उ0प्र0 कैबिनेट मीटिंग में 22 प्रस्ताव पास - मानवी मीडिया

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Friday, March 10, 2023

उ0प्र0 कैबिनेट मीटिंग में 22 प्रस्ताव पास


लखनऊ (मानवी मीडिया)मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:- 

जनपद अयोध्या में एन0एच0-27 से नया घाट पुराने पुल तक मार्ग (धर्मपथ) 
(अन्य जिला मार्ग) के चैनेज 0.00 से 2.00 तक के मध्य (लम्बाई 02 कि0मी0) 
के चैड़ीकरण एवं विस्तारीकरण कराये जाने का प्रस्ताव अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने जनपद अयोध्या में एन0एच0-27 से नया घाट पुराने पुल तक मार्ग (धर्मपथ) (अन्य जिला मार्ग) के चैनेज 0.00 से 2.00 तक के मध्य (लम्बाई 02 कि0मी0) के चैड़ीकरण एवं विस्तारीकरण कार्य कराये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। प्रश्नगत मार्ग का पी0सी0यू0 आई0आर0सी0 मानकों से कम होने के कारण मार्ग के चैड़ीकरण एवं विस्तारीकरण कार्य कराये जाने हेतु पी0सी0यू0 में शिथिलीकरण प्रदान किये जाने तथा मार्ग निर्माण के साथ-साथ सर्विस रोड पर ब्यूटीफिकेशन व रेस्टिंग प्लेसेस का निर्माण कार्य किये जाने का प्रस्ताव भी अनुमोदित किया गया। मंत्रिपरिषद ने प्रश्नगत कार्य की महत्ता व तात्कालिकता के दृष्टिगत लोक निर्माण विभाग द्वारा एस0बी0डी0 पद्धति के अन्तर्गत वर्तमान में उपलब्ध भूमि पर एक माह में निविदा की प्रक्रिया को पूर्ण कर अनुबन्ध गठन की कार्यवाही कर कार्य प्रारम्भ किये जाने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति प्रदान कर दी है। 
ज्ञातव्य है कि प्रश्नगत मार्ग पर श्रद्धालुओं की संख्या मंे अप्रत्याशित वृद्धि को देखते हुए मार्ग के दोनों तरफ 9-9 मीटर की यूटिलिटी सर्विस लेन, मार्ग के दोनों तरफ 3-3 मीटर लैण्ड स्केप, मार्ग पर स्ट्रीट लाइटिंग जैसे विशिष्ट प्रकार के कार्य कराये जाने से पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं को अत्यन्त सुविधा होगी एवं भीड़-भाड़ के कारण होने वाली दुर्घटनाओं से बचा जा सकेगा। 
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जनपद अयोध्या में पंचकोसी परिक्रमा मार्ग (अन्य जिला मार्ग) के चैनेज 
0.00 से 10.775 तक के मध्य (लम्बाई 9.025 कि0मी0) 04-लेन में 
चैड़ीकरण एवं विस्तारीकरण कराये जाने का प्रस्ताव अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने जनपद अयोध्या में पंचकोसी परिक्रमा मार्ग (अन्य जिला मार्ग) के चैनेज 0.00 से 10.775 तक के मध्य (लम्बाई 9.025 कि0मी0) 04-लेन में चैड़ीकरण एवं विस्तारीकरण कार्य कराये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। प्रश्नगत मार्ग का पी0सी0यू0 आई0आर0सी0 मानकों से कम होने के कारण मार्ग के 04-लेन चैड़ीकरण एवं विस्तारीकरण कार्य कराये जाने हेतु पी0सी0यू0 में शिथिलीकरण प्रदान किये जाने तथा मार्ग निर्माण के साथ-साथ सर्विस रोड पर ब्यूटीफिकेशन व रेस्टिंग प्लेसेस का निर्माण कार्य किये जाने का प्रस्ताव अनुमोदित किया गया। 
मंत्रिपरिषद ने जनपद अयोध्या में पंचकोसी परिक्रमा मार्ग (अन्य जिला मार्ग) के चैनेज 0.00 से 10.775 तक के मध्य (लम्बाई 9.025 कि0मी0) 04-लेन में चैड़ीकरण एवं विस्तारीकरण कार्य की सम्पूर्ण परियोजना तथा व्यय वित्त समिति द्वारा अनुमोदित लागत 47322.10 लाख रुपये (04 अरब 73 करोड़ 22 लाख 10 हजार रुपये मात्र) के व्यय प्रस्ताव को भी अनुमोदन प्रदान किया है। 
प्रश्नगत कार्य की महत्ता व तात्कालिकता के दृष्टिगत लोक निर्माण विभाग द्वारा एस0बी0डी0 पद्धति के अन्तर्गत वर्तमान में उपलब्ध भूमि पर एक माह में निविदा की प्रक्रिया को पूर्ण कर अनुबन्ध गठन की कार्यवाही कर कार्य प्रारम्भ किये जाने तथा भूमि अधिग्रहण की प्रगति के साथ ही मार्ग निर्माण का कार्य कराये जाने को भी मंत्रिपरिषद ने स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि अयोध्या धाम में प्रतिवर्ष दीपावली पर राष्ट्रीय स्तर का दिव्य दीपोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जिसमें देश-विदेश के पर्यटक एवं भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। पंचकोसी परिक्रमा मार्ग पर प्रतिवर्ष कार्तिक माह में पंचकोसी परिक्रमा होती है, जिसमें लाखों श्रद्धालु देश के विभिन्न भाग से परिक्रमा हेतु आते हैं। मन्दिर निर्माण प्रारम्भ होने के पश्चात अयोध्या में दर्शनार्थियों एवं परिक्रमार्थियों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हो रही है। वर्तमान में परिक्रमा मार्ग की चैड़ाई 3.50 मीटर से 07 मीटर तक है। इस परिक्रमा मार्ग पर श्रद्धालुओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि को देखते हुए मार्ग के 04-लेन में चैड़ीकरण एवं विस्तारीकरण हो जाने से श्रद्धालुओं को परिक्रमा करने में अत्यन्त सुविधा होगी एवं भीड़-भाड़ के कारण होने वाली दुर्घटनाओं से बचा जा सकेगा। 
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जनपद अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा मार्ग (अन्य जिला मार्ग) के 
चैनेज 0.00 से 25.393 तक के मध्य (लम्बाई 23.943 कि0मी0) 04-लेन 
में चैड़ीकरण एवं विस्तारीकरण कराये जाने का प्रस्ताव अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने जनपद अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा मार्ग (अन्य जिला मार्ग) के चैनेज 0.00 से 25.393 तक के मध्य (लम्बाई 23.943 कि0मी0) 04-लेन में चैड़ीकरण एवं विस्तारीकरण कार्य कराये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। प्रश्नगत मार्ग का पी0सी0यू0 आई0आर0सी0 मानकों से कम होने के कारण मार्ग के 04-लेन चैड़ीकरण एवं विस्तारीकरण कार्य कराये जाने हेतु पी0सी0यू0 में शिथिलीकरण प्रदान किये जाने तथा मार्ग निर्माण के साथ-साथ सर्विस रोड पर ब्यूटीफिकेशन व रेस्टिंग प्लेसेस का निर्माण कार्य किये जाने का प्रस्ताव अनुमोदित किया गया। 
