वृंदा करात ने कहा कि देश में किसे कैसे रहना है क्या आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत तय करेंगे। भागवत और हिन्दू ब्रिगेड अगर नहीं पढ़े तो एक बार भारतीय संविधान जरूर पढ़ ले खासकर आर्टिकल 14 और 15 देश में हर नागरिक को समान अधिकार हैं, चाहे वह किसी भी धर्म का हो। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत का बयान काफी विवादित, असंवैधानिक और उत्तेजित करने वाला है। मोहन भागवत सीधे तौर पर लोगों को मुसलमानों के खिलाफ हिंसा करने के लिए उकसा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोर्ट को उनके बयान पर स्वत: संज्ञान लेना चाहिए। भागवत के बयान से यही लगता है कि अब भारत में किस कैसे रहना है यह मोहन भागवत तय करेंगे। वहीं कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा, भारत जोड़ो यात्रा का असर आरएसएस पर भी पड़ रहा है। तभी मोहन भागवत मदरसा पहुंचे थे।
हिंदू राष्ट्र की बात संविधान में तो नहीं है। ये सनातन धर्म को जानते ही नहीं हैं, ये तो कुर्सी के लिए सनातन धर्म को बेच रहे हैं। इसके साथ एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भागवत को निशाने पर लेते हुए कहा, मुसलमानों को भारत में रहने या हमारे धर्म का पालन करने की अनुमति देने वाले मोहन कौन होते हैं? हम भारतीय हैं क्योंकि अल्लाह ने चाहा। भागवत ने हमारी नागरिकता पर शर्तें लगाने की हिम्मत कैसे की? हम यहां अपने विश्वास को समायोजित करने या नागपुर में कथित ब्रह्मचारियों के समूह को खुश करने के लिए नहीं हैं। ओवैसी ने ये भी कहा, भागवत कहते हैं कि भारत को कोई बाहरी खतरा नहीं है। संघी दशकों से आंतरिक शत्रुओं और युद्ध की स्थिति का रोना रो रहे हैं और लोक कल्याण मार्ग में उनके स्वयं के स्वयंसेवक कहते हैं, कोई नहीं घुसा है। उन्होंने कहा कि चीन के लिए यह चोरी और साथी नागरिकों के लिए सीनाजोरी क्यों? अगर हम वास्तव में युद्ध में हैं तो क्या स्वयंसेवक सरकार पिछले 8 वर्षों से सो रही है? ओवैसी ने कहा कि आरएसएस की विचारधारा भारत के भविष्य के लिए खतरा है। भारतीय असली आंतरिक शत्रुओं को जितनी जल्दी पहचान लें, उतना ही अच्छा होगा। कोई भी सभ्य समाज धर्म के नाम पर इस तरह की नफरत और कट्टरता को बर्दाश्त नहीं कर सकता।