमें समस्त 2-व्हीलर, 3-व्हीलर एवं 4-व्हीलर स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल (एच0ई0वी0), प्लग इन हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल (पी0एच0ई0वी0), बैटरी इलेक्ट्रिक व्हीकल (बी0ई0वी0) तथा फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल (एफ0सी0ई0वी0) सम्मिलित हैं।
अतः उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण एवं गतिशीलता नीति, 2022 के प्राविधानों के दृष्टिगत क्रेताओं को इलेक्ट्रिक वाहनों के पंजीकरण शुल्क में छूट प्रदत्त किये जाने के प्रयोजनार्थ उत्तर प्रदेश मोटर यान नियमावली, 1998 के नियम 50 में विद्यमान उप नियमों/प्राविधानों के स्थान पर संशोधित उप नियमों/प्राविधानों को प्रतिस्थापित किये जाने हेतु उत्तर प्रदेश मोटर यान (30वां संशोधन) नियमावली, 2023 का प्रख्यापन किये जाने का प्रस्ताव है।
प्रदेश के समस्त वाहनों को किसी भी जनपद में स्वस्थता प्रमाण-पत्र प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करने हेतु उ0प्र0 मोटर यान नियमावली, 1998 के नियम 39 में संशोधन का प्रस्ताव अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के समस्त वाहनों को किसी भी जनपद में स्वस्थता प्रमाण-पत्र प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करने हेतु उत्तर प्रदेश मोटर यान नियमावली, 1998 के नियम 39 में संशोधन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
मोटर यान अधिनियम, 1988 की धारा 56 में विहित व्यवस्था के अनुसार कोई परिवहन यान वैधानिक रूप से तब तक पंजीकृत नहीं माना जायेगा, जब तक उसके द्वारा स्वस्थता प्रमाण-पत्र प्राप्त न कर लिया गया हो। वाहनों को स्वस्थता प्रमाण-पत्र निर्गत करने की प्रक्रिया का निर्धारण उत्तर प्रदेश मोटर यान नियमावली, 1998 के नियम 39 में उल्लिखित है। इस नियम के उप नियम (1) में दिये गये प्राविधानों के अनुसार किसी भी वाहन का स्वस्थता प्रमाण-पत्र का निर्गमन/नवीनीकरण उसी जनपद में संभव है, जहां वह पंजीकृत है।
वाहनों के स्वस्थता प्रमाण-पत्र के निर्गमन/नवीनीकरण की इस व्यवस्था के फलस्वरूप उत्पन्न कठिनाइयों के दृष्टिगत भिन्न-भिन्न पी0ए0सी0 बलों द्वारा अपने राजकीय वाहनों, स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रयुक्त राजकीय एम्बुलेंसेज एवं अन्य स्तरों से सड़क/भवन/परियोजनाओं सम्बन्धी विविध कार्यों में प्रयुक्त निर्माण उपकरण वाहनों यथा-बैकहो लोडर्स, व्हील लोडर्स, ग्रेडर्स आदि के स्वस्थता प्रमाण-पत्र का नवीनीकरण प्रदेश के किसी भी जनपद में कराये जाने का विकल्प उपलब्ध कराने के अनुरोध प्राप्त होते रहते हैं।
उत्तर प्रदेश मोटर यान नियमावली, 1998 के नियम 39 के उपनियम (2) में वाहन का स्वस्थता प्रमाण पत्र निर्गत करते समय अगली निरीक्षण तिथि पृष्ठांकित किये जाने की व्यवस्था है। वर्तमान में स्वस्थता प्रमाण-पत्र हेतु ऑनलाइन आवेदन प्रस्तुत करने की प्रक्रिया निर्धारित होने के कारण इस उपनियम की वर्तमान में कोई प्रासंगिकता नहीं है।
