विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भर्तियों में आरक्षण की अनदेखी की गयी। कई विश्वविद्यालयों में पिछड़ों का हक मारा गया। पिछड़ों को मान-सम्मान और हक देने को लेकर भाजपा की नीयत कभी ठीक नहीं रही है। भाजपा आरक्षण के खिलाफ पिछले दरवाजे की राजनीति कर रही है।
अखिलेश यादव ने कहा कि देश में विदेशी विश्वविद्यालयों के कैम्पस खोलने की तैयारी हो रही है। इससे देश के छात्र-छात्राएं कितना लाभाविन्त होंगे यह तो समय बताएगा किन्तु यह निश्चित है कि इनमें आरक्षण जैसी कोई व्यवस्था नहीं होगी।
भाजपा अपने राजनीतिक उद्देश्य को पूरा करने के लिए पिछड़ों के साथ रहने का दिखावा कर रही है। भाजपा सत्ता पाने के बाद धोखा दे देती है। भाजपा के धोखे और छलावा को पिछड़े और दलित समझ चुके हैं। समय आने पर इस धोखे का जवाब देंगे।
देश और प्रदेश के विश्वविद्यालयों में जब आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है तो भला विदेशी विश्वविद्यालयों के कैम्पस में दलित, पिछड़े, आदिवासी अध्यापकों और विद्यार्थियों को क्या मान-सम्मान और स्थान मिलेगा? अच्छा होता भारत के प्रतिष्ठित संस्थाओं के कैम्पस विदेशों में भी खोलने का प्रयास किया जाता।
उत्तर प्रदेश में कोई एक नहीं कई उदाहरण है जब भाजपा की सरकार ने पिछड़ों का हक मारा है। पुलिस भर्ती में आरक्षण की गलत व्याख्या कर सैकड़ों नौजवानों को नौकरी से वंचित कर दिया। 69हजार शिक्षक भर्ती में बड़े पैमाने पर आरक्षण का घोटाला किया। भाजपा सरकार की नीयत पिछड़े और दलितों को हक और अधिकार देने के बजाय उन्हें दबाए रखने की है।