पीलीभीत (मानवी मीडिया) अक्टूबर के महीने में उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में हुई कई दिनों की मूसलधार बारिश ने किसानों की धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया था. कुदरत की मार झेल चुके किसानों को अब सिस्टम की मार भी झेलनी पड़ रही है. बारिश से हुए नुकसान के बाद बचे धान को बेच कर किसान गेहूं व अन्य फसलों की बुवाई की तैयारी कर रहे हैं तो उन्हें खाद के संकट से जूझना पड़ रहा है. ऐसे में किसान खुले बाजार से महंगे में खाद खरीदने को मजबूर हैं.
पीलीभीत के ग्रामीण अंचल से खाद खरीदने के लिए मंडी समिति स्थित इफको किसान सेवा केंद्र आए कृष्ण कुमार ने बताया कि वो काफी दिन से खाद खरीदने के लिए यहां का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन पिछले सात बार से उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है. ऐसे में सरसों की फसल बोने में काफी मुश्किल हो रही है. वहीं, खाद लेने के लिए केंद्र आए नेमचंद कहते हैं कि खाद खरीदने के लिए 30 किलोमीटर दूर से आए हैं, लेकिन यहां खाद उपलब्ध नहीं है. अब बिना खाद लिए ही खाली हाथ गांव लौटना पड़ेगा
DAP को देते हैं प्राथमिकता
दरअसल किसान एनपीके के मुकाबले डीएपी को अधिक प्राथमिकता इसलिए देते हैं क्योंकि, इसकी कीमत एनपीके से कम होती है. वहीं, एनपीके के साथ यूरिया भी मिलाना होता है. जबकि डीएपी में किसी भी प्रकार के मिश्रण की आवश्यकता नहीं होती.
विभाग का संकट से इनकार
पीलीभीत जिले में लगभग 1.40 हजार हेक्टेयर भूमि में गेहूं की बुवाई होनी है इसीलिए खाद की मांग काफी ज्यादा है. जिले में 15,650 मीट्रिक टन डीएपी की आवश्यकता है, लेकिन उपलब्धता महज 5,767 मीट्रिक टन है. ऐसे में अधिकारी खाद की कमी तो स्वीकार रहे हैं, लेकिन किसी भी प्रकार के संकट से इनकार कर रहे हैं. अधिकारियों का दावा है कि खाद की बड़ी खेप पीलीभीत पहुंच चुकी है. जल्द ही किसानों को मांग के अनुसार खाद उपलब्ध होने की उम्मीद है