इसी प्रकार उत्तर प्रदेश मोटर यान नियमावली, 1998 के नियम 39 के उपनियम (3) में किये गये प्राविधान के अनुसार यदि पंजीयन अधिकारी या प्राधिकृत परीक्षण केन्द्र द्वारा वाहन स्वामी को इस नियमावली के नियम 39 (2) में निरीक्षण तिथि प्रदान नहीं की गयी है, तो उसे स्वस्थता प्रमाण पत्र की समाप्ति के कम से कम एक माह के भीतर प्रपन्न एसआर-13 में आवेदन पत्र पंजीयन अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। केन्द्रीय मोटर यान नियमावली, 1989 के नियम 62 (4) में स्वस्थता प्रमाण-पत्र समाप्ति से 60 दिन पूर्व आवेदन देने की व्यवस्था होने के पश्चात इस उपनियम का भी कोई औचित्य नहीं है।
इसलिए वाहनों का स्वस्थता प्रमाण-पत्र निर्गत करने की प्रक्रिया को सरल बनाये जाने के लिए उत्तर प्रदेश मोटर यान नियमावली, 1998 के नियम 39 के उपनियम (1), (2), (3) एवं (4) में विद्यमान प्राविधान के स्थान पर संशोधित प्राविधान प्रतिस्थापित किया गया है।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एम0एन0आर0ई0), भारत सरकार की स्कीम ग्रीन इनर्जी कॉरिडोर-।। के अन्तर्गत सौर ऊर्जा पार्कों/वितरित सौर ऊर्जा उत्पादक संयंत्रों से ऊर्जा निकासी के लिए पारेषण तंत्र विकसित करने हेतु उ0प्र0 पावर ट्रान्समिशन कॉरपोरेशन लि0 द्वारा विद्युत पारेषण लाइनों के कार्य के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में 4000 मेगावॉट सोलर विद्युत संयंत्र से उत्पन्न विद्युत पारेषण विद्युत कार्यां के लिए ग्रीन इनर्जी कॉरिडोर-।। के अन्तर्गत 4786.79 करोड़ रुपये के वित्त पोषण हेतु भारत सरकार द्वारा निर्दिष्ट नियम एवं शर्तां के अनुरूप 33 प्रतिशत भारत सरकार से पूंजीगत अनुदान एवं 47 प्रतिशत तक जर्मन सरकार की संस्था मै0 के0एफ0डब्ल्यू0 द्वारा निर्धारित धनराशि से परिवर्तनीय ब्याज दर पर ऋण प्राप्त कर तथा अवशेष धनराशि के अंश पूंजी से विनियोजन के प्र्रस्ताव को स्वीकृत कर दिया है। साथ ही, ऋण के ससमय पुनर्भुगतान एवं अन्य देय सहित ब्याज के भुगतान के लिए राज्य सरकार की वचनबद्धता प्रदान करने का प्रस्ताव भी अनुमोदित किया गया है।
प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में सौर ऊर्जा पार्क स्थापित हो रहे हैं। इस क्षेत्र में उत्पादित होने वाली 4000 मेगावॉट सौर विद्युत ऊर्जा के पारेषण के लिए ग्रीन इनर्जी कारीडोर-।। के अन्तर्गत कुल 20 उपकेन्द्रों एवं सम्बन्धित लाइनों का निर्माण कार्य दो चरणों में यथा-प्रथम चरण वर्ष 2022-23 से वर्ष 2024-25 में तथा द्वितीय चरण वर्ष 2023-24 से वर्ष 2025-26 में नियोजित किया गया है।
उपकेन्द्र एवं तत्सम्बन्धी लाइनों के निर्माण से विद्युत व्यवस्था सुदृढ़ होगी तथा ग्रीन इनर्जी से विद्युत उत्पादन होने पर कार्बन उत्सर्जन में कमी आयेगी तथा कोयले एवं पेट्रोलियम पर निर्भरता भी कम होगी।
‘निषादराज बोट सब्सिडी योजना’ के क्रियान्वयन से सम्बन्धित दिशा-निर्देश अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने ‘निषादराज बोट सब्सिडी योजना’ के क्रियान्वयन से सम्बन्धित दिशा-निर्देशों को अनुमोदित कर दिया है। मंत्रिपरिषद ने योजना के दिशा-निर्देशों में संशोधन के लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया है।
