लखनऊ (मानवी मीडिया) उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में जातिगत जनगणना की माँग को लेकर अभूतपूर्व उठापटक के बीच करदाताओं ने माँग की है कि जातीय जनगणना से पहले सरकार देश के प्रति करदाताओं के योगदान की गणना करे। साथ ही साथ इस आधार पर उन्हें ज़रूरी सुविधाएँ, सुरक्षा और सम्मान में प्राथमिकता दी जाए।
उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष सतीश महाना को लिखे अपने पत्र में ग्लोबल टैक्सपेयर्स ट्रस्ट के चेयरमैन मनीष खेमका ने सरकार से अपनी इस माँग को दोहराते हुए कहा कि “जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी, यदि यह नियम सही है तो जिसका जितना योगदान भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी इस माँग में क्या ग़लत है? इस तथ्य पर देश के जागरूक बुद्धिजीवियों में एक स्वस्थ बहस की आवश्यकता है।” निहित स्वार्थ के लिए समाज में एक बार फिर से जाति का ज़हर घोलने का प्रयास करने वाली ताक़तों की मंशा पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि “क्या हम लोकतंत्र को भीड़तंत्र में बदलना चाहते हैं? देश में पहले ही आकंठ आरक्षण लागू है। अदालतें अनेक बार कह चुकी हैं कि आरक्षण की सीमा को और बढ़ाना संविधान के मौलिक अधिकारो