निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट भाषण में, पिछले बजट में घोषित डिजिटल भुगतानों के लिए वित्तीय सहायता जारी रखने की सरकार की मंशा की घोषणा की थी, जो कि किफायती और उपयोगकर्ता के अनुकूल भुगतान प्लेटफार्मों के उपयोग को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करती है। यह योजना उस बजट घोषणा के अनुपालन के लिए की गई है। साल 2021-22 में सरकार ने डिजिटल लेनदेन को और बढ़ावा देने के लिए एक प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी थी। परिणामस्वरूप, कुल डिजिटल भुगतान लेनदेन में साल दर साल 59 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इस तरह का भुगतान वित्त वर्ष 2020-21 में 5,554 करोड़ रुपये था जो बढक़र वित्त वर्ष 2021-22 में 8,840 करोड़ हो गया है। इस दौरान भीम-यूपीआई लेनदेन 106 प्रतिशत की साल-दर-साल वृद्धि के साथ 2,233 करोड़ से बढक़र 2021-22 में 4,597 करोड़ रुपये हो गया था। गौरतलब है कि डिजिटल भुगतान प्रणाली के विभिन्न हितधारकों और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र के विकास पर शून्य एमडीआर शासन के संभावित प्रतिकूल प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की।
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने भी भीम-यूपीआई और रुपे डेबिट कार्ड लेनदेन को प्रोत्साहित करने के लिए इको-सिस्टम हितधारकों के लिए लागत प्रभावी मूल्य प्रस्ताव बनाने, व्यापारियों को इससे जुडऩे को प्रोत्साहित करने तथा और नकद भुगतान से तेजी से डिजिटल भुगतान की ओर बढऩे के लिए अन्य बातों के अलावा इस तरह की कोई प्रोत्साहन योजना शुरू करने का अनुरोध किया था।