‘निषादराज बोट सब्सिडी योजना’ के माध्यम से मछुआ समुदाय एवं मत्स्य पालकों को बिना इंजन की नाव (नॉन मोटराइज्ड), जाल, लाइफ जैकेट एवं आइसबॉक्स आदि के क्रय हेतु आर्थिक सहायता के रूप में 40 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कराया जाना प्रस्तावित है। यह योजना मछुआ समुदाय व मत्स्य पालकों को जलाशयों, तालाबों, नदियों एवं अन्य जलसंसाधनों में मत्स्याखेट एवं मत्स्य प्रबन्धन व संरक्षण में सहायक होगी तथा इससे उन्हें मत्स्य पालन से संबंधित जलक्षेत्रों में अवैध शिकारमाही की रोकथाम व उसको नियंत्रित करने में सहायता प्राप्त होगी। इसके अतिरिक्त जलक्षेत्र की मत्स्य सम्पदा सुरक्षित व संरक्षित रखने में सहायक होगी।
ऽ यह योजना पांच वर्षों (वर्ष 2022-23 से 2026-27 तक) के लिए संचालित की जायेगी। इस योजना के संचालन की पूर्ण अवधि में कुल 44.425 करोड़ रुपये का व्यय भार सम्भावित है। योजना के अंतर्गत प्रतिवर्ष 3000 लाभार्थियों को एवं पांच वर्षों में 15000 लाभार्थियों को आच्छादित किये जाने का लक्ष्य है।
ऽ योजना से मत्स्य पालकों व मछुआ समुदाय की आय में वृद्धि होगी तथा उन्हें आर्थिक रूप से स्वावलम्बी बनाये जाने में सहायता प्राप्त होगी। कृषकों की आय दोगुनी किये जाने में भी योजना सहायक होगी।
वर्गीकृत वीर्य के उपयोग की स्वीकार्यता गोवंश पशुपालकों के मध्य बढ़ाने के लिए पूरे प्रदेश में 100 रु0 प्रति कृत्रिम गर्भाधान लेवी निर्धारित किए जाने के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में गोवंशीय पशुओं में वर्गीकृत वीर्य (सेक्स्ड सीमेन) के उपयोग की स्वीकार्यता को पशुपालकों के मध्य बढ़ाए जाने हेतु शासनादेश संख्या-4128/सैंतीस-2-2018-1(49)/2017 दिनांक 07 दिसम्बर, 2018 के प्रस्तर-7(ख) प्रक्रिया (3), (4) एवं (15) में संशोधन ‘प्रदेश के समस्त जनपदों के पशुपालकों को प्रोत्साहित करने हेतु सेक्स्ड सीमेन द्वारा कृत्रिम गर्भाधान कार्य के सापेक्ष प्रति गर्भाधान प्रति पशु 100 रुपये पशुपालकों से लिया जाएगा, जो उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद के माध्यम से राजकोष में जमा किया जाएगा।
वर्गीकृत वीर्य (सेक्स्ड सीमेन) से कृत्रिम गर्भाधान किये जाने का कार्यक्रम पूर्णतः नवीन तकनीकी पर आधारित है एवं कृषि के आधुनिकीकरण के कारण अनुपयोगी नर गोवंशों की उत्पत्ति पर अंकुश लगाये जाने में सहायक है। योजना को बढ़ावा देने से पशुपालकों को गोवंश की उन्नतशील मादा संततियों की प्राप्ति होगी, जिससे अधिक दुग्ध की उपलब्धता सुनिश्चित होगी तथा किसानों की आय को बढ़ाकर ग्रामीण परिवेश में रोजगार सृजन भी होगा।
यह योजना वर्ष 2019 से प्रदेश में लागू है। वर्तमान संचालित योजना में बुन्देलखण्ड क्षेत्र के 07 जनपदों हेतु वर्गीकृत वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान के लिये प्रति गर्भाधान प्रति पशु 100 रुपये तथा प्रदेश के शेष 68 जनपदों हेतु प्रति गर्भाधान प्रति पशु 300 रुपये प्रति पशुपालकों से लिये जाने की व्यवस्था है।
