इसके बाद मरीज़ को अक्तूबर माह में ऑपरेशन के लिए केजीएमयू में कैंसर सर्जरी विभाग में रेफर किया गया।
इस विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ शिव राजन जो कि जटिल आपरेशन पहले भी कर चुके हैं, ने मरीज की सभी रिपोर्ट देखने के बाद उन्हें बताया कि इसका ऑपरेशन दूरबीन द्वारा संभव है।
विभागाध्यक्ष प्रो विजय कुमार तथा पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो अरुण चतुर्वेदी के साथ ऑपरेशन की जटिलताओं की चर्चा करने के बाद डॉक्टर शिव राजन ने इस ऑपरेशन का निर्णय लिया।सामान्यत: इस ऑपरेशन में छाती को 15 से 20 cm के चीरे से खोला जाता है या दूरबीन के द्वारा छाती में 4 से 5 छेद किए जाते हैं जिसमें छाती में गैस भरी जाती है और आहार नली निकालने के लिए किसी एक छेद को लगभग 5 cm बड़ा किया जाता है। लेकिन देश में पहली बार डॉक्टर शिव राजन ने केवल 4 cm के एक ही छेद से दूरबीन द्वारा इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक कर दिया। इसमें ना ही गैस का प्रयोग किया एवं ना ही छेद को बड़ा किया गया। इस ऑपरेशन में 6 घंटे लगे और पेट से खाने के रास्ते की ट्यूब बना कर दूरबीन द्वारा ही छाती में जोड़ा गया। इस ऑपरेशन में डॉ शिव राजन के साथ निश्चेतन विभाग के प्रो. डॉ अजय चौधरी, डॉ रोहित, डॉ अंकुर चौहान तथा डॉ शाश्वत तिवारी रहे, सिस्टर कृष्णा एवं स्टाफ अमित भी शामिल रहे।
अब मरीज पूर्णतया: मुंह से खाने लगा है और दसवें दिन अस्पताल से छुट्टी होकर अपने घर चला गया है। दूरबीन द्वारा छाती में एक छेद कर के गर्दन में खाने के रास्ते को जोड़कर ऑपरेशन भी पहली बार डॉ शिव राजन ने 2014 में केजीएमयू में किया था। इस निधि से किए गए ऑपरेशन का विवरण डॉ शिव राजन ने जल्द ही में टोक्यो और जापान में संपन विश्वस्तरीय Conference of diseases of Esophagus में कर के केजीएमयू का नाम ऊंचा किया। पहली बार भारत में इस ऑपरेशन में खाने के रास्ते को दूरबीन द्वारा छाती में ही जोड़ दिया गया।
इस जटिल सफल सर्जरी को लेकर केजीएमयू कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (डा) बिपिन पुरी ने डा शिवराजन की भूरी भूरी प्रशंसा की एवं उन्हें एवं टीम को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी ।