लखनऊ: (मानवी मीडिया) रिश्वतखोरी के आरोप में फंसे एकेटीयू के पूर्व कुलपति प्रो. विनय पाठक के मामले में जांच कर रही एसटीएफ ने अब एकेटीयू की तरफ रुख कर लिया है। सूत्रों का कहना है कि पाठक की गिरफ्तारी से पहले एसटीएफ सारे साक्ष्य जुटाना चाहती है। इससे पाठक के सहयोगियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पाठक के बतौर एकेटीयू वीसी रहते हुए उन्होंने कई लोगों को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने के लिए सारे नियमों को ताक पर रख दिया था। इनमें एक नाम इंस्टिट्यूट ऑफ इंजिनियरिंग ऐंड टेक्नोलॉजी (आईईटी) के उप कुलसचिव राजीव कुमार मिश्र का भी है। विनय पाठक के करीबियों में से एक वो भी हैं। सूत्रों का दावा है कि एसटीएफ राजीव सहित एकेटीयू में कार्यरत एक अन्य शख्स की भी कुंडली खंगाल रही है।
राजीव मिश्र पर चयन के दौरान फर्जी मार्कशीट लगाने का भी आरोप लगा था, जिसके अनुसार उनके बीए फाइनल में 469 अंक हैं। जबकि आवेदन के दौरान इन्होंने उसे 499 दिखाया। इस बात का खुलासा इनके द्वारा चार संस्थानों में अलग दस्तावेजों के आधार पर किए गए आवेदन के दौरान हुआ। शिकायत होने पर एकेटीयू की ओर से अंक तालिका की छायाप्रति बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी भेजी गई। विश्वविद्यालय ने रिपोर्ट में 469 अंक होने की ही पुष्टि की।
वित्तीय अनियमितता के आरोप में हुए थे निलंबित
राजीव मिश्र पर 2019 में प्रोवेशन काल में ही वित्तीय अनियमितता के आरोप लगे। जांच में इसकी पुष्टि होने के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद 14 जनवरी 2021 को विनय पाठक ने पत्र जारी कर राजीव को बहाल कर दिया। इतना ही नहीं पत्र में भी इस बात का स्पष्ट उल्लेख किया गया कि राजीव पर लगे अनियमिताओं के सभी आरोपों की पुष्टि हुई है, लेकिन उनके माफी मांगने पर मानवता के आधार पर बहाल किया गया है। इसके अलावा राजीव मिश्र पर लगे आरोपों को लेकर राजभवन तक भी शिकायत पहुंची थी। जहां 22 फरवरी 2022 को सुनवाई के बाद राजभवन की तरफ से एकेटीयू प्रशासन को राजीव के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करवाने का मौखिक निर्देश भी जारी किया गया था, लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं करवाई गई थी।