उक्त दरें पृथक-पृथक होने एवं कीमत अधिक होने के कारण वर्गीकृत वीर्य के प्रति किसानों/पशुपालकों का रूझान कम है और उनके लिये आर्थिक रूप से लाभप्रद भी नहीं है। अतः कम कीमत पर वर्गीकृत वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा समस्त प्रदेश के पशुपालकों/किसानों को उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है, ताकि वर्गीकृत वीर्य के उपयोग की स्वीकार्यता में वृद्धि हो सके और गोपालन आर्थिक रूप से लाभप्रद भी हो। इसके दृष्टिगत सम्पूर्ण प्रदेश में वर्गीकृत वीर्य के प्रति स्ट्रा का मूल्य 300 रुपये के स्थान पर 100 रुपये लिये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित किया गया है।
प्रश्नगत योजना के अन्तर्गत आगामी वर्ष में वर्गीकृत वीर्य के माध्यम से 10 लाख कृत्रिम गर्भाधान लक्षित है। लक्ष्य के सापेक्ष वर्गीकृत वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान की स्थिति में लगभग 03 लाख गोवंश संततियां उत्पन्न होना सम्भावित है, जिनमें से 90 प्रतिशत मादा संततियां लगभग 2,70,000 होंगी। वर्गीकृत वीर्य का प्रति डोज मूल्य 100 रुपये किये जाने से लक्षित 10 लाख वर्गीकृत वीर्य के उपयोग के सापेक्ष 20 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी की प्रतिपूर्ति करनी होगी।
प्रदेश के विभिन्न जनपदों में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों, आवासीय छात्रावास योजना एवं स्पोर्ट्स कॉलेजों के अन्तर्गत पंजीकृत लगभग 11,000 खिलाड़ियों को मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान में सम्मिलित करने के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के विभिन्न जनपदों में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों, आवासीय छात्रावास योजना एवं स्पोर्ट्स कॉलेजों के अन्तर्गत पंजीकृत लगभग 11,000 खिलाड़ियों को मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान में सम्मिलित करने एवं उनके उपचार पर प्रतिवर्ष खर्च होने वाली धनराशि 05 लाख रुपये तक कैशलेस उपचार की सुविधा अनुमन्य कराए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि खेल विभाग के अन्तर्गत प्रदेश के पंजीकृत खिलाड़ियों का स्वास्थ्य बीमा कराया जाना आवश्यक है, ताकि प्रशिक्षण के दौरान कोई चोट लगने/शारीरिक अक्षमता होने पर उन्हें पर्याप्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करायी जा सकें। इस सुविधा से युवा खिलाड़ी खेलों के प्रति आकर्षित होगें तथा उन्हें सामाजिक/स्वास्थ्य सुरक्षा की गारण्टी होने से उनका मनोबल भी ऊँचा रहेगा।
खेल एवं खिलाड़ियों के प्रोत्साहन एवं संवर्धन हेतु एकलव्य क्रीड़ा कोष (खेल) एवं खिलाड़ियों का प्रोत्साहन एवं संवर्धन) नियमावली-2021 प्रख्यापित की गयी है, जिसमें खिलाड़ियों का स्वास्थ्य बीमा कराने की व्यवस्था की गयी है। उक्त के अतिरिक्त प्रति लाभार्थी परिवार 1102 रुपये की दर से आवश्यक धनराशि एकलव्य क्रीड़ा कोष से उपलब्ध कराया जाना प्रस्तावित है।
इस योजना से प्रदेश के खिलाडियों एवं युवा वर्ग में खेलों के प्रति अभिरुचि पैदा होगी। योजना में प्रदेश के विभिन्न जनपदों में संचालित प्रशिक्षण शिविर, आवासीय छात्रावास योजना एवं स्पोर्ट्स कॉलेजों के अन्तर्गत लगभग 11,000 पंजीकृत खिलाड़ी को पहली बार शामिल किया जा रहा है।
