उऩ्होंने संसद के बाहर मीडिया से कहा कि आज सामान्य व्यापार में यह कहीं भी इस्तेमाल नहीं हो रहा है। तीन वर्षों से RBI ने भी प्रिंटिंग बंद कर दी है। वहीं, एक और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने संसद में बोलते हुए इशारों-इशारों में कह दिया कि सरकार कभी भी इसे बंद करने की घोषणा कर सकती है।
सुशील मोदी ने इसकी प्रासंगिकता समझाते हुए कहा कि नोटबंदी के बाद कम समय में नोटों की अदला-बदली हो सके इसलिए 2000 के नोट जारी किए गए थे। उन्होंने सरकार से मांग की है कि अब इस गुलाबी नोट को मार्केट से समाप्त कर दिया जाए। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने कहा कि यह कमाल की बात है। सुशील मोदी जी के इस बयान का स्वागत करना चाहिए। इसमें भी साजिश है कि तब जनता इसका विरोध कर रही थी। अब फिर एक बार जनता के बीच में जाना है तो इस तरह की बातें हो रही है। तिवारी ने कहा कि सीनियर मोदी जब 2000 का नोट लेकर आए थे तो जूनियर मोदी ने कहा था कि आतंकवाद की कमर तोड़ दी है। अब इसका विरोध कर रहे हैं। यह पहली दफा हो रहा है कि पार्टी में रहते हुए पार्टी के फैसलों का विरोध हो रहा है।
क्यों नहीं दिख रहे हैं दो हजार के नोट?
पिछले साल आरबीआई ने कहा था कि मार्च 2021 तक देश में 2000 रुपये के मात्र 24,510 लाख नोट ही चलन में बचे हैं। इनका कुल मूल्य 4.90 लाख करोड़ रुपये है। देश में 31 मार्च 2021 तक चलन में कुल करंसी नोट में 500 और 2000 की हिस्सेदारी 85.7% रही, जो 31 मार्च 2020 तक 83.4% थी।