दरअसल, कंपनी की बिगड़ती आर्थिक स्थिति को देखते हुए निवेशकों ने मैनेजमेंट पर अपना दबाव बढ़ाया था कि वो ज्यादा कठिन फैसले लेने शुरू करें। दबाव की अहम वजह रियल्टी लैब डिविजन है दरअसल मेटावर्स जुकरबर्ग का सपना है हालांकि इसमें कंपनी का निवेश इतना बढ़ गया है कि कंपनी का मुनाफा लगातार गिर रहा है। यही वजह है कि कंपनी लागत घटाने पर मजबूर हो गई है।
इन आंकड़ों से समझिए…
– मेटा के नुकसान कि वजह रियल्टी लैब डिविजन है। इसका तीसरी तिमाही में घाटा 3.7 अरब डॉलर रहा है, जो कि दूसरी तिमाही के 2.8 अरब डॉलर से कहीं ज्यादा है।
– मेटा के सितंबर तिमाही के मुनाफे में तेज गिरावट दर्ज हुई है। कंपनी की नेट इनकम तीसरी तिमाही में 4.395 अरब डॉलर रही है जो कि पिछले साल की इसी तिमाही में 9.194 अरब डॉलर स्तर पर थी।
कंपनी की नेट इनकम में लगातार गिरावट का रुख है। पिछले साल की चौथी तिमाही में नेट इनकम 10 अरब डॉलर के ऊपर थी। साल की पहली तिमाही में ये आंकड़ा 7.4 अरब डॉलर और दूसरी तिमाही में 6.68 अरब डॉलर के स्तर पर था।
– मेटा के खर्च में उछाल जारी है , कंपनी का कैपिटल एक्सपेंडिचर तीसरी तिमाही में 9 अरब डॉलर को पार कर गया है जो कि एक साल पहले 4.5 अरब डॉलर था। घाटे वाली रियल्टी लैब में निवेश बढ़ाने की मार्क जुकरबर्ग की योजना से मेटा का शेयर टूटा है। साल 2022 में शेयर 60 प्रतिशत नीचे आ चुका है।