संस्कृति विभाग की विभिन्न परियोजनाओं में सम्मिलित उच्च विशिष्टियों के कार्य अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने संस्कृति विभाग की विभिन्न परियोजनाओं में सम्मिलित उच्च विशिष्टियों के कार्यों को अनुमोदित कर दिया है।
ज्ञातव्य है कि जनपद रायबरेली में ‘राना बेनी माधवबक्श सिह की स्मृति में सभागार, पुस्तकालय’ आदि का निर्माण कार्य कराया जाना है। सभागार, पुस्तकालय, प्रशासनिक ब्लॉक, कैफेटेरिया, पार्किंग, लैण्ड स्केपिंग आदि सुविधाओं के विकसित किए जाने हेतु जिलाधिकारी, रायबरेली द्वारा जनपद के ग्राम अहमदपुर नजूल व तहसील सदर में भूमि उपलब्ध करायी गयी है।
जनपद आजमगढ़ का हरिहरपुर घराना संगीत के लिए विश्व में मशहूर है। यहां के कलाकार गायकी, संगीत, तबला-वादन में देश ही नहीं, विदेश में भी अपनी कला के माध्यम से हरिहरपुर, आजमगढ़ का नाम रोशन खड़ाकर रहे हैं। इस घराने द्वारा लुप्त हो रही विधा कजरी, चैता, फगुआ आदि को बचाने के लिए हरिहरपुर कजरी महोत्सव का आयोजन भी किया जा रहा है।
इसी परम्परा को गति देने के उद्देश्य से जनपद ‘आजमगढ़ के ग्राम हरिहरपुर में संगीत महाविद्यालय’ की स्थापना की जानी है। संगीत महाविद्यालय की स्थापना हेतु जनपद आजमगढ़ के हरिहरपुर में गाटा संख्या 66/0.200 हे0 व गाटा संख्या 68/0.200 हे0 कुल गाटा दो गाटा रकबा 0.400 हे0 भूमि का पुनर्ग्रहण संगीत महाविद्यालय की स्थापना हेतु कर लिया गया है।
जनपद वाराणसी में जन्मे प्रसिद्ध कवि, समाज सुधारक एवं चिन्तक तथा महान संत कबीर दास जी ने अपना पूरा जीवन सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ, शिक्षा के प्रसार एवं समाज को सही दिशा दिखाने में समर्पित किया है। उन्होंने अपने सारगर्भित दोहों के माध्यम से समाज में कुरीतियों को हटाने का भरपूर प्रयास किया। संत कबीर दास जी के उपदेशों एवं उनके दर्शन से वर्तमान एवं भावी पीढ़ियों को परिचित कराने हेतु वाराणसी में ‘संत कबीर संग्रहालय’ का निर्माण कराया जाना है। संत कबीर संग्रहालय की स्थापना हेतु सिद्धपीठ कबीरचौरा मठ, मूलगादी ट्रस्ट, कबीरचौरा, वाराणसी द्वारा कबीरचौरा परिसर में भूमि उपलब्ध कराए जाने की सैद्धान्तिक सहमति प्रदान की गयी है।
इसी प्रकार जनपद वाराणसी में अवस्थित गांव सीर-गोवर्धन में महान संत रविदास जी का भी जन्म हुआ था। संत रविदास जी ने समाज में जात-पात, छुआ-छूत, अंधविश्वास एवं समाज में फैली कुरीतियों के विरुद्ध जनजागरण का कार्य किया। संत रविदास जी ने अध्यात्म के साथ-साथ कर्म की प्रधानता को अपनी शिक्षाओं में प्रमुखता से स्थान दिया था। संत रविदास जी की स्मृतियों एवं उनकी शिक्षाओं को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए उनकी जन्मस्थली वाराणसी में ही ‘संत रविदास संग्रहालय’ का निर्माण कराया जाना है। संत रविदास संग्रहालय का निर्माण लोक कल्याण संकल्प पत्र से आच्छादित है।
सरकारी विभागों एवं शासकीय नियंत्रणाधीन उपक्रमों/निगमों/प्राधिकरणों/परिषदों आदि में हथकरघा निगम, यूपिका, खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, श्री गांधी आश्रम तथा हस्तशिल्प विकास एवं विपणन निगम द्वारा उत्पादित वस्त्रों की क्रय अनिवार्यता बढ़ाए जाने के सम्बन्ध में
