लखनऊ (मानवी मीडिया) 109 साल पुराने पक्का पुल के ऊपरी हिस्से की जांच सोमवार तक पूरी हो जाएगी। इसके बाद इस पर हल्के वाहन चलने लगेंगे। भारी वाहनों की आवाजाही जांच रिपोर्ट आने तक बंद रहेगी। शनिवार को भी लोड टेस्टिंग हुई, जो रविवार को जारी रहेगी।करीब 300 मीटर लंबे इस पुल पर पांच आर्च हैं। इनकी मजबूती जांचने के लिए लोड टेस्टिंग चल रही है। इसके लिए हर आर्च पर 24 घंटे के लिए 30-30 क्विंटल मलबे से लदे चार ट्रक खड़े किए जा रहे हैं।
जांच करने वाली टीम के मुखिया डीएन तिवारी ने बताया कि सोमवार से पुल के नीचे की जांच होगी। इस दौरान ऊपर हल्के वाहनों की आवाजाही चलती रहेगी। पूरे पुल की जांच मंगलवार तक हो पाएगी, जिसकी रिपोर्ट 30 दिसंबर तक आएगी। तब तक भारी वाहन नहीं चलेंगे। पुल की मजबूती जांचने के लिए कोर टेस्ट और कैपो टेस्ट भी किए जा रहे हैं। कोर टेस्ट में रोड से पुल पर ग्राइंडर से छेद किया गया। इसमें निकली निर्माण सामग्री की जांच से पता चलेगा कि अभी यह कितनी अच्छी है। कैपो (कट एंड पुल आउट) टेस्ट में पुल के नीचे की साइड में दीवार से छेद करके देखा जाता है कि यहां से पुल कितना मजबूत है। एक आर्च में 10 कैपो टैस्ट किए जा रहे हैं, जिसमें पांच से छह घंटे लग रहे हैं। यह टेस्ट मंगलवार तक पूरा होगा।
शिफ्ट नहीं हो सकेगी पुल से गुजर रही पानी की पाइपलाइन
लोक निर्माण विभाग ने पक्का पुल को नुकसान से बचाने के लिए इस पर से गुजर रही पानी की पाइपलाइन को शिफ्ट करने की जरूरत बताई है। उधर, जलकल के महाप्रबंधक राम कैलाश ने बताया कि पुल पर दोनों तरफ मौजूद आठ-आठ इंच की पाइपलाइन की मरम्मत तो हो सकती है, पर इसे शिफ्ट नहीं किया जा सकता। आगे भी यह तभी शिफ्ट हो पाएगी, जब प्रबंध नगर योजना के घैला में प्रस्तावित चौथा जलकल तैयार हो जाएगा।
उन्होंने यह भी बताया कि यदि पुल के नीचे नदी न होती तो पाइपलाइन को शिफ्ट करने में समस्या नहीं आती। ऐशबाग पुल से गुजर रही पाइपलाइन इसलिए शिफ्ट हो सकी थी, क्योंकि उसके नीचे रेलवे लाइन थी। ऐसे में पाइपलाइन को वहां से हटाकर रेलवे लाइन के नीचे से निकाला गया। पक्का पुल पर ऐसी गुंजाइश नहीं है। इस पाइपलाइन से त्रिवेणीनगर, मनकामेश्वर, फैजुल्लागंज, बाबूगंज आदि इलाकों की टंकियां भरी जाती हैं। घैला में चौथा जलकल बनने पर पतंग पार्कजोनल पंपिंग स्टेशन को इससे जोड़ दिया जाएगा। फिर पुल से पाइपलाइन को हटाया जा सकता है।
उन्होंने यह भी बताया कि यदि पुल के नीचे नदी न होती तो पाइपलाइन को शिफ्ट करने में समस्या नहीं आती। ऐशबाग पुल से गुजर रही पाइपलाइन इसलिए शिफ्ट हो सकी थी, क्योंकि उसके नीचे रेलवे लाइन थी। ऐसे में पाइपलाइन को वहां से हटाकर रेलवे लाइन के नीचे से निकाला गया। पक्का पुल पर ऐसी गुंजाइश नहीं है। इस पाइपलाइन से त्रिवेणीनगर, मनकामेश्वर, फैजुल्लागंज, बाबूगंज आदि इलाकों की टंकियां भरी जाती हैं। घैला में चौथा जलकल बनने पर पतंग पार्कजोनल पंपिंग स्टेशन को इससे जोड़ दिया जाएगा। फिर पुल से पाइपलाइन को हटाया जा सकता है।