लखनऊ (मानवी मीडिया) प्रदेश सरकार अब यूपी में नई तकनीक से एथेनॉल बनाने में डेनमार्क सहयोग करेगा। इसके लिए शासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ डेनमार्क के प्रतिनिधियों की बातचीत चल रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार प्रदेश को विकास के पथ पर ले जाने और नई तकनीकियों के लिए देश ही नहीं, विदेशों के साथ साझेदारी करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने हाल ही में ही डेनमार्क के राजदूत फ्रेडी स्वान से मुलाकात की। दोनों पक्ष के अधिकारियों ने पराली को बायो-स्ट्रॉब्रिकेट से एथेनॉल या मेथनॉल में बदलने से संबंधित तकनीक की उपयोगिता पर बातचीत की।
डेनमार्क के राजदूत के अनुसार, डेनमार्क में गेहूं और धान की पराली से बायो-मेथनॉल और ई-मेथनॉल का उत्पादन किया जा रहा है। राज्य सरकार इसी तरह की तकनीक को अपने यहां अपनाना चाहती है। इस प्रक्रिया द्वारा उत्पादित कार्बन डाइऑक्साइड में हाइड्रोजन गैस के माध्यम से ई-मेथनॉल का उत्पादन होता है। डेनमार्क इस पेटेंट तकनीक पर आधारित पहली परियोजना स्थापित कर रहा है। यह परियोजना दो साल में शुरू हो जाने की संभावना है।
इंडियन ऑयल कार्पोरेशन भी गोरखपुर में 800 करोड़ की लागत से 50 एकड़ जमीन पर 2जी एथेनॉल संयंत्र स्थापित कर रहा है। नगर निकाय विभाग गीले कचरे से बायो-सीएनजी बनाने के लिए प्रदेश के प्रमुख शहरों में संयंत्र लगाने पर विचार कर रहा है।