इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान की विभिन्न हाल में सुबह से कुल छह तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया। प्रथम और द्वितिय सत्र पूरी तरीके से इंजीनियरग छात्रों एवं तकनीकी विद्वानों द्वारा प्रस्तुत किया गया , जिसमें विभिन्न नई तकनीकों से सड़क निर्माण के बारे में चर्चा की गई। साथ ही विभिन्न सड़क निर्माण में प्रयुक्त सामग्री व ग्रामीण मार्ग निर्माण पर चर्चा हुई। अन्य सत्र तकनीकी में आधुनिकीकरण पर आधारित रहे।
देश विदेश में उभरते हुए नए सड़क निर्माण से संबंधित एनजीओ व निर्माण कंपनियों द्वारा सड़क निर्माण सड़क सुरक्षा पुल निर्माण हेतु प्रयुक्त कंक्रीट तकनीक पर भी एक सत्र में चर्चा हुई।
शनिवार को प्रदीप अग्रवाल, डायरेक्टरर एनआर आईडीए ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क परियोजना के तहत बनाई गईं सड़कों की निगरानी के लिए कंप्लीरट आईटी सॉल्यूचशन की प्रस्तुाति की। उन्हों़ने देश में बन चुकी ग्रामीण सड़कों के रखरखाव की निगरानी के लिए ई-गवर्नेंस पर आधारित ई-मार्ग को बेहद उपयोगी बताया। श्री अग्रवाल ने व्यााख्याकन में बताया कि ई-मार्ग के इस्तेकमाल से सड़कों के रखरखाव खर्च में जहां काफी कमी आई वहीं, उनकी गुणवत्ताइ में भी काफी सुधार देखने को मिला।
प्रदेश में एफडीआर यानी फुल डेफ्थ् रेक्लेमेशन तकनीक की मदद से पायलट प्रोजेक्टा के तहत 100 किमी सड़कों को सस्तीद लागत और कम रखरखाव पर बनाया गया। व्यााख्यामताकारों ने ऐसी सड़क बनाने पर जोर दिया, जिनकी निर्माण लागत कम और रखरखाव खर्च भी कम हो। वक्ता़ओं ने विदेशी तकनीकों की बजाय स्व देशी तकनीकों के इस्ते माल करने पर बल दिया। महाराष्र्ाओ के अमरावती में बेहद भीड़भाड़ वाली सड़क पर महज दो दिन में रेडीमेड ब्लॉदक तकनीक की मदद से सड़क बनाकर गुणवत्ताा प्रधान सड़क बनाने का उदाहरण पीएल बोनगिरवार ने किया। डॉ सुदर्शन बोबडे,एचओडी, सिविल इंजीनियर पुणे ने महाराष्र्ोन में घाटीय इलाकों में होने वाले भूस्खरलन से होने वाले नुकसान से बचाने में एच और वाय ब्लॉरक तकनीक पर विचार रखे। उन्होंनने सड़क हादसों से बचाने के सस्तीे प्रणालियों का जिक्र किया।
केरल से आईं मिसेज सुमी सेबास्टियन, सीनीयर साइंटिफिक अफसर ने जिओ टैक्सनटाइल्स तकनीक से कम लागत में पर्यावरण के अनुकूल सड़के बनाने का प्रोजेक्टे पेश किया। इसमें बहुतायत से पैदा होने वाले नारियल की जटा से बनी रस्सियों का इस्तेनमाल टिकाऊ सड़कों के निर्माण में किया गया।
पहले दिन प्रमुख रूप से डॉ आशीष कुमार गोयल, एडिशनल सेक्रेटरी, डीजी, एनआरआईडीए, मनोज कुमार सिंह, एडिशनल चीफ सेक्रेटरी,ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज उप्र, एके प्रधान, विशेष सचिव, ग्रामीण विकास मंत्रालय, उड़ीसा , डॉ मनोज शुक्लाड, सीनीयर प्रिंसिपल साइंटिस्टड सीआरआरआई, वीके चौधरी , सुपरिटेंडेंट इंजीनीयर हिमाचल प्रदेश, एसएसवी रमाकुमार, डायरेक्टषर, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, सीए अय्यादुरई, सहायक निदेशक, एचआरएस चैन्ने ने अपनी प्रस्तुूतियां दीं।