मंत्रिपरिषद ने जनपद अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा मार्ग (अन्य जिला मार्ग) के चैनेज 0.00 से 25.393 तक के मध्य (लम्बाई 23.943 कि0मी0) 04-लेन मंे चैड़ीकरण एवं विस्तारीकरण कार्य की सम्पूर्ण परियोजना तथा व्यय वित्त समिति द्वारा अनुमोदित लागत 114024.06 लाख रुपये (11 अरब 40 करोड़ 24 लाख 06 हजार रुपये मात्र) के व्यय प्रस्ताव को भी अनुमोदन प्रदान किया है। 
प्रश्नगत कार्य की महत्ता व तात्कालिकता के दृष्टिगत लोक निर्माण विभाग द्वारा एस0बी0डी0 पद्धति के अन्तर्गत वर्तमान में उपलब्ध भूमि पर एक माह में निविदा की प्रक्रिया को पूर्ण कर अनुबन्ध गठन की कार्यवाही कर कार्य प्रारम्भ कराये जाने तथा भूमि अधिग्रहण की प्रगति के साथ ही मार्ग निर्माण का कार्य कराये जाने को भी मंत्रिपरिषद ने स्वीकृति प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि अयोध्या धाम में प्रतिवर्ष दीपावली पर राष्ट्रीय स्तर का दिव्य दीपोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जिसमें देश-विदेश के पर्यटक एवं भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। 14 कोसी परिक्रमा मार्ग पर प्रतिवर्ष कार्तिक माह में 14 कोसी परिक्रमा होती है, जिसमें देश के विभिन्न भाग से लाखों श्रद्धालु परिक्रमा हेतु आते हैं। मन्दिर निर्माण प्रारम्भ होने के पश्चात अयोध्या में दर्शनार्थियों एवं परिक्रमार्थियों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हो रही है। वर्तमान में परिक्रमा मार्ग की चैड़ाई 07 मीटर है। इस परिक्रमा मार्ग पर श्रद्धालुओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि को देखते हुए मार्ग के 04-लेन में चैड़ीकरण एवं विस्तारीकरण हो जाने से श्रद्धालुओं को परिक्रमा करने में अत्यन्त सुविधा होगी एवं भीड़-भाड़ के कारण होने वाली दुर्घटनाओं से बचा जा सकेगा। 
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रायबरेली-डलमऊ-फतेहपुर मार्ग (राज्य राजमार्ग-13ए) के 
कि0मी0 4.350से कि0मी0 5.050 का 04 लेन में चैड़ीकरण एवं 
सुदृढ़ीकरण कराए जाने हेतु पी0सी0यू0 शिथिलीकरण के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने जनपद रायबरेली के रायबरेली-डलमऊ-फतेहपुर मार्ग (राज्य राजमार्ग-13ए) के कि0मी0 4.350 से कि0मी0 5.050 (लम्बाई 0.700 कि0मी0) का 04 लेन में चैड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण कराए जाने हेतु पी0सी0यू0 शिथिलीकरण किए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। 
उल्लेखनीय है कि जनपद-रायबरेली में रायबरेली-डलमऊ-फतेहपुर मार्ग (राज्य राजमार्ग-13ए) लखनऊ-प्रयागराज राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-24बी के कि0मी0 3.850 से निकलता है, जिसकी कुल लम्बाई 29.463 कि0मी0 एवं लेपित चैड़ाई 7.00 मी0 है। इस मार्ग के कि0मी0 04 पर एम्स रायबरेली स्थित है, जिसमें इलाज हेतु जनपद रायबरेली एवं अन्य सीमान्त जनपदों से रोगी आते हैं। इस मार्ग के 04 कि0मी0 पर स्थित एम्स, रायबरेली के सामने आबादी भाग में जलभराव के कारण सड़क क्षतिग्रस्त है, जिससे जनसामान्य के आवागमन में अत्यन्त कठिनाई का सामना करना पड़ता है और दूरस्थ जनपदों से गम्भीर रूप से बीमार मरीजों को ला रही एम्बुलेंस भी जाम में फंस जाती है, जिससे एम्बुलेंस को एम्स तक पहुंचने में बहुत अधिक समय लगता है। इस परिस्थिति में एम्स, रायबरेली के सामने 0.700 कि0मी0 04 लेन मार्ग का निर्माण किया जाना आवश्यक है। इस मार्ग का वर्तमान पी0सी0यू0 12,033 है, जबकि मार्ग के 04 लेन में चैड़ीकरण हेतु 18,000 पी0सी0यू0 होना आवश्यक है। 
प्रश्नगत परियोजना की आकलित लागत 728.93 लाख रुपये है। परियोजना का कार्य स्वीकृति से 12 माह में पूर्ण किया जाना प्रस्तावित है। इस मार्ग के चैड़ीकरण से आबादी भाग में जलभराव तथा एम्स, रायबरेली आने वाले मरीजों के जाम की समस्या से मुक्ति मिलेगी। साथ ही, आम जनमानस को आवागमन में सुविधा होगी। 
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उ0प्र0 खेल नीति-2023 स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश खेल नीति-2023 को स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह नीति प्रदेश को स्पोटर््स प्रमोशन और डेवलपमेण्ट में एक लीडर के रूप मे स्थापित करने के उद्देश्य से विकसित की गयी है। 
उत्तर प्रदेश खेल नीति-2023 का उद्देश्य एक मजबूत प्रतिभा, पहचान और विकास संरचना की स्थापना करते हुए बच्चों एवं युवाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करना, कम उम्र में प्रतिभा को पहचानना और उन्हें उत्कृष्टता के लिए पोषित करना, खेल उत्कृष्टता का प्रयास करने वाले सभी एथलीटों के लिए व्यवस्थित और वैज्ञानिक प्रशिक्षण सहायता प्रदान करना, सभी को पर्याप्त स्तर-उपयुक्त प्रशिक्षण अवसंरचना प्रदान करना, खेलों तक पहुंच को बढ़ावा देने के लिए शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पर्याप्त खेल, बुनियादी ढांचे का विकास, उन्नयन, उपयोग और रख-रखाव करना और आयोजनों की मेजबानी के लिए बुनियादी ढांचे सहित ईको सिस्टम को मजबूत करना, सार्वजनिक निजी भागीदारी/पब्लिक एसोसिएशन पार्टनरशिप/पब्लिक फेडरेशन पार्टनरशिप के जरिए बुनियादी ढांचे सहित खेल ईको सिस्टम को मजबूत करना, निजी क्षेत्र की खेल अकादमियों/सुविधाओं को वित्तीय/तकनीकी सहायता उपलब्ध कराकर प्रदेश में अधिक से अधिक खेल सुविधाएं सृजित करना आदि है। 
