नई दिल्ली (मानवी मीडिया) भारत के 74वें गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह एल सिसी आज यह दिल्ली पहुंच गये। पालम वायुसैनिक हवाईअड्डे पर मिस्र के राष्ट्रपति अपने विशेष विमान से करीब छह बजे उतरे। विदेश राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह ने उनकी अगवानी की।
एल सिसी की यह तीसरी भारत यात्रा है। वह पहली बार 2015 में भारत अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन में भाग लेने आये थे और इसके बाद सितंबर 2016 में वह द्विपक्षीय राजकीय यात्रा पर आये थे। मोदी से उनकी यह तीसरी मुलाकात होगी। आधिकारिक कार्यक्रम के अनुसार एल सिसी का कल सुबह दस बजे राष्ट्रपति भवन में रस्मी स्वागत किया जाएगा।
वह तीनों सेनाओं की संयुक्त टुकड़ी की सलामी गारद का निरीक्षण करेंगे। इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर उनसे होटल में मुलाकात करेंगे। मेहमान नेता इसके बाद राजघाट जाकर महात्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। करीब साढ़े 11 बजे हैदराबाद हाउस में एल सिसी एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच द्विपक्षीय बैठक होगी और उसमें आपसी सहयोग के कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर किये जाएंगे। शाम साढ़े सात बजे वह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करेंगे।
अगले दिन वह दस बजे कर्त्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे। करीब साढ़े तीन बजे वह राष्ट्रपति भवन के ऐट होम में शामिल होंगे और शाम को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ उनसे भेंट करेंगे। एल सिसी 27 जनवरी को सुबह दस बजे स्वदेश रवाना होंगे। सूत्रों के अनुसार मिस्र के साथ भारत के संबंधों में बीते दिनों काफी प्रगति हुई है।
दोनों का द्विपक्षीय कारोबार 7.6 अरब डॉलर का हो गया है जिसमें 75 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है। अगले पांच वर्षों में इसे 12 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। दोनों देशों के बीच हाइड्रोकार्बन स्वच्छ ऊर्जा खासकर ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के क्षेत्र में सहयोग को लेकर बात चल रही है। भारत मिस्र के साथ सुरक्षा एवं प्रतिरक्षा क्षेत्र में खासकर रक्षा क्षेत्र में संयुक्त उत्पादन के बारे में वार्तालाप कर रहा है।
सुरक्षा क्षेत्र में क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण, साइबर सुरक्षा आदि तथा प्रतिरक्षा के क्षेत्र में एलसीए तेजस लड़ाकू विमान, एडवान्स्ड लाइट हैलीकॉप्टर ध्रुव, आकाश मिसाइलें आदि खरीदने के साथ ही समुद्री सुरक्षा के बारे में भी सहयोग को लेकर संवाद चल रहा है।
स्वेज नहर से माल की आवाजाही, समुद्री डाकुओं के विरुद्ध अभियान, आतंकवाद निरोधक कार्रवाई को लेकर भी दोनों देशों के बीच सहयोग स्थापित है। सूत्रों के अनुसार मिस्र इस्लामिक देशों के संगठन (ओआईसी) का एक प्रमुख सदस्य है। मिस्र ने कभी भी पाकिस्तान के कश्मीर को लेकर दुष्प्रचार को स्वीकार नहीं किया है। एक उदार एवं प्रगतिशील मिस्र की अर्थव्यवस्था अफ्रीका में तीसरे स्थान पर है और वह अरब जगत एवं अफ्रीका दोनों पर अपना समान प्रभाव रखता है।