केंद्र के निर्देश के बाद ऐसे लोगों को स्कीम की राशि का भुगतान रोक दिया गया है, जिनकी जमीन के कागजात अपडेट नहीं हैं। अब तक की स्कैनिंग में कुल 11 लाख 20 हजार 323 लोग ऐसे पाये गये हैं, जिन्होंने तीन साल में भी जमीन के कागजात जमा नहीं किये हैं। इसके अलावा 4.07 लाख किसान ऐसे हैं, जिन्होंने केवाईसी अपडेट नहीं किया है। इस तरह कुल 15 लाख 27 हजार किसान जांच के दायरे में हैं।
राज्य में वर्ष 2019 के मई में कुल 30 लाख 97 हजार 746 किसानों ने इस स्कीम के तहत रजिस्ट्रेशन कराया था। इन्हें चार से छह किस्तों की राशि का भुगतान भी कर दिया गया। अब इनमें से कुल 15 लाख 27 हजार लोगों के अकाउंट में स्कीम की राशि भेजने पर रोक लगा दी गई है। सबसे बड़े फर्जीवाड़े की आशंका देवघर जिले में है। यहां के 61442 किसानों की जमीन के कागजात उपलब्ध नहीं हो सके हैं। इसी तरह पलामू जिले में 36536, गोड्डा में 32662, चतरा में 29551, गिरिडीह में 27215, हजारीबाग में 25574 और रांची में 21973 किसान ऐसे हैं, जिनकी जमीन का सही-सही ब्योरा उपलब्ध नहीं कराया जा सका है। बाकी जिलों में बगैर सही कागजात के लाभ लेने वालों की बड़ी संख्या है।
कई जिलों में गलत तरीके से भुगतान लेने वालों को नोटिस भी जारी किया गया है। पैन एवं आधार कार्ड के जरिये ऐसे किसानों की पहचान की जा रही है। जो किसान केवाईसी अपडेट करा लेंगे, उन्हें स्कीम का लाभ आगे दिया जा सकेगा। गौरतलब है कि पूरे देश में किसानों को मिलने वाली सहायता के नाम 4352 करोड़ रुपये से अधिक की रकम अवैध रूप से निकासी हुई है। बीते 22 मार्च तक अपात्र किसानों से सरकार महज 296.67 करोड़ रुपये ही वसूल पाई थी।
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