लखनऊ, (मानवी मीडिया) प्रगति पर्यावरण संरक्षण ट्रस्ट के तत्वावधान में सेक्टर ओ पोस्टल ग्राउण्ड अलीगंज में चल रहे 15वें यूपी महोत्सव की तेरहवीं सांस्कृतिक सन्ध्या में कथक, भरतनाट्यम संग कव्वाली ने समां बांधा।
आज की तेरहवीं सांस्कृतिक सन्ध्या का उद्घाटन प्रगति पर्यावरण संरक्षण ट्रस्ट के अध्यक्ष विनोद कुमार सिंह और उपाध्यक्ष एन बी सिंह ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
कोविड प्रोटोकाल के तहत आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में आयोजित यू पी महोत्सव की तेरहवीं सांस्कृतिक सन्ध्या का शुभारम्भ परी, वानी और स्वरा ने श्री राम चन्द्र कृपाल भजमन पर कथक नृत्य शैली में भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को भगवान श्री राम की भक्ति का रसपान कराया।
भक्ति भावना से परिपूर्ण इसके उपरान्त अगली प्रस्तुति थी दक्षिण भारतीय शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम की, जिसको वृंदा शर्मा ने अपनी प्रतिभा से प्रदर्शित किया। अन्य प्रस्तुतियों में सोमा ने सोचेंगे तम्हें प्यार करें की नही गीत को सुनाया तो दूसरी ओर सिद्धार्थ ने सुन गणपति बप्पा गीत पर आकर्षक नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोहा। इस अवसर पर काफिला लोकनाट्य संस्था द्वारा प्रस्तुत कठपुतली नृत्य नाटिका ने नारी के सम्मान पर बल देते हुए दहेज जैसी कुप्रथा पर करारा प्रहार किया।
संगीत से सजे कार्यक्रम के अगले सोपानों में वारसी ब्रदर्स ने अपनी मदमस्त कव्वालियों से यू पी महोत्सव में समां बांधा, जिसके क्रम में आफाक वारसी, जहीर अब्बास वारसी, जमील वारसी, आरिफ वारसी, कवंल जीत सिंह और राजू रंगीला ने सम्वेत स्वरों में छाप तिलक सब छिनी की मोसे नैना मिलाय के को सुनाया तो श्रोता दर्शक झूम उठे।इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए वारसी ब्रदर्स ने अपनी खनकती हुई आवाज में दमा दम मस्त कलंदर, आग दामन में लग जायेगी, ये जो हल्का हल्का सुरुर है जैसी अन्य महकती हुई कव्वालियों को देर रात तक सुना कर श्रोताओं को अपने आकर्षण के जाल में बांधे रखा।
इसके पूर्व आज दिन में आन्दोलनकारी काव्य मंच द्वारा काव्य गोष्ठी हुई, जिसमे अनिल शुक्ला, राम प्रकाश शुक्ला, सुनीता चतुर्वेदी, सुरेन्द्र मोहन एवं संजय मिश्रा ने अपने काव्य पाठ से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध किया। इसी क्रम में अमृतायन साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था ने यू पी महोत्सव में यू पी मेरी जान" कार्यक्रम का संयोजन किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कवि कुमार तरल तथा संचालन मनीष मगन ने किया। वाणी वन्दना से प्रारम्भ हुए कवि सम्मेलन में
मनीष मगन, शुभेन्द्र सिंह, मित्र निपुल, राजेश सिंह-श्रेयस, मुकेशानन्द, नन्द किशोर वर्मा, पुषपेंद्र प्रेमी, ऋषिकेश यादव, शानू बाजपेयी, रजनी राज, दीपक यादव सहित अन्य कवियों ने अपनी अपनी कविताओं से श्रोताओं का मन मोहा।