भाजपा राज में गैस, डीजल, पेट्रोल और घरेलू रसोई गैस के दामों में भारी वृद्धि हुई है। आटा-दाल के दाम भी तेजी से बढ़ रहे हैं। तेल और खाद्य पदार्थो की कीमतों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। पिछले एक माह में आटा, दाल के दाम दस रूपए तक बढ़ गए है। रवा, छोला, मैदा, जीरा सब कुछ मंहगा हो गया है। गरीब और मध्यमवर्गीय लोग उपभोग की वस्तुओं के दामों में भारी बढ़ोत्तरी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। वह क्या खाए? और क्या बचाए?
सरकार में सत्ता सुख लूट रहे भाजपा नेतृत्व को उस गरीब की क्या चिंता होगी जिसकी प्रतिदिन की कमाई सौ रूपए से भी कम होती है। दिहाड़ी मजदूर को अक्सर बिना काम घर बैठ जाना पड़ता है। मनरेगा में भ्रष्टाचार और धांधली के चलते अब श्रमिकों को नियमित काम नहीं मिल पा रहा है। भाजपा राज में संविदा पर ही अब सब काम होने लगा है जिसमें न नौकरी की सुरक्षा है और न समय से वेतन मिलने की गारन्टी है।
महंगाई की मार से देश का अन्नदाता किसान भी बहुत परेशान है। प्राकृतिक आपदा के चलते कभी-कभी फसलें बर्बाद हो जाने से किसान भाइयों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। बड़े व्यापारी किसान की आर्थिक मजबूरी को देखते हुए उनकी फसलों का संग्रह कर कालाबाजारी का खेल खेलते हैं। भाजपा सरकार की नीतियों से मंहगाई बेलगाम है। भाजपा सरकार की मनमानी के चलते देश में गरीबों की तादाद दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। भाजपा सरकार के रहते महंगाई और भ्रष्टाचार से छुटकारा मुश्किल है।