नई दिल्ली(मानवी मीडिया)- दिल्ली में आयोजित नो मनी फॉर टेरर मंत्रिस्तरीय सम्मेलन का समापन हो गया। समापन सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद के वित्तपोषण पर वैश्विक फोकस रखने के लिए भारत में एनएमएफटी का एक स्थायी सचिवालय बनाने का प्रस्ताव किया गया है।
अमित शाह ने बताया कि भारत ने आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने पर निरन्तर वैश्विक फोकस बनाए रखने के लिए एनएमएफटी की इस विशिष्ट पहल के स्थायित्व की आवश्यकता महसूस की है। अब स्थायी सचिवालय स्थापित करने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में आगे बढ़ते हुए चेयर स्टेटमेंट में, भारत में एक स्थायी सचिवालय स्थापित करने का प्रस्ताव शामिल है।
अमित शाह ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में भारत ने आतंकवाद के सभी रूपों सहित कई चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है। आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति, काउंटर-टेरर कानूनों के मजबूत फ्रेमवर्क तथा एजेंसियों के सशक्तिकरण के कारण भारत में आतंकवाद से होने वाली घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है तथा आतंकवाद के मामलों में सख्त सजा दिलाने में सफलता हासिल की गई है। अमित शाह ने बताया कि भारत सरकार ने यह भी तय किया है कि टेररिज्म, नारकोटिक्स और आर्थिक अपराध जैसे अपराधों पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय डेटाबेस विकसित किया जाए। साइबर अपराध का व्यापक तरीके से मुकाबला करने के लिए भारत सरकार ने भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की स्थापना की है।
अमित शाह ने ये भी कहा कि ऐसे कई मामले सामने हैं, जहाँ अन्य मकसदों की आड़ में कुछ संगठन, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद और रेडिकलाइजेशन को बढ़ावा दे रहे हैं। यह भी देखा गया है कि यह संगठन, आतंकवाद को फाइनेंस करने के चैनल भी बनते हैं। साथ ही, सभी देशों को टेररिज्म और टेरर फाइनेंसिंग की व्याख्या पर रणनीति से ऊपर उठकर सहमति बनानी होगी। केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि आज साइबर स्पेस, टेररिज्म के खिलाफ लड़ाई का एक प्रमुख युद्ध का मैदान है। वेपन्स टेक्नोलॉजी में भी बहुत परिवर्तन हुआ है। 21वीं सदी की लीथल टेक्नोलॉजीज तथा ड्रोन टेक्नोलॉजी अब आतंकवादियों के पास भी उपलब्ध है। टेररिस्ट तथा टेररिस्ट ग्रुप्स के नारकोटिक्स जैसे संगठित अपराधों के साथ बढ़ते लिंक्स, क्रिप्टो करेंसी तथा हवाला, टेरर फाइनेंसिंग की संभावनाओं को कई गुना बढ़ा देते हैं। अमित शाह ने सभी देशों से आग्रह करते हुए कहा हमारी सबसे पहली प्रतिबद्धता होनी चाहिए ट्रांसपेरेंसी के साथ कोऑपरेशन की। सभी देशों और संगठनों को बेहतर और प्रभावी तरीके से इंटेलिजेंस साझा करने में पूरी तरह से ट्रांसपेरेंसी का संकल्प लेना होगा। हमें आतंकवाद और आतंकी गुटों के खिलाफ इस लड़ाई को प्रत्येक भौगौलिक और वर्चुअल क्षेत्र में लड़ना होगा।