निर्माण और निर्माण अनुरक्षण के नाम पर बजट की लूट हो रही है। इसी तरह से पिछले 6वर्षों से सड़कों के गड्ढामुक्त सड़क योजना में हजारों करोड़ रूपयें का बजट का बंदरबांट हो गया लेकिन सड़कें गड्ढामुक्त नहीं हुई हैं। सरकार गड्ढामुक्त सड़क अभियान की तारीखें बढ़ाती रही, सड़कों को गड्ढामुक्त नहीं कर पायी। आज भी प्रदेश की सड़के गड्ढों से भरी पड़ी है, जिससे हर रोज दुर्घटनाओं में लोगों की जानें जा रही है।
प्रदेश की सड़कों का हाल छोड़िए राजधानी लखनऊ की सड़कों की हालत भी खस्ता है। सरकार लखनऊ की सड़कों को भी ठीक नहीं कर पा रही है। सड़कें टूटी हैं, गड्ढे हैं। विक्रमादित्य मार्ग पर जहां माननीय न्यायाधीश, मुख्य सचिव और कई मंत्री रहते है, उस सड़क का भी बुरा हाल है। विभागीय निर्माणकार्यों के चलते खुदाई से सड़कें ऊंची नीची बनाकर छोड़ दी गई, जिसमें चलने पर गाड़ी झूले का अहसास कराती है। यही हाल लखनऊ की अन्य सड़कों का भी है।
जिलों में तो सड़क निर्माणकार्य में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। सड़क व अन्य निर्माणकार्यों में हो रहे घपले-घोटालों पर रोक लगाने के बजाय सरकार के मंत्री अपने नाम की पट्टिका लगाकर भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दे रहे हैं।
पीलीभीत में प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत बनी सड़क को लोगों ने हाथ से उखाड़ दिया। इससे पहले भी कई जगहों पर घटिया और फर्जी निर्माण की खबरे आ चुकी है।
बुन्देलखंड एक्सप्रेस-वे के निर्माण को सभी ने देखा है। किस तरह प्रधानमंत्री जी के उद्घाटन के दूसरे ही दिन एक्सप्रेस-वे टूट गया। इस निर्माण कार्य में बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार की जांच आवश्यक है। इसी तरह भाजपा सरकार ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के निर्माण में भी मानकों के विरुद्ध कार्य कर गुणवत्ता को बर्बाद किया है।