नई दिल्ली (मानवी मीडिया) कनाडा में छह नवंबर को प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' द्वारा किए जाने वाले खालिस्तान जनमत संग्रह को लेकर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में चिंताओं को दोहराते हुए कहा कि नई दिल्ली इस तरह के कदमों को रोकने के लिए ओटावा पर दबाव डालना जारी रखेगा। माना जा रहा है कि इससे दोनों देशों के बीच टेंशन और बढ़ सकती है।
हाल ही में ओटावा में इंडियन हाई कमिशन ने सिख फॉर जस्टिस द्वारा आयोजित किए जाने वाले जनमत संग्रह के संबंध में कनाडा के विदेश मंत्रालय को राजनयिक स्तर पर विरोध जारी जताया था। इस साल 18 सितंबर को ब्रैम्पटन में भी इस संगठन ने ऐसा ही जनमत संग्रह किया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक सवाल के जवाब में प्रेस ब्रीफिंग में बताया, ''यह उस जनमत संग्रह का दूसरा भाग है। मुझे लगता है कि भारत के विरोधी तत्वों द्वारा किए जाने वाले इस तथाकथित जनमत संग्रह को लेकर हमारा रुख सबको पता है।''
बागची ने आगे कहा कि भारत की चिंताओं से कनाडा सरकार को अवगत करा दिया गया है। उन्होंने कहा, ''हमने इस जानकारी को पहले सार्वजनिक रूप से साझा किया है। हमने कनाडा और कनाडा में इस तथाकथित जनमत संग्रह के अगले फेज के बारे में कनाडा के अधिकारियों के साथ अपनी चिंताओं को यहां दिल्ली में कनाडा के उच्चायोग के साथ उठाया है। उन्होंने कहा, "हम इन मुद्दों को नई दिल्ली और ओटावा और अन्य जगहों पर उठाना जारी रखेंगे।"
भारत ने कनाडा के सामने जताई है चिंता
मालूम हो कि SFJ द्वारा तथाकथित जनमत संग्रह और अन्य गतिविधियां भारत-कनाडा के संबंधों में एक प्रमुख अड़चन के रूप में उभरी हैं। इससे विभिन्न मुद्दों पर मतभेद भी हुए हैं। भारतीय पक्ष ने हाल ही में कनाडा में खालिस्तान समर्थकों की पिछली गतिविधियों का जिक्र किया था, जिसमें 1985 में एयर इंडिया के एक उड़ान में बम की घटना भी शामिल थी, जिसमें 268 कनाडाई नागरिकों सहित 329 लोगों की मौत हो गई थी। इसका जिक्र इसलिए किया गया ताकि चिंताओं को उजागर किया जा सके।
वहीं, सितंबर में हुए जनमत संग्रह के बाद, भारत ने कनाडा के लिए एक यात्रा सलाह जारी की थी और कहा था कि कनाडा में भारत विरोधी घटनाओं और हेट क्राइम में बढ़ोतरी हुई है। कनाडाई पक्ष ने कथित तौर पर भारतीय पक्ष को जवाब दिया है कि वह इस तरह के आयोजनों के आयोजकों के खिलाफ तब तक ऐक्शन नहीं ले सकते, जब तक वे कानून नहीं तोड़ते हैं।