प्रवक्ता ने उत्तर प्रदेश भूलेख की वेबसाइट का हवाला देते हुए कहा कि 1,467 दुश्मन की संपत्तियों पर माफिया और अन्य ने कब्जा कर लिया है, जबकि लगभग 369 पर सह-अधिकारियों का कब्जा है।
वहीं 424 संपत्तियों पर किराएदारों का कब्जा है, जिन्हें कांग्रेस, जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी (सपा) सरकारों के कार्यकाल के दौरान मामूली दरों पर किराए पर परिसर दिया गया था।
शत्रु संपत्तियों का सर्वाधिक अवैध कब्जा शामली जिले में है।
सह-अधिकारियों के कब्जे के मामले में लखनऊ पहले स्थान पर है। राज्य की राजधानी में भी किरायेदारों के कब्जे में सबसे ज्यादा संपत्तियां हैं। सरकार किराए की शत्रु संपत्तियों का पुनर्मूल्यांकन करने की भी योजना बना रही है। दशकों से इन पर कब्जा करने वाले किरायेदार अब तक मामूली किराया दे रहे हैं। ऐसी शत्रु संपत्तियों का मूल्यांकन वर्तमान बाजार दर के अनुसार किया जाएगा और किराए की उचित दर तय की जाएगी।