उत्तर प्रदेश खेल नीति-2023 के प्रमुख घटकों में खेल उद्योग विकास, खेल और फिटनेस की संस्कृति को बढ़ावा देना, खेल के माध्यम से समावेश को बढ़ावा देना, बुनियादी ढांचे का निर्माण और उपयोग, आयोजनों और प्रतियोगिताओं की मेजबानी और संचालन, खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों के लिए पुरस्कार और प्रोत्साहन, प्रतिभा की पहचान और विकास सम्मिलित हैं। नीति में खेल में ‘न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन’ सुनिश्चित करने के लिए एकीकृत डिजिटल सिस्टम और उपकरण विकसित करने तथा खिलाड़ियों के प्रदर्शन को बढ़ाने और मापने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग की व्यवस्था है। इस नीति से जुड़ी रणनीतियों एवं पहलुओं के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक राज्य खेल प्राधिकरण की स्थापना की जाएगी। प्रदेश सरकार के खेल विभाग के तहत यह स्वायत्त निकाय राज्य सरकार की नीति को लागू करने, संसाधनों को जोड़ने और निगरानी करने तथा कार्यान्वयन की स्थिति के बारे में विभाग को रिपोर्ट करने के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ समन्वय और सहयोग करेगा। 
प्रतिभा की पहचान और विकास स्पोटर््स ईको सिस्टम के सबसे महत्वपूर्ण घटकों में से एक है। खिलाड़ियों को 03 श्रेणियों-ग्रास रूट स्तर के खिलाड़ी, विकासात्मक स्तर के खिलाड़ी तथा उच्च स्तर के खिलाड़ी के रूप में वगीकृत किए जाने की व्यवस्था है। प्रत्येक जनपद में उभरती प्रतिभाओं की खोज एवं विकास हेतु एक कमेटी बनायी जाएगी, जिसमें सभी खेल संघों के प्रतिनिधि तथा सम्बन्धित जनपद के क्रीड़ाधिकारी/उप क्रीड़ाधिकारी रहेंगे, जो प्रत्येक वर्ष हर जिले से 05-05 खिलाड़ी चुनेंगे। स्पोटर््स काॅलेज और छात्रावास के लिए खिलाड़ियों का चयन पुराने वर्षों के अच्छे खिलाड़ियों द्वारा किए जाने का उल्लेख है। खेल महाविद्यालय/छात्रावास कर्मचारियों, प्रशिक्षकों आदि की चयन प्रक्रिया में कोई संलिप्तता नहीं होगी। स्पोटर््स काॅलेज/छात्रावास में प्रशिक्षकों की देखभाल के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक/चिकित्सक नियुक्त किए जाएंगे। 
खेल विभाग खेलों को 03 विभिन्न श्रेणियों-उच्च प्राथमिकता वाले खेल, प्राथमिकता वाले खेल और सामान्य खेल में विभाजित करेगा। प्राथमिकता देने से विभाग को उन खेलों पर अधिक ध्यान देने में मदद मिलेगी, जो ओलम्पिक और पैरालम्पिक जैसे प्रमुख आयोजनों में सफलता देने की अधिक सम्भावना रखते हैं। 
खेल विभाग खेल भागीदारी के हर स्तर पर बुनियादी ढांचे को उन्नत और विकसित करने की योजना बना रहा है। इसके तहत खेल नर्सरी, उन्नत प्रशिक्षण केन्द्र (ए0टी0सी0), उत्कृष्टता केन्द्र (सी0ओ0ई0), उच्च प्रदर्शन केन्द्र (एच0पी0सी0) जैसे प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना की जाएगी। अगले 05 वर्ष में राज्य में कम से कम 14 उत्कृष्टता केन्द्र तथा 05 उच्च प्रदर्शन केन्द्र स्थापित किए जाएंगे। प्रत्येक जिले में जिला केन्द्र बनाए जाएंगे। खेल और शारीरिक गतिविधि की संस्कृति को बढ़ावा देने के अन्तर्गत खेल विभाग और शिक्षा विभाग राज्य के सभी स्कूलों के लिए शिक्षा पाठ्यक्रम के भीतर खेल को एकीकृत करने के लिए मिलकर काम करेंगे। फिट-यू0पी0 आन्दोलन के तहत विकसित की गयी पहलों को सभी प्रासंगिक समूहों-बच्चों, वयस्कों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए पूरे राज्य में व्यापक रूप से प्रचारित एवं कार्यान्वित किया जाएगा। 
खेल नीति का उद्देश्य खिलाड़ियों की भागीदारी सम्बन्धी आवश्यकताओं और उनके खेल कैरियर के दौरान और बाद में उनकी समग्र भलाई को पूरा करना है। इसलिए खिलाड़ियों को पुरस्कार/प्रोत्साहन/सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न पहल की जाएगी। खिलाड़ियों को विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय आयोजनों में उनके प्रदर्शन के लिए नगद पुरस्कार दिए जाएंगे। विभाग न केवल व्यक्तिगत एथलीटों के लिए बल्कि टीमों के लिए उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए खिलाड़ियों का समर्थन करने वाले कर्मियों के लिए भी वार्षिक पुरस्कारों की संख्या में वृद्धि करेगा।
आयुष्मान योजना के तहत प्रदेश में खेल योजनाओं के सभी एथलीट, कोच और खेल विज्ञान कर्मचारी और उनके परिवारों को 05 लाख रुपये का कैशलेस स्वास्थ्य बीमा कवर किया जाएगा। इन सभी कर्मियों को पर्याप्त कवरेज के साथ व्यक्तिगत दुर्घना बीमा पाॅलिसी द्वारा भी कवर किया जाएगा। सभी खिलाड़ी, जिन्होंने वरिष्ठ राष्ट्रीय स्तर और उससे ऊपर राज्य का प्रतिनिधित्व किया है, वे खिलाड़ियों के लिए राज्य पेंशन योजना का हिस्सा होंगे। इन खिलाड़ियों को, जिस स्तर पर उन्होंने भाग लिया है, उसके आधार पर मासिक पेंशन दी जाएगी। सरकारी नौकरियों की भर्ती में खेल कोटा तथा एथलीटों के लिए विश्वविद्यालयों में प्रवेश की व्यवस्था होगी। 
खेलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए अगले 05 वर्ष में विशेष रूप से नर्सरी स्तर की खेल अकादमियां शुरू की जाएंगी। पैरा स्पोटर््स पर फोकस के लिए पैरा स्पोटर््स और पैरा एथलीट को विभाग की हर योजना में शामिल किया जाएगा। राज्य द्वारा पैरा स्पोटर््स के लिए विशेष प्रशिक्षकों की भर्ती की जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों की भागीदारी के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिभा खोज का आयोजन तथा खेल अकादमियों में उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की पहचान एवं इन खेल अकादमियों का वित्त पोषण भी किया जाएगा। स्वदेशी खेलों और जल क्रीड़ाओं के संवर्धन के प्रयास भी किए जाएंगे। राज्य में खेल उपकरण के लिए विनिर्माण क्लस्टर विकसित करने और खेल क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए जाएंगे। 
राज्य सरकार 10 करोड़ रुपये के प्रारम्भिक कोष के साथ उत्तर प्रदेश खेल विकास कोष बनाएगी। खेल विभाग, उद्योग निदेशालय के सहयोग से, राज्य के भीतर खेल के सामान के निर्माण को बढ़ावा देने और प्रोत्साहन देने के लिए एक रणनीति तैयार करेगा। प्रदेश में पहले से ही मेरठ में एक सम्पन्न खेल सामग्री क्लस्टर है। प्रदेश को स्पोटर््स गुड्स प्रोडक्शन हब के रूप में स्थापित करने के लिए अतिरिक्त क्लस्टर भी स्थापित किए जाएंगे। खेल विभाग राज्य से खेल सामग्री को निर्यात को बढ़ावा देने का भी प्रयास करेगा। मेरठ में मेजर ध्यानचन्द खेल विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है। राज्य में निजी खेल विश्वविद्यालय की स्थापना को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। खेल विभाग खेल आधारित स्टार्ट-अप के लिए इन्क्यूवेशन सेल स्थापित करेगा। 
ई-स्पोटर््स युवाओं तक पहुंचने का महत्वपूर्ण साधन है। एक स्वस्थ वातावरण और विकसित खेल पारिस्थितिकी खेल तंत्र की आवश्यकता को महसूस करते हुए प्रदेश का खेल विभाग आधिकारिक तौर पर अपनी खेल नीति में ई-स्पोटर््स को शामिल करने वाला पहला राज्य बन गया है। ई-स्पोटर््स को विकसित करने और बढ़ावा देने के लिए स्कूल/काॅलेज स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम, प्रतिभा पहचान और प्रतिभा विकास माॅडल विकसित करने का प्रयास किया जाएगा। राज्य में एक ई-स्पोटर््स सेण्टर स्थापित करने के लिए निजी क्षेत्र की संस्थाओं का समर्थन किया जाएगा, जिसमें हर जिले में ई-स्पोटर््स एथलीटों के लिए समर्पित बुनियादी ढांचा हो। नीति के कार्यान्वयन और निगरानी के लिए राज्य सरकार एक स्वायत्त निकाय (राज्य खेल प्राधिकरण) का गठन करेगी। 
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‘उ0प्र0 राज्य सरकार की हवाई पट्टियों के उपयोग हेतु नीति, 2023’ स्वीकृत

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश सरकार के स्वामित्व की हवाई पट्टियों एवं वहां पर अन्य परिसम्पत्तियों को निजी संस्थाओं द्वारा उड्डयन क्षेत्र में प्रशिक्षण व अन्य गतिविधियां संचालित करने के लिए अनुमति दिए जाने के सम्बन्ध में प्रख्यापित नीति दिनांक 18 अगस्त, 2021 को अवक्रमित करते हुए ‘उत्तर प्रदेश राज्य सरकार की हवाई पट्टियों के उपयोग हेतु नीति, 2023’ को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
‘उत्तर प्रदेश राज्य सरकार की हवाई पट्टियों के उपयोग हेतु नीति, 2023’ के मुख्य बिन्दु इस प्रकार हंैः-
नागरिक उड्डयन विभाग धनीपुर (अलीगढ़), सैफई (इटावा), रसूलाबाद (कानपुर देहात), फर्रुखाबाद, श्रावस्ती, आजमगढ,़ अकबरपुर (अम्बेडकरनगर), अमहट (सुल्तानपुर), अन्धऊ (गाजीपुर), पलिया (खीरी), चित्रकूट, म्योरपुर (सोनभद्र), झाँसी, ललितपुर, मेरठ, मुरादाबाद तथा अयोध्या जनपदों में स्थित कुल 17 हवाई पट्टियों तथा उन पर निर्मित परिसम्पत्तियों (हैंगर, भवन आदि) को उड्डयन क्षेत्र में उड़ान प्रशिक्षण संस्थान (फ्लाईट ट्रेनिंग ऑर्गेनाइजेशन), एम0आर0ओ0, ए0एम0ई0 प्रशिक्षण एवं टेस्ट बेड तथा एयरो स्पोटर््स, मास्टर कन्सैशनेयर सहित अन्य विमानन सहायक गतिविधियां एवं सेवाएं संचालित करने हेतु चयनित निजी संस्थाओं (फ्लाईंग क्लब/एकेडमी) द्वारा उपयोग करने हेतु अनुमति प्रदान कर सकता है। 
नीति का कार्यक्षेत्र इस प्रकार हैः-(श्रेणी-अ) उड़ान प्रशिक्षण संस्थान (फ्लाईट ट्रेनिंग ऑर्गेनाइजेशन), (श्रेणी-ब) एम0आर0ओ0, ए0एम0ई0 एवं टैस्ट बेड, (श्रेणी-स) एयरो स्पोट्र्स, (श्रेणी-द) मास्टर कन्सैशनेयर सहित अन्य विमानन सहायक गतिविधियां एवं सेवाएं।
श्रेणी-अ के अन्तर्गत सफल उड़ान प्रशिक्षण संस्थान (फ्लाईट ट्रेनिंग ऑर्गेनाइजेशन) को राज्य सरकार से एकल अनुमोदन के अन्तर्गत चयनित हवाई पट्टी पर उड़ान प्रशिक्षण संस्थान (फ्लाईट ट्रेनिंग ऑर्गेनाइजेशन) की स्थापना/संचालन, विभिन्न लाइसेन्स यथा पायलट लाइसेन्स, प्राइवेट पायलट लाइसेन्स, कॉमर्शियल पायलट लाइसेन्स, मल्टी इंजन रेटिंग आदि के लिए ग्राउण्ड ट्रेनिंग एवं फ्लाईट इंस्ट्रक्शन, सिमुलेटर प्रशिक्षण, ग्लाइडिंग प्रशिक्षण, ड्रोन पायलट/ऑपरेटर लाइसेन्स प्रशिक्षण, डे ऐण्ड नाईट फ्लाईट ट्रेनिंग, मल्टी रोटर के साथ फिक्स्ड विंग ड्रोन ट्रेनिंग तथा नागरिक उड्डयन विभाग, उ0प्र0 की पूर्व अनुमति से अन्य उड़ान प्रशिक्षण सम्बन्धी गतिविधियों को सम्पादित करने की अनुमति प्रदान की जाएगी। उपयुक्त गतिविधियों को संचालित करने वाले संगठनों का चयन सार्वजनिक खरीद/अभिरूचि की अभिव्यक्ति (ई0ओ0आई0) के माध्यम से किया जाएगा।
श्रेणी-ब के अन्तर्गत सफल संगठन को राज्य सरकार से एकल अनुमोदन के अन्तर्गत चयनित हवाई पट्टी पर विमान एवं इंजन रख-रखाव, मरम्मत तथा ओवरहॉल गतिविधियों के लिए अनुमोदित एवं मान्यता प्राप्त बेस मैन्टेनेन्स केन्द्रों की स्थापना/ संचालन, एयरक्राफ्ट मैन्टेनेन्स इंजीनियरिंग के छात्रों हेतु प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना, विमानन सम्बन्धी विभिन्न उपकरणों/विमानों के लिए टैस्ट बेड उपलब्ध कराया जाना तथा नागरिक उड्डयन विभाग, उ0प्र0 की पूर्व अनुमति से अन्य रख-रखाव या सम्बन्धित तकनीकी गतिविधियों को सम्पादित करने की अनुमति प्रदान की जाएगी। इन गतिविधियों को संचालित करने वाले संगठनों का चयन सार्वजनिक खरीद/अभिरूचि की अभिव्यक्ति (ई0ओ0आई0) के माध्यम से किया जाएगा।
श्रेणी-स के अन्तर्गत सफल संगठन को राज्य सरकार से एकल अनुमोदन के अन्तर्गत चयनित हवाई पट्टी पर एयरो स्पोट्र्स यथा एयरो मॉडलिंग, स्काई डाइविंग, माइक्रो लाइट फ्लाइंग, पैरा ग्लाइडिंग/पावर पैरा ग्लाइडिंग, पैरा सेलिंग, मोटर ग्लाइडिंग/पैरा मोटर्स, हैंग ग्लाइडिंग/पावर हैंग ग्लाइडिंग, छोटे ड्रोन फ्लाइंग, हॉट एयर बैलूनिंग तथा नागरिक उड्डयन विभाग, उ0प्र0 की पूर्व अनुमति से अन्य एयरो स्पोट्र्स गतिविधियों को सम्पादित करने की अनुमति प्रदान की जाएगी। इन गतिविधियों को संचालित करने वाले संगठनों का चयन ऑन डिमान्ड तथा केस टू केस बेसिस के माध्यम से किया जाएगा।
श्रेणी-द के अन्तर्गत मास्टर कन्सेशनेयर सहित अन्य विमानन सहायक गतिविधियां एवं सेवाएं संचालित करने के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करने हेतु हाईनेट वर्थ इन्डीविजुअल्स, विमानन ऑपरेटरों, अनुसूचित एयरलाइन ऑपरेटरों व अन्य विमानन संगठनों को आमन्त्रित किया जाएगा। मास्टर कन्सेशनेयर के रूप में किसी एक हवाई पट्टी पर विभिन्न प्रकार की एविएशन गतिविधियों का संचालन किया जा सकता है. मूल्यांकनोपरान्त नागरिक उड्डयन विभाग द्वारा सार्वजनिक खरीद/स्विस चैलेन्ज के माध्यम से सार्वजनिक हित में इस प्रकार के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा।
