(मानवीमीडिया) सरकारी अस्पतालों में काम करने वाली नर्सेज का भी पदनाम बदला जाना चाहिए। सभी नर्सों को नर्सिंग ऑफिसर के नाम से बुलाया जाना चाहिए। इससे पुरूष नर्सों के अन्दर हीन भावना नहीं पैदा होगी। यह कहना है संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के नर्सिंग स्टाफ एसोसिएशन की अध्यक्ष सीमा शुक्ला का। वह शनिवार को एसजीपीजीआई स्थित आडिटोरियम में नर्सिंग स्टाफ एसोसिएशन के वार्षिक अधिवेशन को संबोधित कर रही थी।
उन्होंने कहा कि एसजीपीजीआई में नर्सेज का पदनाम बदलकर नर्सिंग ऑफिसर कराने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी गई। उन्होंने कहा कि पुरूष नर्सिंग स्टाफ के लिए सिस्टर ग्रेट -2 लिखना और इस नाम से पुकारा जाना एक समस्या की तरह था। जिससे अब निजात मिल चुकी है। उन्होंने कहा कि राजकीय अस्पतालों में तैनात नर्सेज चाहें वह स्थाई तोर पर तैनात हो या फिर आउटसोर्सिंग के माध्यम से सभी का पदनाम बदला जाना चाहिए।
दरअसल,संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के नर्सिंग स्टाफ एसोसिएशन का वार्षिक अधिवेशन शनिवार को आयोजित हुआ। एसजीपीजीआई के आडिटोरियम में आयोजित वार्षिक अधिवेशन के दौरान नवनियुक्त नर्सिंग आफिसर का स्वागत नर्सिंग स्टाफ एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने प्रतीक चिन्ह देकर किया।
नर्सिंग स्टाफ एसोसिएशन के महामंत्री सुजान सिंह ने बताया है कि लंबे वक्त से हम लोग कैडर पुरर्गठन और पदनाम समेत अन्य मांगों के लिए संघर्ष कर रहे थे। हमारी मांग बीते दिनों पूरी हो गई। नर्सेज का पदनाम बदलकर अब नर्सिंग ऑफिसर होने से पुरूष नर्सिंग स्टाफ को राहत मिली है। उन्होंने बताया कि आज के अधिवेशन में नवनियुक्त नर्सिंग ऑफिसर को युनियन की शक्तियां और कार्य के बारे में बताया गया। साथ ही मरीज हित में किये जाने वाले कार्यों की भी जानकारी प्रदान की गई।