*अपनों के अपनत्व की राह देखते रह गए धर्मेंद्र, योगी ने थामे रखा प्रत्याशियों का हाथ*
समाजवादी पार्टी के लिए परिवारवाद ही प्रथम है। आजमगढ़ में उपचुनाव घोषित हुआ तो स्थानीय प्रत्याशी ताकते रह गए और सपा परिवार के धर्मेंद्र यादव को साइकिल चुनाव चिह्न मिल गया। सपा प्रत्याशी ने वहां प्रचार शुरू किया, लेकिन पूरे चुनाव के दौरान अखिलेश एक भी दिन नहीं गए, जबकि अखिलेश व उनके पिता मुलायम सिंह यादव (अब स्मृतिशेष) खुद भी इस सीट से सांसद रह चुके हैं। अपनों के अपनत्व की राह देख रहे धर्मेंद्र यादव पर योगी आदित्यनाथ का विकास भारी पड़ा, लिहाजा यहां से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्य़ाशी व भोजपुरी फिल्मों के गायक-नायक दिनेश लाल यादव निरहुआ ने जीत हासिल की। यहां पहले से चल रहे योगी सरकार के विकास कार्यों को और तेज गति से संचालित किया जाने लगा।
*रामपुर के रण में उतरे योगी, इसलिए रजा नहीं बन पाए राजा*
रामपुर लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने आसिम रजा को प्रत्याशी बनाया था। अखिलेश यादव ने यहां भी एक दिन कार्यकर्ताओं से संवाद नहीं बनाया। वहीं 25 करोड़ प्रदेशवासियों को परिवार मानने वाले योगी आदित्यनाथ ने रामपुर के रण में भी जरूरत के समय अपने प्रत्याशी को अकेले नहीं छोड़ा। उन्होंने जनसभा कर घनश्याम लोधी के पक्ष में विकास, सुशासन और कानून व्यवस्था के बलबूते वोट मांगा। लिहाजा जनता ने भी प्रदेश के मुखिया योगी का मान रखा और घनश्याम लोधी को जिताकर दिल्ली भेज दिया। योगी के विकास और अखिलेश की अनदेखी से सपा के आसिम रजा रामपुर के राजा नहीं बन पाए और उन्हें मुंह की खानी पड़ी।
*गोला गोकर्णनाथ में योगी ने अमन को पार कराई वैतरणी, अखिलेश गए तक नहीं*
गोला गोकर्णनाथ में भाजपा विधायक अरविंद गिरि के निधन के बाद विधानसभा उपचुनाव हुआ। यहां भाजपा ने नए चेहरे अमन गिरि को उतारा तो सपा ने पूर्व विधायक विनय तिवारी पर दांव खेला। यहां भी योगी आदित्यनाथ ने अपने युवा चेहरे को निराश न होने दिया। हाथ थामकर मैदान में न सिर्फ उतारा, बल्कि हर योजनाओं का खाका जनता तक पेश कर अमन को लखनऊ पहुंचाया, वहीं अखिलेश अपने पूर्व विधायक को वर्तमान बनाने के लिए भी वहां नहीं पहुंचे। योगी सरकार के प्रति जनविश्वास की जीत रही कि अमन गिरि 34 हजार से अधिक वोटों से कमल खिलाने में सफल रहे।
*करते रहे अपमान, खुद पर आई तो चाचा को दिया सम्मान*
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव से रिश्ते जगजाहिर हैं। सार्वजनिक मंचों पर भी अखिलेश ने शिवपाल को बेइज्जत करने का कोई मौका नहीं छोड़ा। नौबत यहां तक बनी कि शिवपाल को मुलायम सिंह यादव के रहते अपनी खुद की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी तक बनानी पड़ी। जुबान से लेकर शिवपाल की आंखों ने कई बार अपना दर्द बयां किया पर जब मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में पत्नी डिंपल यादव की दावेदारी की बात आई तो अखिलेश अपने इन्हीं शिवपाल चाचा के घर तक पहुंच गए और हमेशा अपमान करते-करते अचानक गुरुवार को सम्मान दे दिया।