जम्मू (मानवी मीडिया) प्रधानमंत्री पैकेज के दर्जनों कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने विरोध करते हुए सोमवार को घाटी के बाहर पुनर्वास की अपनी मांग दोहराई। कश्मीरी पंडितों ने कहा कि पुलवामा में हाल में उनके समुदाय के एक सदस्य की हत्या के साथ भयावह आशंकाएं सच साबित हो गईं। जम्मू में राहत आयुक्त कार्यालय के बाहर एकत्र प्रदर्शनकारियों ने संजय शर्मा (40) की हत्या के खिलाफ विरोध जताया।
एक बैंक एटीएम में गार्ड के रूप में तैनात संजय की आतंकवादियों ने दक्षिण कश्मीर जिले के अचन इलाके में रविवार को गोली मारकर हत्या कर दी थी। प्रदर्शनकारियों में से एक योगेश पंडिता ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जमीनी सच्चाई से पूरी तरह अवगत होने के कारण हम इस तरह की घटना को लेकर आशंकित थे।
हत्या की ताजा घटना से हमारे आत्मविश्वास को गहरा झटका लगा है और इसने घाटी में समुदाय के सदस्यों की सुरक्षा को लेकर हमारी चिंता को और बढ़ा दिया है।’’ पंडिता ने कहा, ‘‘हमें काम पर लौटने के लिए बाध्य करने के लिए वेतन रोककर प्रशासन ने वित्तीय रूप से हमारा गला घोंट दिया। हम लगातार की जा रही लक्षित हत्यों के मद्देनजर वहां काम करने से डरते हैं।’’
प्रधानमंत्री पैकेज के कर्मचारियों में से सैकड़ों कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को उनके सहयोगियों (राहुल भट और रजनी बाला) की आतंकवादियों के हाथों हत्या के बाद पिछले साल मई में जम्मू स्थानांतरित किया गया था। कश्मीर के बडगाम जिले में पिछले साल 12 मई को भट की उनके कार्यालय में गोली मारकर हत्या कर दी थी, जबकि पेशे से शिक्षिका रजनी को पिछले साल 31 मई को कश्मीर के कुलगाम जिले में गोली मार दी गई थी।
एक अन्य प्रदर्शनकारी रुबन सप्रू ने कहा कि उपराज्यपाल नीत केंद्रशासित प्रदेश के प्रशासन को उनको घाटी में काम पर लौटने के लिए बाध्य करने की बजाय उसे उनके साथ बातचीत करने की जरूरत है। सप्रू ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से अपील की कि वह उन्हें घाटी में काम पर लौटने के लिए बाध्य नहीं किया जाए और अन्य स्थान पर पुनर्वास की उनकी मांग को पूरा किया जाए।