विवाहित पुरुषों के जीवन को नर्क बना देगा वैवाहिक बलात्कार कानून - मानवी मीडिया

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Sunday, January 29, 2023

विवाहित पुरुषों के जीवन को नर्क बना देगा वैवाहिक बलात्कार कानून


लखनऊ  (मानवी मीडिया
 महिला संगठनों ने वैवाहिक बलात्कार कानून बनाने की मांग की है। बता दें कि भारतीय दंड संहिता की धारा 375 में पति पर बलात्कार का आरोप नहीं लगाया जा सकता। महिला संगठनों ने देश की सर्वोच्च अदालत से मांग की है कि वैवाहिक बलात्कार कानून बनाया जाए ताकि पतियों को भी बलात्कारी साबित किया जा सके। सभी राज्य सरकारों को 15 फरवरी 2023 तक सर्वोच्च न्यायालय में वैवाहिक बलात्कार पर अपना सुझाव देना है।

दारुलशफा के कामन हाल में पुरुषार्थ सेवा ट्रस्ट ने पत्रकारों से कहा कि महिला संगठनों ने वैवाहिक बलात्कार कानून की जो मांग उठाई है, उसे अगर मान लिया जाता है तो आने वाले दिनों में विवाहित पुरुष का जीवन नर्क बन जाएगा। पत्नी अगर अपने पति पर बलात्कार का आरोप लगाते हुए अपने प्रेमी के साथ मिलकर उसकी हत्या भी कर देगी तो भी कानूनन उसका कुछ नहीं बिगड़ेगा।

ट्रस्ट ने कहा कि विवाह और बलात्कार दोनों शब्द विरोधाभासी हैं लेकिन इसके बावजूद महिला संगठनों ने यह मांग उठाई है, ताकि यदि पुरुष महिला की इच्छा के खिलाफ उससे सम्बन्ध बनाता है तो उसे दोषी ठहराया जा सके। इसके साथ ही अगर पति पत्नी की इच्छा होने पर भी सम्बन्ध नहीं बनाता है तो इसे पत्नी के प्रति क्रूरता माना जाएगा। इसका अर्थ यह होगा कि कानूनन पति को संवेदनहीन मशीन से ज्यादा कुछ नहीं माना जा रहा है।

ट्रस्ट ने कहा कि इस कानून के बन जाने से पति की तुलना अब सड़क चलते पुरुष जैसी हो जाएगी, क्योंकि विवाहित महिला को पहले ही यौन स्वछंदता का अधिकार दिया जा चुका है। जिसके अनुसार उसके लिए पति और परपुरुष से सम्बन्ध बनाने में अब कोई अंतर नहीं है। अब अगर प्रेमी के बजाय पति अपने वैवाहिक अधिकार का दावा पत्नी पर करता है तो उसे बलात्कारी घोषित करने की तैयारी की जा रही है।

ट्रस्ट ने कहा कि बलात्कार की कानूनी परिभाषा में जबरन यौन सम्बन्ध बनाने पर मेडिकल होता था। उसे खत्म किया जा चुका है। अब सिर्फ महिला की सहमति और इच्छा आधारित बयान से ही पुरुष दोषी साबित हो जाता है। विवाहित जीवन में पत्नी किसी भी सम्बन्ध को इच्छा विरुद्ध बताकर पुरुष को बलात्कारी घोषित करा सकती है। ट्रस्ट के प्रबंधक शैलेन्द्र श्रीवास ने कहा कि जो परिवार अब तक दहेज के फर्जी मामलों में जेल पहुंच जाते थे। 

इस तरह के कानून से सामूहिक बलात्कार के आरोप में भी जेल जाने को विवश हो जाएंगे। पुरुष अधिकार कार्यकर्ता कपिल मोहन चौधरी ने कहा कि कानून में अपराध की सजा लिंग भेद रहित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा को सम्बन्ध विच्छेद का आधार बनाया जाना तो ठीक है लेकिन सिर्फ पत्नी की इच्छा पर पति को बलात्कारी साबित करना गलत बात है।


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