श्रेणी अ,ब,स एवं द में उल्लिखित एविएशन गतिविधियां में फ्लाईट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की स्थापना हेतु निजी संस्था को हवाई पट्टी के उपयोग की अनुमति 20 वर्षों के लिए अस्थाई तौर पर दी जाएगी, जिसे 10 वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है। एम0आर0ओ0 एवं टेस्ट बेड, ए0एम0ई0 की स्थापना हेतु निजी संस्था को हवाई पट्टी के उपयोग की अनुमति 20 वर्षों के लिए अस्थाई तौर पर दी जाएगी, जिसे 10 वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है। एयरो स्पोट्र्स एवं मास्टर कन्सेशनेयर के लिए राज्य सरकार केस टू केस बेसिस पर निर्णय लेगी।
निजी संस्था को श्रेणी अ एवं ब से सम्बन्धित गतिविधियों के संचालन हेतु हवाई पट्टी के उपयोग के लिए फीस के रूप में रिजर्व लीज रेन्टल एवं लाइसेन्स शुल्क का भुगतान प्रतिवर्ष राज्य सरकार को करना होगा, जिसे प्रतिवर्ष 05 प्रतिशत की दर से बढ़ाया जाएगा। प्रत्येक हवाई पट्टी पर उड़ान प्रशिक्षण संस्थान (फ्लाईट ट्रेनिंग ऑर्गेनाइजेशन) तथा एम0आर0ओ0 संगठनों के लिए पृथक-पृथक रिजर्व लीज रेण्टल (लीज प्रीमियम) नियत किए गए हैं। इच्छुक संगठनों को श्रेणी-अ एवं ब से सम्बन्धित गतिविधियों के संचालन हेतु न्यूनतम रिजर्व लीज रेण्टल (लीज प्रीमियम) की धनराशि के बराबर अथवा उससे उच्च बिड करनी होगी तथा चयनित संगठनों को नियत लाइसेन्स फीस का भुगतान भी प्रति वर्ष करना होगा (लाइसैन्स फीस प्रत्येक हवाई पट्टी पर उड़ान प्रशिक्षण संस्थान तथा एम0आर0ओ0 संगठनों के लिए पृथक-पृथक निर्धारित की गई है।) प्रत्येक वर्ष फीस विगत वर्ष के शुल्क की तुलना में 05 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि की दर से बढ़ायी जाएगी। श्रेणी-अ एवं ब से सम्बन्धित गतिविधियों हेतु चयनित निजी संस्था को अनुसूचित बैंक के द्वारा जारी परफॉर्मेन्स बैंक गारन्टी भी जमा करनी होगी जिसकी वैधता अवधि 02 वर्षों के लिए होगी।
निजी संस्था को श्रेणी स से सम्बन्धित गतिविधियों के संचालन हेतु हवाई पट्टी के उपयोग के लिए निर्धारित शुल्क का उल्लेख नीति के अनुलग्नक में किया गया है। निजी संस्था को श्रेणी द से सम्बन्धित गतिविधियों के संचालन हेतु हवाई पट्टी के उपयोग के लिए शुल्क का निर्धारण राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक खरीद/स्विस चैलेन्ज के माध्यम से किया जाएगा।
नागरिक उड्डयन विभाग द्वारा उड़ान प्रशिक्षण संस्थान (फ्लाईट ट्रेनिंग ऑर्गेनाइजेशन) तथा एम0आर0ओ0 संगठनों के प्रयोजनार्थ चिन्हित हवाई पट्टी के उपयोग हेतु प्रस्तावित/वास्तविक भूमि का आकार/क्षेत्रफल निर्धारित किया जाएगा। उड़ान प्रशिक्षण संस्थान (फ्लाईट ट्रेनिंग ऑर्गेनाइजेशन) हेतु न्यूनतम आवश्यक भूमि का आकार/ क्षेत्रफल 1000 वर्ग मीटर तथा एम0आर0ओ0 संगठनों के लिए न्यूनतम 200 वर्ग मीटर निर्धारित है। एयरो स्पोट्र्स गतिविधियों हेतु चिन्हित हवाई पट्टी पर 50 वर्गमीटर का क्षेत्रफल अस्थायी रूप से आवंटित किया जाएगा। अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता होने पर लैण्ड बैंक की उपलब्धता तथा तत्समय प्रचलित लैण्ड लीज रैण्टल के आधार पर केस-टू-केस बेसिस पर किराए का निर्धारण नागरिक उड्डयन विभाग द्वारा किया जाएगा।
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प्रदेश के नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों की उचित दर दुकानों में इलेक्ट्राॅनिक
वेइंग मशीन सहित ई-पाॅस मशीनों की स्थापना एवं संचालन के 
लिए सिस्टम इण्टीग्रेटर संस्थाओं के चयन के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों की उचित दर दुकानों में इलेक्ट्राॅनिक वेइंग मशीन सहित ई-पाॅस मशीनों की स्थापना एवं संचालन के लिए सिस्टम इण्टीग्रेटर संस्थाओं के चयन के सम्बन्ध में प्रस्तुत प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। 
प्रदेश में समस्त उचित दर दुकानों में 05 वर्षों के लिए सिस्टम इण्टीग्रेटर पर आधारित बी0ओ0ओ0 (बिल्ड, ओन, आॅपरेट) आधारित माॅडल पर ई-पाॅस मशीनों की स्थापना की गयी थी, जिसकी अनुबंध अवधि, 2023 में समाप्त हो रही है। इलेक्ट्राॅनिक वेइंग मशीन सहित ई-पाॅस मशीनों की स्थापना व संचालन हेतु ई-टेण्डर की कार्यवाही की जानी है। 
इलेक्ट्राॅनिक वेइंग मशीन सहित ई-पाॅस मशीनों की स्थापना एवं संचालन हेतु आर0एफ0पी0 तैयार करने तथा टेण्डर फ्लोट किए जाने के लिए यू0पी0डेस्को को कार्यदायी संस्था नामित किया गया है। कार्यदायी संस्था द्वारा तैयार आर0एफ0पी0 पर मंत्रिपरिषद का अनुमोदन प्रस्तावित है। तैयार आर0एफ0पी0 के आधार पर प्री-बिड आमंत्रित की जाएगी। प्री-बिड में प्राप्त बिडर्स के सुझावों के आलोक में आर0एफ0पी0 केा अंतिम रूप देते हुए, ई-टेण्डर की कार्यवाही की जाएगी। 
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खेलो इण्डिया यूनिवर्सिटी गेम्स का आयोजन उ0प्र0 में कराए जाने हेतु विभिन्न कमेटियों के गठन के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने खेलो इण्डिया यूनिवर्सिटी गेम्स का आयोजन उत्तर प्रदेश में कराए जाने हेतु विभिन्न कमेटियों के गठन के सम्बन्ध में प्रस्तुत प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। 
इसके तहत खेलो इण्डिया यूनिवर्सिटी गेम्स के आयोजन हेतु मुख्य कार्यकारी अधिकारी/संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी की समिति गठित की गयी है। अपर मुख्य सचिव खेल एवं युवा कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश शासन खेलो इण्डिया यूनिवर्सिटी गेम्स का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (खेलों से सम्बन्धित सभी मामलों में सम्पूर्ण पर्यवेक्षण) बनाया गया है। इसके अतिरिक्त 05 संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी समिति में सम्मिलित हैं। 
खेलो इण्डिया यूनिवर्सिटी गेम्स के आयोजन हेतु राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), खेल एवं युवा कल्याण उत्तर प्रदेश की अध्यक्षता में आयोजन समिति का गठन किया गया है। मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में खेलो इण्डिया यूनिवर्सिटी गेम्स के आयोजन हेतु कार्यकारी समिति गठित की गयी है। सचिव, युवा मामले एवं खेल मंत्रालय, भारत सरकार कार्यकारी समिति के सह अध्यक्ष तथा अपर मुख्य सचिव खेल एवं युवा कल्याण उत्तर प्रदेश शासन उपाध्यक्ष हैं। निदेशक खेल उत्तर प्रदेश कार्यकारी समिति के संयोजक सदस्य हैं। 
खेलो इण्डिया यूनिवर्सिटी गेम्स के आयोजन हेतु अपर मुख्य सचिव खेल एवं युवा कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में वित्त समिति तथा आयुक्त लखनऊ मण्डल, वाराणसी मण्डल, गोरखपुर मण्डल एवं मेरठ मण्डल की अध्यक्षता में स्थानीय समितियां गठित की गयी हैं। 
उल्लेखनीय है कि यूनिवर्सिटी गेम्स पहली बार उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित है। यूनिवर्सिटी गेम्स में देश के सभी विश्वविद्यालयों (निजी एवं राजकीय) के छात्र-छात्राओं द्वारा प्रतिभाग किया जाता है। इन खेलों में लगभग 8000 खिलाड़ी जो कि पूरे देश का प्रतिनिधित्व करते हैं, भाग लेते है। देश के युवाओं को उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में हुई प्रगति के बारे में अवगत कराने तथा उत्तर प्रदेश के बारे में देश के अन्य राज्यों में रहने वाले युवाओं को जानने का यह एक बेहतर अवसर होगा। 
सचिव, खेल मंत्रालय, भारत सरकार से हुये विचार-विमर्श में उत्तर प्रदेश में यह खेल आयोजित करने का प्रस्ताव दिया गया है। यह खेल निजी विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी में इण्डियन यूनिवर्सिटी यूनियन के साथ मिलकर आयोजित किए जाते हैं। खेलो इण्डिया यूनिवर्सिटी गेम्स का आयोजन उत्तर प्रदेश के चार जनपदों-लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर एवं गौतमबुद्धनगर में आयोजित किया जाना प्रस्तावित है। खेलो इण्डिया यूनिवर्सिटी गेम्स में 21 खेलों-आर्चरी, बाॅक्सिंग, हाॅकी, शूटिंग, वाॅलीबाॅल, रोइंग, एथलेटिक्स, जूडो, स्वीमिंग, वेट लिफ्टिंग, बैडमिण्टन, फुटबाॅल, कबड्डी, टेबल टेनिस, रेसलिंग, फेन्सिंग, बास्केट बाॅल, रग्बी, टेनिस, मलखम्भ तथा योगासन का आयोजन प्रस्तावित है। 
इस प्रतियोगिता के सफल आयोजन हेतु निदेशक, खेल को नोडल अधिकारी एवं चीफ दी मिशन फॉर खेलो इण्डिया यूथ गेम्स नामित किया गया है। यूनिवर्सिटी गेम्स की तैयारी हेतु निदेशक, खेल के कार्यालय में एक सेल का गठन भी कर दिया गया है, जिसमें क्षेत्रीय क्रीड़ाधिकारी लखनऊ, क्रीड़ाधिकारी हाथरस एवं उप क्रीड़ाधिकारी एथलेटिक्स हाॅस्टल वाराणसी को अस्थायी रूप से सम्बद्ध कर दिया गया है, जो खेलो इण्डिया यूनिवर्सिटी गेम्स के कार्यों की सभी गतिविधियों/तैयारियों का पर्यवेक्षण/अनुपालन करते हुए कार्य करेंगे। इन अधिकारियों के साथ-साथ क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी वाराणसी/गोरखपुर/मेरठ (नोएडा) भी अपने यहाँ होने वाले इवेण्ट्स की तैयारियों की समीक्षा करेंगे। प्रतियोगिता की तैयारी हेतु खेल एवं युवा कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार, भारतीय खेल प्राधिकरण के प्रतिनिधियों के साथ दिनांक 23 दिसम्बर, 2022 को एक बैठक सम्पन्न हुई, जिसमें खेलो इण्डिया यूनिवर्सिटी गेम्स के सफल आयोजन हेतु विभिन्न कमेटियों का गठन किये जाने हेतु मत स्थिर किया गया। तत्क्रम में कमेटियाँ गठित किया जाना प्रस्तावित है।
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उ0प्र0 विधान सभा एवं विधान परिषद के वर्तमान सत्र का सत्रावसान तात्कालिक प्रभाव से करा दिए जाने का प्रस्ताव अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश विधान सभा एवं विधान परिषद के वर्तमान सत्र का सत्रावसान तात्कालिक प्रभाव से करा दिए जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। 
वर्तमान में विधान मण्डल से कोई कार्य कराया जाना शेष नहीं है। इसलिए सत्रावसान कराने का निर्णय लिया गया है।
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अभियोजन निदेशालय को राज्य में यथावत प्रवृत्त रखने का प्रस्ताव अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने कार्यालय ज्ञाप संख्या-7202/8-9-31(91)-79 दिनांक 27 नवम्बर, 1980 के अन्तर्गत गठित अभियोजन निदेशालय को राज्य में यथावत प्रवृत्त रखने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। 
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 के लागू होने के बाद प्रभावी एवं निष्पक्ष अभियोजन की दृष्टि से प्रदेश में एक स्वतंत्र अभियोजन निदेशालय की स्थापना गृह (पुलिस) अनुभाग-9 के कार्यालय ज्ञाप संख्या-7202/8-9-31(91)-79 दिनांक 27 नवम्बर, 1980 के माध्यम से अभियोजन निदेशालय का गठन किया गया तथा अभियोजन निदेशक के रूप में पुलिस उप महानिरीक्षक स्तर के पुलिस अधिकारी की नियुक्ति अभियोजन निदेशक के रूप में की गयी। वर्ष 2005 में संसद द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 में एक नई धारा-25 (ए) अंतः स्थापित करते हुए सम्पूर्ण राज्य के अभियोजकों के नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण हेतु अभियोजन निदेशालय का गठन करने सम्बन्धी कतिपय प्राविधान किया गया। 
दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 25ए की व्यवस्था को लागू किये जाने के सम्बन्ध में दिनांक 15 फरवरी, 2008 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक में मत स्थिर किया गया कि अभियोजन निदेशालय के बारे में जो वर्तमान व्यवस्था लागू है, फिलहाल उसे ही यथावत् लागू रखा जाए तथा धारा-25ए के सम्बन्ध में आवश्यक संशोधन प्रस्तुत करने सम्बन्धी स्थिर किये गये मत पर प्रमुख सचिव, न्याय का अभिमत प्राप्त करते हुए मुख्यमंत्री जी द्वारा इस विभागीय प्रस्ताव दिनांक 26 फरवरी, 2008 को अनुमोदित किया गया। इस प्रकार दिनांक 27 नवम्बर, 1980 के कार्यालय ज्ञाप द्वारा गठित अभियोजन निदेशालय की व्यवस्था संतोषजनक पाये जाने के दृष्टिगत उसे ही यथावत लागू रखा गया है।
