लखनऊ (मानवी मीडिया) 200 एमएल वाली पानी की बोतलें शादी समारोहों व अन्य कार्यक्रमों में इस्तेमाल नहीं की जा सकेंगी। नगर आयुक्त ने गेस्ट हाउस, बैंक्वेट हॉल, शादीघरों, टेंट हाउस और खान-पान की सभी सेवाप्रदाता इकाइयों को इनका इस्तेमाल नहीं करने के लिए सार्वजनिक नोटिस जारी किया है। हालांकि, इसकी खरीद-बिक्री रोकने को लेकर नगर निगम ने कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है। ऐसे में पाबंदी का असर होगा या नहीं, इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं। सिंगल यूज पॉलिथीन के इस्तेमाल पर नगर निगम समेत 12 विभाग मिलकर भी पाबंदी नहीं लगा पाए।नगर आयुक्त की ओर से तीन नवंबर को प्रकाशित की गई सार्वजनिक नोटिस में पर्यावरण, वन और जलवायु मंत्रालय भारत सरकार की ओर से 12 अगस्त 2021 को जारी अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा गया है कि निकाय में पंजीकृत बैंक्वेट हॉल, टेंट हाउस, शादीघर, टेंट हाउस और खान-पान सेवा प्रदाता सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं कर सकते। उन्हें स्वच्छ भारत मिशन की दिशा निर्देशिका-2023 में तय किए गए 3-आर यानी रिड्यूस, रीयूज और रिसाइकिल के मानकों का पालन करना होगा। सिंगल यूज प्लास्टिक का कतई इस्तेमाल न हो, इसे उन्हें सुनिश्चित करना होगा। कूड़े का निस्तारण भी आयोजन स्थल पर ही करना होगा। शहर में करीब 500 बैंक्वेट हॉल-शादीघर हैं।
पांच हजार रुपये जुर्माना, तीन महीने की सजा
नगर निगम के पर्यावरण अभियंता संजीव प्रधान का कहना है कि यदि कोई बैंक्वेट हॉल, शादीघर या खानपान सेवा प्रदाता 200 एमएल पानी की बोतल का उपयोग करते हुए पकड़ा गया तो उस पर कम से कम पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। कानूनी कार्रवाई के तहत तीन महीने की सजा हो सकती है।
कचरा नगर निगम को दें
नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह का कहना है कि जहां पर लोग पानी की बोतल का उपयोग करते हैं वे निस्तारण के लिए उसे नगर निगम को दें या अधिकृत रिसाइकिल करने वाली एजेंसी को। इसे नोटिस की बजाय अपील कहें तो ठीक होगा। इसमें कहा गया है कि बोतलों को इधर उधर न फेंकें। प्लास्टिक कचरे को अलग रखें। प्लास्टिक सड़ती नहीं है। ऐसे में यदि इधर उधर फेंकी जाएगी तो पर्यावरण को नुकसान होगा। प्लास्टिक बोतल की जगह लोग स्टील की बोतल, कांच के गिलास, वुडनग्लास व अच्छे पेपर के ग्लास भी उपयोग कर सकते हैं।
इस पर नहीं है रोक
पानी का जार, प्लास्टिक पैकेजिंग मैटेरियल (50 माइक्रॉन से अधिक मोटाई), खाद्य व पेय पदार्थों की पैकेजिंग, दूध, दही, चिप्स व बिस्किट केपैकेट, पौधरोपण व कम्पोस्ट बैग, मल्टीलेयर पैकेजिंग, घरेलू उपयोग वाले प्लास्टिक सामान और दवाइयों की पैकेजिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक।
सवाल इसलिए भी उठ रहे...आधा व एक लीटर की पानी की बोतलों पर क्या करेंगे, कुछ स्पष्ट नहीं
नोटिस में आधा और एक लीटर पानी की बोतलों को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं कहा गया है। क्या इनपर भी कार्रवाई होगी, इस सवाल पर पर्यावरण अभियंता संजीव प्रधान का कहना है कि सभी तरह की सिंगल यूज प्लास्टिक वाली पानी की बोतलें बंद होनी हैं। आयोजनोंं में छोटी बोतलों का उपयोग ही बड़ी तादाद में होता है, ऐसे में पहले उसपर ही पाबंदी लगाई जा रही है। बड़ी बोतलों को लेकर कंपनियों से कहा जाएगा कि वे इनके निस्तारण केइंतजाम करें। हालांकि, शहर के आंकड़े बताते हैं कि आधा लीटर वाली पानी की बोतल की सबसे ज्यादा खपत होती है।
सिर्फ नोटिस से कैसे लगेगी रोक
पाबंदी पर अमल कैसे होगा, इसपर संजीव प्रधान का कहना है कि अभी नोटिस का प्रकाशन किया गया है। बैन पर अमल कराने के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाई जाएगी। क्या कोई टीम गठित की गई है, इस सवाल पर उनका कहना है कि जोनल सिनेटरी अधिकारी यह काम करेंगे। शासनादेश में उनको जिम्मेदारी दी गई है। केंद्र और प्रदेश सरकार केआदेश के तहत पर्यावरण को लेकर सिंगल यूज प्लास्टिक को रोका जाना है। इनका उपयोग बंद करने के लिए अभी नोटिस जारी कर सबको सचेत किया गया है। अगले चरण में कार्रवाई की जाएगी। कार्रवाई में जुर्माना और सजा दोनों का प्रावधान है।
प्रदेश में 01 जुलाई से इन पर है पूर्ण प्रतिबंध
प्लास्टिक वाली ईयर बड्स, गुब्बारों में लगीं प्लास्टिक की डंडियां, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम की डंडियांे, थर्मोकोल के सजावटी समान, प्लास्टिक की प्लेट-कप, गिलास, कांटे, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे, मिठाई के डिब्बे, निमंत्रण पत्र और सिगरेट की डिब्बी पर लपेटी जाने वाली पन्नी, 100 माइक्रॉन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक या पीवीसी के बैनर व स्टिकर का इस्तेमाल प्रदेश में बीती 1 जुलाई से ही प्रतिबंधित है।
आंकड़ों में बोतलबंद पानी का कारोबार