लखनऊ (मानवी मीडिया) जी20 देशों के मेहमानों की अगवानी करेगा। डिजिटल इकॉनमी वर्किंग ग्रुप (डीईडब्ल्यूजी) की बैठक में इस दौरान विभिन्न देशों के 143 प्रतिनिधि शामिल होंगे। जी20 समूह देशों के अलावा नौ आमंत्रित देशों के प्रतिनिधि भी इसमें शामिल होंगे। इसमें साइबर क्राइम, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल शिक्षा पर अलग-अलग समूह के साथ सत्र रहेंगे। इसमें भारत के हुए कामों को जहां प्रदर्शित किया जाएगा। वहीं भविष्य की रणनीति पर भी इस दौरान चर्चा होगी। उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सुबह शामिल होंगे।रविवार को जी20 शिखर सम्मेलन और डीडब्ल्यूईजी की बैठक के आयोजन स्थल होटल सेंट्रम, सुशांत गोल्फ सिटी में आयोजित प्रेसवार्ता में इलैक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रोद्योगिकी मंत्रालय (मैती) के सचिव अल्केश कुमार शर्मा ने बताया कि जी20 देशों के समूह का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि दुनिया का करीब 75 फीसदी कारोबार, 85 फीसदी जीडीपी और दो तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व यहां से है। डिजिटल लेनदेश बढ़ने पर इन देशों ने 2017 में पहली बार डिजिटल इकोनॉमी टास्क फ ोर्स बनाया। यही संगठन बाद में डिजिटल इकॉनमी वर्किंग ग्रुप बना। 11 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल इकॉनमी 2025 तक 23 ट्रिलियन की हो चुकी होगी। इसलिए भी इस दिशा में काम करना जरूरी है।
अल्केश शर्मा का कहना है कि लखनऊ में आयोजन के समय हम तीन प्राथमिकताओं पर सत्र आयोजित करेंगे। इसमें पहली डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर है। यह इसलिए महत्वपूर्ण है कि हमने यूपीआई के जरिए दुनिया कुल डिजिटल लेनदेन के 45 फीसदी को भारत में किया है। सबसे अधिक यूपीआई ट्रांजेक्शन भारत में होते हैं। इसके अलावा कोविड के समय को-विन पोर्टल, दीक्षा पोर्टल की सफलता किसी से छिपी नहीं है। यही वजह है कि दुनिया का भरोसा भारत में इस सेक्टर में बढ़ा है।
यह ऐसा सेक्टर है जोकि सबसे अधिक मौका स्टार्टअप विकसित होने का देता है। दूसरी प्राथमिकता साइबर सिक्युरिटी है। ऐसा डिजिटल लेनदेन या डिजिटल प्लेटफार्म उपयोग करने के समय बुजुर्ग, बच्चों के साथ ठगी होने से रोकना है। तीसरी प्राथमिकता डिजिटल स्किलिंग की रहेगी। इस दिशा में हमने फ्यूचर प्राइम स्किल प्लेटफ ार्म जैसे माध्यमों से बड़ा काम किया। इस प्लेटफार्म से करीब एक करोड़ पंजीकरण हुए और युवाओं ने काफी ऑनलाइन कंटेंट का उपयोग कर खुद को प्रशिक्षित मौजूदा इंडस्ट्री जरूरतों के लिए किया।
2024 की अध्यक्षता ब्राजील को मिली
सचिव मैती ने बताया कि 2022 में जी20 की अध्यक्षता इंडोनेशिया को मिली थी। 2023 में भारत इसकी अध्यक्षता कर रहा है। भारत के बाद 2024 में ब्राजील को अध्यक्षता करनी है। यह एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि पूरे साल 20 देशों के लिए प्रतिनिधित्व और बैठकों के आयोजन कराने होते हैं। इससे पूरी दुनिया को एक दिशा दी जा सके, यह भी सुनिश्चित किया जाता है। भारत ने वसुधैव कुटुम्बकम को थीम चुना है। लखनऊ में डीडब्ल्यूईजी की पहली बैठक हो रही है। लखनऊ के बाद अप्रैल में हैदराबाद, जून में पुणे में बैठक होनी है। सितंबर में मिनिस्टर स्तरीय मीटिंग अंतिम सहमति के लिये होगी।