आई0जी0आर0एस0 संदर्भ संख्या-12135170474293 के माध्यम से उत्तर प्रदेश राज्य में दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 25ए लागू किये जाने का अनुरोध किया गया, जिस पर मुख्यमंत्री जी द्वारा अपने आदेश दिनांक 19 फरवरी, 2020 के माध्यम से मुख्य सचिव स्तर पर गृह/न्याय विभाग, अभियोजन शाखा एवं महाधिवक्ता की बैठक आयोजित करते हुए सुविचारित प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने की अपेक्षा की गयी। अद्यतन इसके सम्बन्ध में अंतिम निर्णय न हो पाने के दृष्टिगत तथा राज्य में कार्यालय ज्ञाप दिनांक 27 नवम्बर, 1980 के द्वारा स्थापित अभियोजन निदेशालय के संतोषजनक संचालन के दृष्टिगत इस व्यवस्था में परिवर्तन करने का अद्यतन कोई अवसर उपलब्ध नहीं हो सका है। 
गृह विभाग का प्रस्ताव है कि राज्य में पूर्व स्थिर मत दिनांक 15 फरवरी, 2008 तथा इस पर मुख्यमंत्री जी के अनुमोदन दिनांक 26 फरवरी, 2008 तथा मा0 उच्च न्यायालय द्वारा रिट याचिका संख्या-2602/2015 विजय प्रकाश श्रीवास्तव (पी0आई0एल0) में पारित निर्णय दिनांक 02 अप्रैल, 2015 के आलोक में अभियोजन निदेशालय के बारे में जो वर्तमान व्यवस्था लागू है, फिलहाल उसे ही यथावत लागू रखने के सम्बन्ध में मंत्रिपरिषद के अनुमोदनोपरान्त एक कार्यालय ज्ञाप/शासनादेश निर्गत किया जाना है।
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भारत सरकार की महत्वाकांक्षी ‘आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन
(ए0बी0डी0एम0)’ योजना को उ0प्र0 में क्रियान्वित किए जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने स्वास्थ्य सेवाओं के डिजिटलीकरण हेतु भारत सरकार की महत्वाकांक्षी ‘आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ए0बी0डी0एम0)’ योजना को उत्तर प्रदेश में क्रियान्वित किए जाने के लिए एक सोसाइटी (रजिस्ट्रार, फम्र्स सोसाइटीज़ एवं चिट्स उ0प्र0 कार्यालय में रजिस्टर्ड) के गठन पर सहमति दिए जाने एवं राज्य इकाई को औपचारिक रूप से प्रारम्भ किए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। 
देश में स्वास्थ्य सेवाओं के डिजिटलीकरण की दिशा में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 की सिफारिशों के अनुरूप सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यू0एच0सी0) के दृष्टिकोण से ‘आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ए0बी0डी0म0)’ योजना के माध्यम से भारत के समस्त नागरिकों के स्वास्थ्य अभिलेखों का डाटाबेस तैयार किया जायेगा, जिसमें नागरिकों के स्वास्थ्य से सम्बन्धित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां जैसे परामर्श, रिपोर्ट आदि अब भौतिक रूप में न होकर डिजिटल रूप में संरक्षित रहेंगी। 
मिशन के माध्यम से देश के चिकित्सालयों एवं चिकित्सकों का एक समेकित डाटाबेस तैयार किया जायेगा और राष्ट्रीय पहचान संख्या (एन0आई0एन0) प्रदान किया जायेगा, जिसके उपरान्त भारत वर्ष का कोई भी नागरिक देश के किसी भी चिकित्सक से परामर्श प्राप्त कर सकेगा। 
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ए0बी0डी0एम0) को केन्द्र में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एन0एच0ए0) द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है। राज्य सरकार में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ए0बी0डी0एम0) के क्रियान्वयन हेतु राज्य ए0बी0डी0एम0 इकाई (स्टेट यूनिट ए0बी0डी0एम0) गठित करने की व्यवस्था की गयी है। भारत सरकार की गाइडलाइन दिनांक 08 मार्च, 2021 के अनुसार राज्य इकाई का दायित्व वरिष्ठ अधिकारी, जो कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का स्टेट मिशन डायरेक्टर होगा, के द्वारा किया जायेगा। स्टेट मिशन डायरेक्टर के अन्तर्गत कई डिवीजनल हेड्स होंगे, जो कि अपने नीचे कई वर्टिकल डिवीजन का नेतृत्व करेंगे, की परिकल्पना की गयी है। वर्तमान में इन वर्टिकल डिवीजन की संरचना एवं पी0एम0यू0 के गठन को कैबिनेट द्वारा स्वीकृति दी जा रही है। संरचनानुरूप पी0एम0यू0 द्वारा ए0बी0डी0एम0 एवं संबंधित स्वास्थ्य क्षेत्र के डिजिटाइजेशन के कार्य को सम्पादित किया जायेगा। 
योजना का क्रियान्वयन क्रमबद्ध तरीके से पदों का सृजन/तैनाती/स्थान आदि चयन की कार्यवाही की जानी प्रस्तावित है, जिसमें मिशन के संचालन हेतु मिशन निदेशक की तैनाती प्रतिनियुक्ति/सेवा स्थानान्तरण के आधार पर चिकित्सा विभाग द्वारा की जायेगी।
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ए0बी0डी0एम0) का विजन एक राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र को सृजित करना है, जो एक कुशल, सुलभ, समावेशी, सस्ता, सामूहिक एवं सुरक्षित यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यू0एच0सी0) प्राप्त करने में सहयोग प्रदान करेगा और खुली अन्तर-संचालित (ओपेन इन्टर-ऑपरेबिलिटी) व मानक आधारित डिजिटल प्रणाली का विधिवत लाभ सहित व्यापक रूप से सूचना/विवरण एवं आधारभूत संरचना सेवायें प्रदान करेगा तथा स्वास्थ्य संबंधी व्यक्तिगत सूचना की सुरक्षा, गोपनीयता एवं गुप्तता को सुनिश्चित करेगा। 
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ए0बी0डी0एम0) में भारत वर्ष के प्रत्येक नागरिक की एक यूनिक हेल्थ आई0डी0 ’आयुष्मान भारत हेल्थ एकाउन्ट (ए0बी0एच0ए0)’ बनाने का लक्ष्य है, जिसमें उस व्यक्ति का सम्पूर्ण हेल्थ डाटा एकत्रित कर ’इलेक्ट्रानिक हेल्थ रिकाॅर्ड (ई0एच0आर0)’ के रूप में संरक्षित किया जायेगा। 
यह इलेक्ट्रानिक हेल्थ रिकार्ड (ई0एच0आर0) आयुष्मान भारत हेल्थ एकाउन्ट (ए0बी0एच0ए0) से लिंक्ड होगा। इलेक्ट्रानिक हेल्थ रिकार्ड (ई0एच0आर0) के माध्यम से व्यक्ति की चिकित्सा से सम्बन्धित सभी सूचनाएं प्राप्त हो सकेंगी एवं उसे पूर्व की भांति अपना भौतिक मेडिकल रिकार्ड चिकित्सालय ले जाने की आवश्यकता नहीं होगी। 
