उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा था कि इस समय अदालतों में लगभग 5 करोड़ मामले लंबित हैं। इसका अर्थ है कि लगभग 20 करोड़ लोग प्रभावित हैं, यह अमेरिका की आबादी के करीब है। इसलिए मामलों को निपटाने के लिए न्यायाधीशों की संख्या दोगुनी की जानी चाहिए। हालांकि पीठ याचिकाकर्ता के दलीलों से संतुष्ट नहीं हुई। पीठ ने कहा, न्यायाधीशों की संख्या दोगुनी करना समाधान नहीं है। हर बुराई को देखने का मतलब यह नहीं है कि जनहित याचिका दायर की जानी चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश ने उपाध्याय से कहा न्यायाधीशों को मौजूदा रिक्त स्थानों को भरना कितना मुश्किल है, और कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 160 सीटों को भरने में कठिनाई आ रही और याचिकाकर्ता 320 की मांग कर रहा है।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा: क्या आप बॉम्बे हाईकोर्ट गए हैं? वहां एक भी नए जज को नहीं जोड़ा जा सकता है क्योंकि कोई बुनियादी ढांचा नहीं है। अधिक जजों की नियुक्ति समस्या का समाधान नहीं है।
अदालत की टिप्पणी के बाद उपाध्याय अपनी याचिका वापस ले ली। पीठ ने कहा कि याचिका को वापस ले लिया गया मान कर खारिज कर दिया गया और याचिकाकर्ता को कुछ शोध करने के बाद नई याचिका दायर करने की छूट दी गई।