लखनऊ (मानवी मीडिया) उत्तर प्रदेश कि राजधानी लखनऊ में केंद्रीय सिंह सभा गुरुद्वारा आलमबाग द्वारा गुरुद्वारा छोटे साहिबज़ादे सिंगार नगर व बाबा दीप सिंह फाउडेशन के पूर्ण सहयोग से *27 दिसंबर* को साहिबजादा पार्क आलमबाग में *श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों का शहीदी पर्व* प्रातः 6:00 बजे से 11:30 बजे तक बड़ी श्रद्धा पूर्वक मनाया जा रहा है।
फाउंडेशन के संस्थापक मनमोहन सिंह हैप्पी ने बताया कि निर्मल सिंह के संयोजन में अरविन्दर सिंह कोहली,मंजीत सिंह तलवार ,सतनाम सिंह सेठी , रंजीत सिंह , सर्वजीत सिंह, संदीप सिंह आन्नद, राजेन्द्र सिंह, रतपाल सिंह गोल्डी की संयुक्त अगुवाई में होने वाले इस कार्यक्रम में विशेष रुप से *विश्वविख्यात भाई गगनदीप सिंह जी श्री गंगानगर* से विशेष रूप से पधार रहे हैं।
गुरुद्वारा आलमबाग के महासचिव रतपाल सिंह गोल्डी ने बताया कि 26 दिसंबर 1704 में गुरुगोबिंद सिंह जी के दो साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को इस्लाम धर्म कबूल न करने पर सरहिंद के नवाब ने दीवार में जिंदा चुनवा दिया था
मीडिया प्रभारी हरजीत सिंह ने बताया कि साहिबजादो की शहादत धर्म को बचाने के लिए की गई।
कार्यवाहक अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राजू ने कहा इस अवसर पर सुखमनी साहिब सेवा सोसायटी, गुरु गोबिंद सिंह स्टडी सर्किल, पंजाबी यूथ एसोसिएशन, कलगीधर यूथ एसोसिएशन, गूंज सिख वॉइस, सिख सेवक जत्था सहित लखनऊ के सभी *धार्मिक संस्थाएं एवं गुरुद्वारा साहिब* के सदस्य सम्मिलित होंगे
जत्थेदार जसबीर सिंह ने कहा कि..
विश्व में आज तक किसी एक भूमि के टुकड़े का सबसे अधिक दाम चुकाया गया है भारत में ही पंजाब में स्थित सिरहिन्द में और विश्व की इस सबसे महंगी भूमि को ख़रीदने वाले महान व्यक्ति का नाम दीवान टोडर मल था
गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे-छोटे साहिबज़ादों बाबा फ़तेह सिंह और बाबा ज़ोरावर दोनो साहिबज़ादों को जीवित ही दीवार में चिनवा दिया था।
दीवान टोडर मल जो कि इस क्षेत्र के एक धनी व्यक्ति थे और गुरु गोविंद सिंह जी एवं उनके परिवार के लिए अपना सब कुछ क़ुर्बान करने को तैयार थे उन्होंने वज़ीर खान से साहिबज़ादों के पार्थिव शरीर की माँग की और वह भूमि जहाँ वह शहीद हुए थे वहीं पर उनकी अंत्येष्टि करने की इच्छा प्रकट की ....
वज़ीर खान ने धृष्टता दिखाते हुए भूमि देने के लिए एक अटपटी और अनुचित माँग रखी....
वज़ीर खान ने माँग रखी कि इस भूमि पर सोने की मोहरें बिछाने पर जितनी मोहरें आएँगी वही इस भूमि का दाम होगा.......
दीवान टोडर मल के अपने सब भंडार ख़ाली करके जब मोहरें भूमि पर बिछानी शुरू कीं तो वज़ीर खान ने धृष्टता की पराकाष्ठा पार करते हुए कहा कि मोहरें बिछा कर नहीं बल्कि खड़ी करके रखी जाएँगी ताकि अधिक से अधिक मोहरें वसूली जा सकें।
दीवान टोडर मल ने अपना सब कुछ बेच कर और मोहरें इकट्ठी कीं और 78000 सोने की मोहरें देकर चार गज़ भूमि को ख़रीदा ताकि गुरु जी के साहिबज़ादों का अंतिम संस्कार वहाँ किया जा सके......
विश्व के इतिहास में ना तो ऐसे त्याग की कहीं कोई और मिसाल मिलती है ना ही कहीं पर किसी भूमि के टुकड़े का इतना भारी मूल्य कहीं और आज तक चुकाया गया.
जब बाद में गुरु गोविन्द सिंह जी को इस बारे में पता चला तो उन्होंने दीवान टोडर मल से कृतज्ञता प्रकट की और उनसे कहा की वे उनके त्याग से बहुत प्रभावित हैं और उनसे इस त्याग के बदले में कुछ माँगने को कहा.दीवान जी ने गुरु जी से जो माँगा उसकी कल्पना करना भी असम्भव है !
दीवान टोडर मल जी ने गुरु जी से कहा की यदि कुछ देना ही चाहते हैं तो कुछ ऐसा वर दीजिए की मेरे घर पर कोई पुत्र ना जन्म ले और मेरी वंशावली यहीं मेरे साथ ही समाप्त हो जाए।
इस अप्रत्याशित माँग पर गुरु जी सहित सब लोग हक्के-बक्के रह गए.....
गुरु जी ने दीवान जी से इस अद्भुत माँग का कारण पूछा तो दीवान जी का उत्तर ऐसा था जो रोंगटे खड़े कर दे.
दीवान टोडर मल ने उत्तर दिया कि गुरु जी, यह जो भूमि इतना महंगा दाम देकर ख़रीदी गयी और आपके चरणों में न्योछावर की गयी मैं नहीं चाहता की कल को मेरे वंश आने वाली नस्लों में से कोई कहे की यह भूमि मेरे पुरखों ने ख़रीदी थी.
यह थी निस्वार्थ त्याग और भक्ति की आज तक की सबसे बड़ी मिसाल.
कार्यक्रम में मुख्य रूप से महापौर संयुक्ता भाटिया, सनातनी पंजाबी महासभा, शिव शान्ति आश्रम के साँई मोहन लाल जी, गुरुद्वारा आलमबाग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष त्रिलोक सिंह ने बताया इस अवसर पर सरबजजीत सिंह , सुरेंद्र सिंह मोनू बख्शी भूपेंद्र सिंह पिंदा , जसबीर सिंह राजू त्रिलोक सिंह बहल राजेंद्र सिंह सलूजा राजेंद्र सिंह लक्की बग्गा उपस्थित होंगे