योजना हेतु केन्द्र सरकार द्वारा 05 वर्षों में कुल 18.49 करोड़ रुपये का अनुदान उत्तर प्रदेश राज्य को उपलब्ध कराये जाने के प्राविधान किये गये हैं, जिसे योजना के प्रारम्भ होने की तिथि से वित्तीय वर्ष 2025-26 तक वार्षिक रूप से किये गये आवन्टन के अनुसार व्यय किया जाना है। इस अवधि के उपरान्त राज्य सरकार द्वारा कार्यक्रम का आगे संचालन/वित्तीय पोषण किया आयेगा। 
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निजी क्षेत्र में टी0एस0 मिश्रा विश्वविद्यालय, लखनऊ, उ0प्र0 की स्थापना हेतु प्रायोजक संस्था को शर्त के अधीन आशय पत्र निर्गत किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र के अन्तर्गत विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन में प्राप्त प्रस्ताव के परीक्षण हेतु राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में गठित की गई समिति द्वारा शासन को प्रस्तुत की गई निरीक्षण आख्या पर विचारोपरान्त, मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की 29 दिसम्बर, 2022 की बैठक में की गई संस्तुति के आधार पर मंत्रिपरिषद द्वारा टी0एस0 मिश्रा विश्वविद्यालय लखनऊ, उत्तर प्रदेश की प्रायोजक संस्था वेदिक एण्ड फ्यूचरिस्टिक एजूटेक, लखनऊ, उ0प्र0 को उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा 6 के प्राविधानों के अन्तर्गत शर्त के अधीन आशय पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
इस शर्त के अनुसार लखनऊ विकास प्राधिकरण, लखनऊ के 02 जनवरी, 2021 के पत्र द्वारा निर्गत अनापत्ति के परिप्रेक्ष्य में विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु प्रायोजक संस्था को प्रस्तावित विश्वविद्यालय का मानचित्र प्राधिकरण से नियमानुसार स्वीकृत कराकर, स्वीकृत मानचित्र के अनुसार ही निर्माण/परिसर का उपभोग करने की सूचना अनुपालन आख्या के साथ प्रस्तुत करनी होगी। 
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निजी क्षेत्र में विवेक राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, बिजनौर, उ0प्र0 की स्थापना हेतु 
प्रायोजक संस्था को शर्त के अधीन आशय पत्र निर्गत किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र के अन्तर्गत विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन में प्राप्त प्रस्ताव के परीक्षण हेतु राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में गठित की गई समिति द्वारा शासन को प्रस्तुत की गई निरीक्षण आख्या पर विचारोपरान्त, मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की 29 दिसम्बर, 2022 की बैठक में की गई संस्तुति के आधार पर मंत्रिपरिषद द्वारा विवेक राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, बिजनौर, उ0प्र0 की प्रायोजक संस्था शिविका एजुकेशनल सोसाइटी, बिजनौर, उ0प्र0 को उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा 6 के प्राविधानों के अन्तर्गत शर्त के अधीन आशय पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
इस शर्त के अनुसार प्रायोजक संस्था को प्रस्तावित विश्वविद्यालय हेतु भवन निर्माण के लिए संचालन से पूर्व मानचित्र सक्षम प्राधिकारी से नियमानुसार स्वीकृत कराने की सूचना अनुपालन आख्या के साथ उपलब्ध करानी होगी।
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निजी क्षेत्र में फारूक हुसैन विश्वविद्यालय, एत्मादपुर, आगरा, उ0प्र0 की स्थापना हेतु 
प्रायोजक संस्था को शर्त के अधीन आशय पत्र निर्गत किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र के अन्तर्गत विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन में प्राप्त प्रस्ताव के परीक्षण हेतु राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में गठित की गई समिति द्वारा शासन को प्रस्तुत की गई निरीक्षण आख्या पर विचारोपरान्त, मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की 29 दिसम्बर, 2022 की बैठक में की गई संस्तुति के आधार पर मंत्रिपरिषद द्वारा फारूक हुसैन विश्वविद्यालय, एत्मादपुर, आगरा, उ0प्र0 की प्रायोजक संस्था दि मुस्लिम एजुकेशनल वेलफेयर सोसाइटी, निधौली कलां, एटा को उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा 6 के प्राविधानों के अन्तर्गत शर्त के अधीन आशय पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
इस शर्त के अनुसार प्रायोजक संस्था को फिरोजाबाद-शिकोहाबाद विकास प्राधिकरण, फिरोजाबाद से स्पष्ट अनापत्ति के साथ ही नियमावली के नियम 10 (ख) के अनुसार पूर्व निर्मित भवन के उपयोग करने के सम्बन्ध में प्राधिकरण की अनापत्ति एवं प्राधिकरण से स्वीकृत मानचित्र उपलब्ध कराना होगा। 
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निजी क्षेत्र में वरूण अर्जुन विश्वविद्यालय, शाहजहांपुर, उ0प्र0 की स्थापना 
हेतु प्रायोजक संस्था को आशय पत्र निर्गत किये जाने का प्रस्ताव स्वीकृत

उत्तर प्रदेश में निजी क्षेत्र के अन्तर्गत विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु उच्च शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन में प्राप्त प्रस्ताव के परीक्षण हेतु राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में गठित की गई समिति द्वारा शासन को प्रस्तुत की गई निरीक्षण आख्या पर विचारोपरान्त, मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति की 29 दिसम्बर, 2022 की बैठक में की गई संस्तुति के आधार पर मंत्रिपरिषद द्वारा वरूण अर्जुन विश्वविद्यालय, शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश की प्रायोजक संस्था वरूणार्जुन ट्रस्ट केशलता हास्पिटल, डेलापीर, बरेली, उत्तर प्रदेश को उत्तर प्रदेश निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2019 की धारा 6 के प्राविधानों के अन्तर्गत आशय पत्र निर्गत किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
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