लखनऊः (मानवी मीडिया) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने धर्मांतरण को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सभी को अपनी उपासना विधि चुनने का अधिकार है लेकिन किसी को भी छल-छद्म से या फिर लोभ-लालच देकर धर्मांतरण कराने का अधिकार नहीं है। उन्होंने दावा किया कि रिलिजियस डेमोग्राफी की वजह से देश का बंटवारा हुआ। उन्होंने आरएसएस चीफ मोहन भागवत के बयान का हवाला देते हुए इशारों में कहा कि भारतीय होने के लिए भारत के दृष्टिकोण को अपनाना होगा।
अपने इंटरव्यू में योगी आदित्यनाथ से सवाल किया गया था कि मोहन भागवत ने कहा है कि भारत में मुसलमानों को डरने की जरूरत नहीं है लेकिन उन्हें अपना ऐटिट्यूड बदलना होगा। हम बड़े हैं या हम राजा थे या हम राजा बनेंगे.. जैसी धारणा बदलने की जरूरत है। इस पर वह क्या कहेंगे? योगी आदित्यनाथ ने जवाब देते हुए कहा कि सरसंघचालक मोहन भागवत ने जो बात कही है, वह एकदम सही परिप्रेक्ष्य में कही है। हमें तो भारतीय दृष्टिकोण अपनाना होगा। अगर हम भारतीय हैं तो जाति-मजहब से ऊपर उठकर अपने को भारतीय मानना होगा। भारत का दृष्टिकोण यही है- ये मेरा है, ये पराया है, ये तो छोटी बुद्धि के लोग करते हैं। विराट सोच वालों के लिए तो पूरी पृथ्वी ही परिवार है।
प्रदेश में धर्मांतरण को लेकर भी योगी आदित्यनाथ ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, 'हर व्यक्ति को अपने अनुसार अपनी उपासना विधि चुनने का अधिकार है। इसमें किसी प्रकार का कोई बंधन भी नहीं है। लेकिन लोभ से, लालच से, छल-छद्म से यह करने का अधिकार किसी को नहीं है। दूसरी बात, रिलीजियस डेमोग्राफी एक सच्चाई है। इसे भी हमें स्वीकार करना होगा। अगर यह सच्चाई नहीं होती तो 1947 में देश का दुर्भाग्यपूर्ण विभाजन भी नहीं होता।
डेमोग्राफी में असंतुलन को कैसे कम करेंगे.. के सवाल के जवाब में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अवैध धर्मांतरण को लेकर हमारे यहां ऑलरेडी ऐक्ट बन चुका है। हम साल 2020 में ऐक्ट बना चुके हैं। उत्तर प्रदेश सरकार उसे लागू भी कर चुकी है। उसी में दोषियों को सजा भी हो रही है। उन्होंने कहा कि हम पहले से सतर्क होकर कानून बना चुके हैं और उसे लागू भी कर चुके हैं। मुसलमानों को बीजेपी से जोड़ने के सवाल पर योगी ने कहा कि किसी को जोड़ने के लिए व्यक्ति, जाति, मत और मजहब नहीं बल्कि शासन की योजनाओं के माध्यम से उनके साथ सीधे संवाद का कार्यक्रम किया जा रहा है।
योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था अच्छी हुई है। पर्व और त्योहार शांतिपूर्ण तरीके से मनाए जा रहे हैं लेकिन हिंदू के त्योहार शांतिपूर्ण तरीके से मनाए जा रहे हैं तो मुसलमानों के भी त्योहार शांतिपूर्ण तरीके से हो रहे हैं। अगर हिंदू बेटी सुरक्षित है, तो मुस्लिम बेटी भी सुरक्षित है। उनको एहसास हो रहा है कि सुरक्षा और सुशासन का लाभ आगे कैसे मिल सकता है? यह जोड़ने का सबसे अच्छा माध्यम है