मंत्रिपरिषद ने लघु एवं कुटीर इकाइयों के विकास तथा हथकरघा उद्योग से जुड़े बुनकरों के हित के दृष्टिगत निर्धारित शर्तों एवं प्रतिबन्धों के अधीन सरकारी विभागों एवं शासकीय नियंत्रणाधीन उपक्रमों/निगमों/प्राधिकरणों/परिषदों एवं स्वायत्तशासी संस्थाओं द्वारा उ0प्र0 राज्य हथकरघा निगम लि0, यूपिका, उ0प्र0 खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा वित्त पोषित एवं प्रमाणित संस्थायें एवं श्री गांधी आश्रम तथा उ0प्र0 हस्तशिल्प विकास एवं विपणन निगम द्वारा लघु एवं कुटीर तथा हथकरघा इकाइयों द्वारा उत्पादित वस्त्रों की क्रय अनिवार्यता की व्यवस्था को दिनांक 31 मार्च, 2025 तक बढ़ाए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश के औद्योगिक एवं आर्थिक विकास में लघु एवं कुटीर इकाइयों के महत्व तथा हथकरघा उद्योग से जुड़े बुनकरों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के दृष्टिगत शासनादेश संख्या-221/18-2-2019-12(एस0पी0)/2010, दिनांक 24 जुलाई, 2019 जारी किया गया था, जो 31 मार्च, 2022 तक प्रभावी था। इस व्यवस्था के अन्तर्गत सूटिंग एवं शर्टिंग, कॉटन बेड दरी, हक्का बैक/हनी कोम्ब/टेरी टॉवेल, साड़ी एवं धोती, बेड-शीट एवं पिलो कवर, परदे, ऊनी कम्बल, फर्शी दरी, ऊनी वर्दी का कपड़ा, गाज बैण्डेज क्लॉथ, दो सूती क्लॉथ प्रकार के उत्पाद तथा सामग्रियों का क्रय उल्लिखित संस्थाओं से किये जाने की अनिवार्यता की गयी।
उक्त व्यवस्था में क्रेता विभागों द्वारा निर्धारित किये गये मानक के अनुरूप गुणवत्ता का परीक्षण करने के उपरान्त ही सम्बन्धित संस्थाओं से विभागों को वस्त्रों की आपूर्ति की जाती है। इससे बुनकरों एवं हस्तशिल्पियों को रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं एवं उन्हें आर्थिक आय भी होती है तथा विपणन से जुड़ी संस्थाओं/उपक्रमों को आर्थिक लाभ होता है। इस व्यवस्था के अन्तर्गत लघु एवं कुटीर तथा हथकरघा इकाइयों द्वारा उत्पादित वस्त्रों के क्रय की अनिवार्यता हेतु आपूर्तिकर्ता संस्थाओं द्वारा विक्रय किये जाने वाले समस्त उत्पादों को चिन्हित ब्राण्ड के अन्तर्गत जेम पोर्टल के माध्यम से ही क्रय किया जायेगा।
ऽ क्रेता संस्था का दायित्व होगा कि वह आपूर्तिकर्ता संस्था को आपूर्ति की जाने वाली सामग्री की पूर्ण एवं स्पष्ट विशिष्टियां समय से उपलब्ध कराएं तथा आवश्यकतानुसार ऐसी सामग्री का सैम्पल अनुमोदित करें। इस निर्णय से सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों का विकास होगा एवं उनको बढ़ावा मिलेगा। यह व्यवस्था 24 वर्षों से अनवरत चली आ रही है, जिसे पुनः तीन वर्ष (दिनांक 31 मार्च, 2025) तक विस्तारित किया जाना श्रेयस्कर है।
उ0प्र0 स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज, लखनऊ के निर्माणाधीन भवन में अतिरिक्त कार्यों को कराये जाने तथा उच्च विशिष्टियों को प्रयुक्त करने का प्रस्ताव अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज, लखनऊ के निर्माणाधीन भवन में अतिरिक्त कार्यों को कराये जाने हेतु अनुमोदित लागत 3715.80 लाख रुपये के प्रस्ताव तथा प्रायोजना में प्रयुक्त होने वाली उच्च विशिष्टियों के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