प्रदर्शनी से देख पाएंगे लखनऊ का इमामबाड़ा
जी20 आयोजन के साथ ही एक डिजिटल प्रदर्शनी वर्चुअल रियलिटी एक्सपीरिएंस सेंटर भी होटल सेंट्रम में आयोजित की गई है। अधिकारियों का कहना है कि तकनीकी सत्रों के साथ इस प्रदर्शनी में भी भारत के आधुनिकतम प्रोद्योगिकी जैसे वर्चुअल रियलिटी और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को प्रदर्शित किया जाएगा। जहां वर्चुअल रियलिटी से प्रदर्शनी से ही मेहमानों को इमामबाड़ा घुमा दिया जाएगा। वहीं आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को भी यहां अनुभव किया जा सकेगा। 5जी तकनीक से जुड़े एप्लीकेशन, डाटा साइंस, पीएम गतिशक्ति में बना जियोस्पेशियल को यहां प्रदर्शित किया जाएगा।
डिजिटल वर्ल्ड को सुरक्षित बनाने के लिए आगे आए युवा
सचिव मैती ने बताया कि हमने कुछ समय पहले स्टेट सेफ ऑनलाइन कैंपेंन शुरू किया। जी20 देशों में यह चल रहा है। इसमें वेबसाइट का उपयोग करने के समय उसके सुरक्षित होने का पता करने और फ्रॉड हो जाने पर क्या करें? यह बताया जा रहा है। 15 देशों में सबसे अधिक सक्रियता इसमें है। आंकड़े बताते हैं कि इसमें सबसे अधिक सक्रियता युवाओं की है। 54 फीसदी उपयोगकर्ता 25 से 34 साल के बीच के हैं। एक प्रयास डिजिटल इनोवेशन एलायंस के रूप में है। इसमें कोई भी अपना आइडिया साझा कर सकता है। इस आइडिया को बंगलुरू में होने वाली कांफ्रें स में प्रस्तुत कर आगे अडॉप्ट कराने पर काम होगा।
इन देशों के प्रतिनिधि बैठक में होंगे शामिल
19 देश अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, भारत, इंडोनेशिया, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, यूके, यूएस और यूरोपियन यूनियन जी20 समूह के सदस्य हैं। शेरपा ट्रैक और फाइनेंस ट्रैक दो तरीके से यह जी20 समूह काम करता है। मेहमान देशों में बांग्लादेश, मिश्र, मॉरिशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन, यूएई शामिल हैं। इसके अलावा इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन, विश्व बैंक, यूनेस्को और यूएनडीपी के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
क्यूआर कोड बताएगा कि जो डिश खा रहे, वो बनती कैसे है
पूरी दुनिया भर से जुट रहे मेहमानों को आयोजन स्थल पर खाना भी डिजिटल तकनीक के साथ परोसा जाएगा। हर डिश के साथ लगी नेमप्लेट पर एक क्यूआर कोड प्रिंट किया जा रहा है। डिश अगर पसंद आती है। ऐसे में मेहमान अपने मोबाइल से इस क्यूआर कोड को स्कैन कर पता कर पाएंगे कि यह कैसे बनती है? इसका इतिहास क्या है? जरूरी जानकारी एक वीडियो के रूप में उनको पता चल जाएगी। इसे बाद में मेहमान अपने लिए बनवा भी सकेंगे।
जी20 क्या है?
वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रणालीबद्ध महत्वपूर्ण औद्योगिक और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाने के लिए जी20 समूह का गठन 1999 में किया गया। इसमें सदस्य देशों के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंकों के गर्वनर शामिल होते हैं। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश इस समूह में शामिल हैं। 2023 में इसकी अध्यक्षता भारत को मिली। जी20 समूह के चेयरमैन इस समय भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।