यह बात इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (आईआईटी) चेन्नई द्वारा कराए गए व्यापक प्रक्रिया मूल्यांकन सर्वे में सामने आई है। आईआईटी चेन्नई ने यह सर्वे उत्तर प्रदेश के आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना के चार हजार लाभार्थी परिवारों के बीच किया है। सर्वे के मुताबिक 83 प्रतिशत पात्र परिवारों को योजना की अच्छी जानकारी है। इसके अलावा 80 फीसदी लोग योजना के तहत मिलने वाले पांच लाख रुपए के इलाज के बारे में जानते हैं।
आईआईटी चेन्नई के अधीन सर्वे करने वाले इंस्टीटयूट ऑफ़ रूरल मैनेजमेंट आनन्द के डायरेक्टर डॉ. उमाकांत दास ने बताया कि 75 फीसदी से अधिक लोगों को कैशलेस सुविधा के बारे में जानकारी है। अच्छी बात यह है कि लाभ पाने वाले 80 प्रतिशत लोग योजना की प्रक्रिया से पूरी तरह संतुष्ट हैं। हालांकि ज्यादातर लाभार्थी प्राइवेट अस्पतालों में मिली सुविधाओं से ज्यादा संतुष्ट दिखे।
उन्होंने बताया कि योजना का लाभ पाने के लिए नामांकन कहां कराया जाए, इस बारे में 84 फीसदी लोग परिचित हैं। सर्वे में लाभार्थी सशक्तिकरण, आपूर्ति को और मजबूत करने और प्रशासनिक क्षमता को और मजबूत करने की सिफारिश की गई है।
इस संबंध में स्टेट हेल्थ एजेंसी साचीज की सीईओ संगीता सिंह ने कहा कि सर्वे की रिपोर्ट उत्साहवर्धक है। बीते चार सालों में हम योजना को पात्र लोगों के बीच पहुंचा पाए। कोशिश रहेगी कि जो खाने खाली हैं उन्हें अब भर दिया जाए। सर्वे की सिफारिशों पर काम किया जाएगा।
आंकड़ों में आयुष्मान भारत योजना
2.16 करोड़ आयुष्मान कार्ड बने
92.1% आधार के साथ सत्यापित लाभार्थी
1111 आबद्ध सरकारी चिकित्सालय
2045 आबद्ध प्राइवेट चिकित्सालय
15.18 लाख को मिला मुफ्त इलाज
1743.3 करोड़ इलाज पर किया गया भुगतान
91% कुल दावों का निस्तारण
736.16 करोड़ का भुगतान टर्शरी केयर ट्रीटमेंट पर
296 करोड़ अन्य राज्यों में यूपी के लाभर्थियों के इलाज पर भुगतान