प्रश्नगत प्रायोजना प्रस्ताव में वी0आर0वी0/बी0आर0एफ0 सिस्टम, एकाउस्टिक वाल पैनलिंग आदि का प्रावधान है, जो लोक निर्माण विभाग की निर्धारित विशिष्टियों से उच्च है, जिसमें धनराशि 1032.68 लाख रुपये की उच्च विशिष्टियां सम्मिलित हैं।
ज्ञातव्य है कि संस्थान की स्थापना से अपराधों की आधुनिक तकनीक से जांच, उसकी गुणवत्तापरक विवेचना तथा न्यायालयिक विज्ञान के क्षेत्र में प्रशिक्षित जनशक्ति की उपलब्धता में वृद्धि होगी। साथ ही, अध्ययन व अनुसंधान को सुगम बनाने, प्रोत्साहित करने और न्यायालयिक विज्ञान के साथ-साथ अप्रयुक्त व्यवहार विज्ञान, विधि, अपराध विज्ञान एवं अन्य सम्बद्ध क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त होगी।
उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज, लखनऊ की स्थापना हो जाने से राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक संस्थानों में समन्वय के साथ-साथ फॉरेंसिक साइंस में डिग्री प्रदान किया जाना सम्भव हो सकेगा। इंस्टीट्यूट की स्थापना का मुख्य उद्देश्य फॉरेंसिक साइंस, आचार विज्ञान, प्रौद्योगिकी और प्रबन्धन के क्षेत्र में अत्याधुनिक शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान प्रदान करने के लिए उत्कृष्ट केन्द्र की स्थापना करना है। आपराधिक मामलों की जांच, प्रबन्धन एवं संचालन में आवश्यक प्रौद्योगिकियों में विशेषज्ञता उत्पन्न करना, प्रशिक्षित जनशक्ति तैयार करना एवं प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों को एकीकृत करना भी इसके उद्देश्यों में शामिल है। संस्थान की स्थापना से युवाओं को गुणवत्ता एवं शोधपरक शिक्षा के साथ स्किल डेवलपमेण्ट का अवसर प्राप्त होगा तथा शिक्षण एवं शिक्षणेत्तर रोजगार सृजित होगा।
‘स्वामी विवेकानन्द युवा सशक्तीकरण योजना’ के अन्तर्गत प्रदेश के युवाओं के तकनीकी सशक्तीकरण हेतु सम्प्रति
स्टेट अर्बन डिजिटल मिशन, उ0प्र0 प्रारम्भ करने का प्रस्ताव अनुमोदित
मंत्रिपरिषद ने भारत सरकार द्वारा प्रारम्भ नेशनल अर्बन डिजिटल मिशन की भांति स्टेट अर्बन डिजिटल मिशन, उत्तर प्रदेश प्रारम्भ करने एवं इस हेतु मेमोरेण्डम ऑफ एसोसिएशन नियमावली पर तथा उक्त के सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अधीन पंजीकरण के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। मेमोरेण्डम ऑफ एसोसिएशन नियमावली तथा स्टेट अर्बन डिजिटल मिशन, उत्तर प्रदेश के उद्देश्य आदि में नियमानुसार परिवर्तन, परिवर्धन एवं संशोधन के लिए मंत्रिपरिषद द्वारा नगर विकास मंत्री को अधिकृत किया गया है।
स्टेट अर्बन डिजिटल मिशन, उत्तर प्रदेश (एस0यू0डी0एम0-यू0पी0) का क्रियान्वयन प्रथम चरण में प्रदेश के 17 नगर निगमों, जनपद मुख्यालय की नगर पालिका परिषदों/नगर पंचायतों में, तदोपरान्त प्रदेश की समस्त निकायों में रोल-आउट करते हुए किया जाएगा। इस कार्य के लिये आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं जनशक्ति की व्यवस्था भारत सरकार से इस सम्बन्ध में प्राप्त धनराशि से की जाएगी।
