इसी क्रम में बच्चों ने बाल दिवस के अवसर पर अपने बाल मन से ईमानदारी से स्वीकार किया कि उन्होंने अपने आस-पड़ोस तथा घर में पान गुटखा , मीठी सुपारी कभी ना कभी खाई है और वह अक्सर मीठी सुपारी खाते हैं लेकिन संकल्प रूपी शपथ को लेने के बाद अब भविष्य में मीठी सुपारी भी नहीं खाएंगे। हाईस्कूल व इंटर कॉलेज के स्तर पर संकल्प के दौरान बच्चों ने भविष्य में नशा न करने का संकल्प तो लिया ही, वही डिग्री कॉलेज के लगभग 80% बच्चों ने स्वीकार किया कि वह किसी ना किसी नशे को विभिन्न परिस्थितियों में करने की इच्छा रखते हैं, परंतु इस जागरूकता अभियान से जुड़कर अब वह नशे को हमेशा के लिए ना कह देने को दृढ़ प्रतिज्ञ हुए हैं।
निश्चित रूप से समाज में रंगरूप ,जाति ,धर्म ,अमीर और गरीब की विविधता पाई जाती है, परंतु इसके बावजूद ईमानदारी और सच्चाई रखने वाला मन सिर्फ बाल मन ही होता है। इसी के तहत प्राथमिक विद्यालय माती सरोजनी नगर लखनऊ में पढ़ने वाला सात वर्ष का छोटा बच्चा आर्यन नशे से इतनी नफरत करता है कि अक्सर नशे से धुत पिता द्वारा पीटे जानें पर दुखी अपनी मां के आंसुओं को ताकत से नहीं रोक सकता, परंतु विरोध स्वरूप वह कई महीनों तक अपने पिता से बात नहीं करता है। इस बात का खुलासा खुद उसने आज के संकल्प के दौरान किया ।उसने कहा कि मुझे पिताजी पसंद नहीं है क्योंकि वह नशा करते हैं और फिर मम्मी को मारते हैं, वह मुझे अच्छे नहीं लगते इसलिए मैं उनसे बात नहीं करता। बच्चे का संकल्प और नशे के प्रति नफरत शायद उसके पिता को कभी ना कभी सही रास्ते पर ला सकें।करोड़ों बच्चों के द्वारा इमानदारी से ली गई इस शपथ ने जहां एक तरफ बाल दिवस के अवसर पर नशा मुक्त अभियान की शपथ को त्यौहार के रूप में मनाया और उत्साह पूर्वक नशे को हिंदुस्तान से हटाने में अपना भरपूर योगदान देने की बात कही।
बच्चों ने सरल मन और सहृदयता से इस बात को स्वीकार किया कि नशे की वजह से उनके घर परिवार , रिश्तेदारो और समाज में अक्सर लड़ाई ,मारपीट और ऐसी परिस्थितियां पैदा होती है जिससे वह सहम जाते हैं। काश! उन्हें नशा किए हुए व्यक्तियों का सामना कभी न करना पड़े, ऐसी इच्छा अनेक बच्चों ने जाहिर की।
निश्चित रूप से हमने होली, दीपावली, ईद –बकरीद, क्रिसमस, लोहड़ी , रक्षाबंधन तथा भारत की सभ्यता और संस्कृति में बहुत त्यौहार मनाए होंगे पर आज नशा मुक्त अभियान आंदोलन कौशल का... के तहत ली जाने वाली शपथ से जुड़कर बच्चों ने इसे त्यौहार का रंग दिया है। बच्चों की जागरूकता नि:संदेह भारत को सुनहरे भविष्य की तरफ ले जाएगा और संभव है आने वाले वर्षों में हिंदुस्तान नशा मुक्त बनेगा।
आओ हम सब भी मिलकर यह संकल्प लें देश के करोड़ों बच्चों को सुरक्षा प्रदान करेंगे, अपने परिवार ,अपने आस-पड़ोस ,अपने मोहल्ले ,गांव समाज तथा देश को नशा मुक्त बनाएंगे ।यदि नशे के खरीदार ही नहीं रहेंगे तो नशे की दुकानें खुद ही बंद हो जाएंगी।
*माप प्रतिष्ठा है नहीं, जर्दा गुटखा पान*।
*युवावर्ग सद्मार्ग हो, सदा रहे यह भान*॥
*नशेबाज कहते सभी, बच्चों को सुन आती लाज*।
*बीवी-बच्चे हो रहे, रोटी को मोहताज*॥
आइए मिलकर देश बचाएं हिंदुस्तान नशा मुक्त बनाएं