नई दिल्ली (मानवी मीडिया) वैश्विक स्तर पर तमाम अर्थशास्त्री कह रहे हैं कि दुनिया मंदी की चपेट में जा रही है। इस माहौल के बीच देश की इकोनॉमी से जुड़ी एक बुरी खबर आई है। दरअसल, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने देश की जीडीपी ग्रोथ अनुमान पर कैंची चलाते हुए 7 फीसदी से नीचे रख दिया है। IMF ने भारत के आर्थिक विकास के अनुमान को 6.8% किया है, जबकि जुलाई में अनुमान 7.4% का था। इस लिहाज से 0.6 फीसदी की कटौती की गई है।
सामने हैं कई चुनौतियां: IMF के मुताबिक वैश्विक अर्थव्यवस्था को मुद्रास्फीति, फाइनेंशियल क्राइसिस के अलावा रूस- यूक्रेन जंग की वजह से बिगड़े हालात ने परेशानी बढ़ा दी है। इसके अलावा COVID-19 महामारी की चुनौतियां अब भी खत्म नहीं हुई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिक एनर्जी और खाद्य कीमतों के झटके से मुद्रास्फीति लंबे समय तक बनी रह सकती है।
IMF के मुताबिक ऋण संकट चिंता का विषय है। इसके साथ ही IMF ने आगाह किया कि केंद्रीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति, मुद्रास्फीति को कम करने के लिए सही रुख का गलत आकलन कर सकती है।
बता दें कि पिछले हफ्ते विश्व बैंक ने 2022-23 के लिए भारत के विकास के अनुमान को घटाकर 6.5% कर दिया, जबकि एशियाई विकास बैंक और रिजर्व बैंक ने अनुमान को घटाकर 7% कर दिया।
2023 के लिए क्या है अनुमान: वहीं, विकास पूर्वानुमान में गिरावट के बावजूद भारत 2022 और 2023 में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना रहेगा। आईएमएफ के मुताबिक 2023 में भारत का जीडीपी ग्रोथ अनुमान 6.1% रहेगा।
यह चालू वित्त वर्ष के मुकाबले कम है लेकिन ग्लोबली सबसे ज्यादा है। चीन के ग्रोथ की बात करें तो 2022 में 3.2% और 2023 में 4.4% तक रहने का अनुमान है।