एस0यू0डी0एम0-यू0पी0 प्रदेश में नागरिकों को ऑनलाइन म्युनिसिपल सेवाएं उपलब्ध कराने, आवश्यक अनापत्तियां निर्गत कराने तथा इस हेतु डिजिटल तकनीक का प्रयोग करते हुए कार्यों में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से नगर विकास विभाग के अन्तर्गत नगरीय स्थानीय निकायों में समुचित, सक्षम, उपयुक्त, प्रभावी एवं नागरिक केन्द्रित सुविधाएं प्रदान कर प्रदेश को डिजिटली सशक्त बनाने का कार्य करेगा।
ईज ऑफ लिविंग के अन्तर्गत आई0टी0, आई0टी0ई0एस0 एवं अत्याधुनिक डिजिटल तकनीकों का उपयोग करते हुए नागरिक केन्द्रित सेवाओं का सुदृढ़ीकरण, उपलब्धता एवं उनका प्रभावी क्रियान्वयन कराना एस0यू0डी0एम0-यू0पी0 के उद्देश्यों में शामिल है। ईज ऑफ डूईंग बिजनेस को बढ़ावा देते हुए निर्धारित समय के अन्तर्गत आवश्यक अनापत्तियां निर्गत कराना, जी-2-जी सेवाओं का विकास, प्रबन्धन व संचालन, नगरीय निकायों के राजस्व स्रोतों में वृद्धि कराना भी इसके उद्देश्यों में सम्मिलित है।
एस0यू0डी0एम0-यू0पी0 को क्रियान्वित एवं संचालित करने हेतु राज्य सरकार से किसी भी प्रकार की अतिरिक्त वित्तीय सहायता की आवश्यकता नहीं होगी। इस प्रकार एस0यू0डी0एम0-यू0पी0 के सम्बन्ध में राज्य सरकार पर किसी प्रकार का अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं आएगा। प्रदेश के निकायों में नियोजन (प्लैनिंग), प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) एवं अभिनव प्रयोगों (इनोवेशन्स)/नवाचारों के रेप्लिकेशन (रेप्लिकेशन ऑफ इनोवेशन), तथा आदान-प्रदान (शेयरिंग, को-लर्निंग, क्रॉस-लर्निंग) किया जायेगा। अन्य प्रदेशों में किये गये नवाचारों एवं अभिनव प्रयोगों के विषय में जानकारी प्राप्त कर उनका लाभ निकायों को प्रदान कराने का कार्य भी उक्त मिशन द्वारा किया जाना है।
एस0यू0डी0एम0-यू0पी0 के अन्तर्गत आवश्यक तकनीकी सेवाएं प्रदेश/निकायों में प्रचलित विभिन्न मिशन्स/योजनाओं की सेवाओं/सुविधाओं के साथ समन्वित (इण्टीग्रेट) किया जायेगा। नगरीय स्थानीय निकायों में डिजिटल तकनीक का प्रयोग सुनिश्चित करने एवं उसके माध्यम से प्रदान की जाने वाली सुविधाओं के अनुश्रवण के फलस्वरूप उसके सापेक्ष होने वाली आय से नगरीय निकायों की आय में वृद्धि की सम्भावना है। ईज ऑफ लिविंग, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस एवं अन्य आवश्यक जी-2-जी सर्विसेज का विकास, प्रबन्धन एवं संचालन सुनिश्चित कराना। डिजिटल तकनीकों के माध्यम से द्विरावृत्ति को समाप्त कर धन एवं समय की बचत सुनिश्चित करना। समस्त नगरीय निकायों में म्युनिसिपल सेवाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराने के लिए अमृत 2.0 के रिफॉर्म एजेण्डा के अन्तर्गत ऑनलाइन म्युनिसिपल सेवा प्रणाली को विकसित किया जाना। नगर विकास विभाग के अधीन रहते हुए भारत सरकार के एन0यू0डी0एम0 एवं उसके प्लेटफॉर्म (यू0पी0यू0ओ0जी0) का उपयोग करते हुए नवाचार (इनोवेशन) सुनिश्चित कराना। विभिन्न शीर्ष संस्थाओं/अन्य राज्यों से भी अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एम0ओ0यू0 आदि करना। एस0यू0डी0एम0-यू0पी0 के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए नियमानुसार समस्त प्रकार के प्रयास एवं पहल (इनीशिएटिव) करना। समस्त म्युनिसिपल सेवाएं जनसामान्य को ऑनलाइन उपलब्ध कराना।
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