लखनऊ (मानवी मीडिया)पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने कहा कि एक वक़्त था जब मदरसों से शिक्षा पाकर निकले हुए लोग भारत के नामचीन हस्तियों में शामिल हुए लेकिन धीरे-धीरे ये सिलसिला ख़त्म हो गया लेकिन उत्तर प्रदेश के पश्चिमी इलाक़ों में कई ऐसे मदरसे हैं जहां हिंदू समुदाय के बच्चे भी तालीम हासिल कर रहे हैं।
मदरसों के लिए काम करने वाले लोगों का कहना है कि ये इन संस्थानों के आधुनिकीकरण का नतीजा है।
कभी *डाक्टर राजेंद्र प्रसाद* और *मुंशी प्रेमचंद* *जैसे बड़े लोगों ने मदरसे में तालीम हासिल की थी* लेकिन बाद में हिंदू समाज के लोगों के बीच मदरसों में तालीम हासिल करने का चलन ख़त्म होता चला गया.
हालांकि मदरसों के आधुनिकीकरण के बाद एक बार फिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिंदू समुदाय के बच्चों का मदरसे में पढ़ने का चलन बढ़ रहा है।
बहुत से मदरसे में हिंदू शिक्षक भी पढ़ा रहे हैं।
बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष प्रियंका कानूनगो का पत्र कि मदरसों में गैर मुस्लिम छात्रों को शिक्षा दे कर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है निराधार है इस तरह की रिपोर्ट मिलने के बाद उन मदरसों की जांच कराई गई लेकिन कोई तथ्य नहीं मिले । आयोग की अध्यक्ष प्रियंका कानूनगो का पत्र मदरसों को बदनाम करने और सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश की जा रही है जब की कक्षा 1से 8 तक धार्मिक शिक्षा का कोई प्रावधान नहीं है।उर्दू एक ऐच्छीक सब्जेक्ट है।
कभी मदरसे में पढ़ चुके मौलाना शाहिद रजा खान ने UPSC Exam Result 2018 में सफलता हासिल की है। उन्होने यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) के नतीजों में घोषित ऑल इंडिया रैंकिंग में 751वां नंबर हासिल किया है।
बिहार के गया के रहने वाले शाहिद खान ने बताया – ‘मेरी शुरुआती पढ़ाई मेरे गांव के एक मदरसे में हुई थी। उसके बाद में उत्तर प्रदेश आ गया। यहां आजमगढ़ के मुबारकपुर में अल-जमैतुल अशरफिया गया। अब मैं दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से पीएचडी की पढ़ाई कर रहा हूं।