लखनऊ (मानवी मीडिया) किसी भी विद्यालय में यदि बच्चे पीने वाले पानी को गिलास भरकर लेते हैं और वह पूरा पानी नहीं पीते हैं तो बचे हुए पानी को एक बड़े पात्र में संग्रहित कराना चाहिए। साथ ही जल कितना हमारे लिए महात्वपूर्ण है ये बात बच्चों को समझानी चाहिए। ये जिम्मेदारी प्रत्येक शिक्षक को समझनी होगी। जब बच्चे जल सरंक्षण का महात्व समझेंगे तो जल सरंक्षण अभियान को भी बढ़ावा दे सकते हैं। ये सलाह राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने मंगलवार को बेसिक शिक्षा परिषद के सरकारी विद्यालयों में तैनात सभी शिक्षकों को दी है।
राज्यपाल से मिलने के लिए बाराबंकी जनपद के पांच सरकारी प्राथमिक विद्यालय मुनीमपुर बरथरा ब्लाक निंदूरा, उच्च प्राथमिक विद्यालय मोहखण्ड ब्लाक निंदूरा, उच्च प्राथमिक विद्यालय गढ़ी छतेना विकासखण्ड देंवा, उच्च प्राथमिक विद्यालय बढ़ेल विकासखण्ड बंकी और प्राथमिक विद्यालय भिलवल ब्लाक त्रिवेदीगंज के कक्षा एक से आठ तक के पचास छात्र-छात्रायें और शिक्षक स्वयं राज्यपाल से मिलने के लिए पहुंचे थे।
महिला शिक्षक संघ की पहल पर बच्चों ने पहली बार राजभवन का मतलब भी समझा। इस दौरान बच्चों राजभवन का परिसर देखकर खुशी भी जाहिर की। राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में सुलोचना मौर्य जी के नेतृत्व में अलग-अलग विद्यालय के प्रधानाध्यापक और सहायक अध्यापक उपस्थित रहे जिनमें अलका गौतम, साधना सिंह, सुनील कुमार, श्रद्धा मिश्रा, पीयूष कुशवाहा, मोहम्मद आसिफ, संगीता यादव एवं खंड शिक्षा अधिकारी सुषमा सेंगर उपस्थित रहीं।
जल सरंक्षण का संदेश प्रतिदिन पढ़ाना जरूरी
राज्यपाल ने शिक्षकों को सलाह देते हुए कहा कि शिक्षक जल सरंक्षण की सूचना प्रतिदिन बोर्ड में लगायें ताकि बच्चे उसे पढ़ सकें। इससे धीरे-धीरे इनकी इन आदतों में सुधार होगा तथा वे भी अन्य बच्चों तथा अपने अभिभावकों को जल संरक्षण के महत्व को समझा सकेंगे। राज्यपाल ने कहा कि हम इस प्रकार संग्रहित जल को पेड़-पौधों की सिचांई के उपयोग में ला सकते हैं।
बच्चों ने देखी राजभवन की पंचतंत्र वाटिका और गौशाला
इस अवसर पर उपस्थित सभी बच्चों ने राजभवन उद्यान, पंचतंत्र वाटिका तथा गौशाला भ्रमण किया और राजभवन के अपने अनुभवों को राज्यपाल के साथ बांटा। इससे पहले राज्यपाल ने जलसंरक्षण के क्षेत्र में अच्छा कार्य करने वाले दो बच्चों क्रमश: जैकी रावत तथा कुमारी दीपशिखा को निजी कम्पनी द्वारा प्रदत्त राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया।