अटल जी प्राणी मात्र के प्रति संवेदनशील तथा मानवता से ओतप्रोत थे -उच्च शिक्षा मंत्री योगेनद्र उपाध्याय - मानवी मीडिया

निष्पक्ष एवं निर्भीक

.

Breaking

Post Top Ad

Post Top Ad

Saturday, September 24, 2022

अटल जी प्राणी मात्र के प्रति संवेदनशील तथा मानवता से ओतप्रोत थे -उच्च शिक्षा मंत्री योगेनद्र उपाध्याय

लखनऊः (मानवी मीडिया)उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा, विज्ञान प्रौद्योगिकी, सूचना एवं इलेक्ट्रानिक मंत्री  योगेन्द्र उपाध्याय ने कहा कि अटल जी का व्यक्तित्व वैश्विक था और वे वास्तव में विश्व राजनीति की अमूल्य धरोहर है। उनका समावेशी जीवन दर्शन अनुकरणीय था और वे  सच्चे अर्थों में दीन दयाल उपाध्याय जी की विचारधारा के पोषक थे। वे एक कुशल वक्ता एवं राष्ट्र के लिए समर्पित व्यक्ति थे। कहा कि अटल जी प्राणी मात्र के प्रति संवेदनशील तथा मानवता से ओतप्रोत थे। उन्होंने अटल जी से सम्बन्धित कई संस्मरण सुनाये और उनका बोध की कराया।

उच्च शिक्षा मंत्री  योगेन्द्र उपाध्याय ने आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अलीगंज में “भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेईः मानवता, राष्ट्रवाद एवं राजनीति के कालजई अग्रदूत” विषयक आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहें थे। इस संगोष्ठी का आयोजन महाविद्यालय के रजत जयंती समारोह के उपलक्ष्य में साप्ताहिक श्रृंखला के अन्तर्गत भाऊराउ देवरस सेवा न्यास के संयुक्त तत्वावधान में किया गया ।

उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा की अटल जी हिन्दुत्व के लिए जिये। वें अजातशत्रु थे। उनके अंदर समन्वय करने की अद्भुत क्षमता थी। उनके विचार पहले भी प्रासंगिक थे और आज भी प्रासंगिक हैं।वास्तव में अटल जी और उनके विचार कालजयी हैं।

 लखनऊ विवि के कुलपति प्रो आलोक कुमार राय ने संगोष्ठी को बतौर विशिष्ट अतिथि सम्बोधित करते हुये कहा  कि राजधानी का वि0 वि0 अटल जी के सपनों को पूरा कर रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि अटल जी को लखनऊ से विशेष प्रेम था। कहा की सभी शैक्षिणिक संस्थान में बच्चो का सर्वांगीण विकास करना ही शिक्षा का मूल उद्देश्य है। बच्चो को वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप चलने के लिए तैयार करना होगा।

 लखनऊ उत्तर के विधायक डॉ0 नीरज बोरा ने कहा कि अटल जी मानवता करुणा और प्रेम के संवाहक थे। लखनऊ के साथ उनका अटूट भावनात्मक लगाव था और इस महाविद्यालय के माध्यम से क्षेत्र की बालिकाओं की निरंतर प्रगति एवं नित नई ऊंचाइयां प्राप्त करना उनका स्वप्न था। नालन्दा विवि में संस्कृत के विभागाध्यक्ष तथा भाऊराउ देवरस न्यास से जुड़े प्रोफेसर विजय कर्ण ने बताया कि अटल जी न्यास के पहले और संस्थापक अध्यक्ष थे। उनके अंदर सेवा भाव भरा हुआ था। इग्नु की क्षेत्रीय निदेशक प्रोफेसर मनोरमा सिंह ने भी अटल को विराट व्यक्ति बताते हुये कहा कि उनकी समावेशी राजनीति और समाज के प्रति उनकी करुणा सदैव अनुकरणीय रहेगी।

प्राचार्य प्रोफेसर अनुराधा तिवारी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया तथा कहा कि 99 छात्राओं से शुरू हुआ ये महाविद्यालय वर्तमान में 2500 छात्राओं का विद्यालय, है। जहां समाज के सभी वर्गों की छात्राएँ पढ रही हैं। विज्ञान वाणिज्य और कला में स्नातक तथा पाँच विषयों में स्नातकोत्तर कक्षाएँ तथा नैक द्वारा दो बार बी ग्रेड मिलना इसकी पच्चीस साल की  उपलब्धियों का साक्षी है।  उन्होंने कहा  कि अटल जी ने इस महाविद्यालय के लिए जो स्वप्न देखा था उसे पूरा करने की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ शिक्षकों और छात्राओं की ही नहीं बल्कि समाज की भी है। प्राचार्य ने महाविद्यालय के पच्चीस वर्ष पूर्व हुए कालेज के उद्घाटन के उन पलों को भी याद किया जब उनकी अटल जी से इसी महाविद्यालय में स्नेहिल भेंट हुई थी।गोष्ठी के संयोजक डाक्टर राजीव यादव ने गोष्ठी की थीम प्रस्तुत करते हुए कहा कि अटल का मतलब देश के लिए अपरिहार्य होना है। आयोजन सचिव डाक्टर जय प्रकाश वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। गोष्ठी का संचालन डाक्टर शालिनी श्रीवास्तव एव डॉ0 श्वेता भारद्वाज ने संयुक्त रूप से किया।

गोष्ठी में देश के विभिन्न भागों से आये शोधार्थियों एवं शिक्षाविदो ने हिस्सा लिया।

मुख्य अतिथि ने इस अवसर पर ई-स्मारिका तथा संस्थागत नवाचार परिषद के समाचार का विमोचन भी किया। इस दौरान उन्होंने आईआईसी की अध्यक्ष डाक्टर पूनम वर्मा के निर्देशन में लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया और बच्चो के ज्ञान व कौशल की सराहना की मुख्य अतिथि द्वारा महाविद्यालय में पिछले पच्चीस वर्षों में सेवारत रहे और वर्तमान में अवकाश प्राप्त प्राचार्यों एवं शिक्षकों का अभिनंदन भी किया गया। महाविद्यालय के कुल गीत ‘ज्ञान की यह भूमि स्वर्ग से भी महान है‘ के रचयिता डॉ0 भास्कर शर्मा एवं रजत जयन्ती का लोगो बनाने वाली पूनम वर्मा को भी सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया मुंबई के आर्थिक एवं नीति अनुसंधान विभाग के निदेशक डॉ0 विनीत  कुमार श्रीवास्तव विशेष तौर पर मौजूद रहे। संगोष्ठी के प्रथम दिवस पर 02 तकनीकी सत्र आयोजित किए गए ।प्रथम तकनीकी सत्र का शीर्षक  ‘भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेई और सामाजिक आर्थिक मानवीय मूल्य‘ था। इस सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर मनोज अग्रवाल विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ ने की तथा उपाध्यक्ष डॉक्टर सनोवर हैदर एसोसिएट प्रोफेसर एमबीपी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय लखनऊ रहीं। इसमें मुख्य वक्ता डॉ विनीत श्रीवास्तव, निदेशक आर्थिक और नीति शोध विभाग रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया रहे। इसी सत्र में विशिष्ट वक्ता डॉ सुभाष मिश्र, एसोसिएट प्रोफेसर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ रहे। इस सत्र में अर्चना सिंह असिस्टेंट प्रोफेसर आरएमपी पीजी कॉलेज सीतापुर ने रिपोर्टर के दायित्व का निर्वहन किया ।सत्र का आयोजन महाविद्यालय की तरफ से डॉ मीनाक्षी शुक्ल एवं डॉ राहुल पटेल ने किया। इस सत्र में कुल 40 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। ‘राष्ट्र की अवधारणा एवं वर्तमान संदर्भ‘ विषयक द्वितीय तकनीकी सत्र प्रोफेसर विजेंद्र पांडे प्रोफेसर, विद्यांत पीजी कॉलेज लखनऊ की अध्यक्षता मे आयोजित हुआ ।उपाध्यक्ष डॉ दीपक कुमार सिंह एसोसिएट प्रोफेसर डीएवी पीजी कॉलेज रहे। सत्र आयोजन  महाविद्यालय की डॉक्टर पूनम वर्मा एवं डॉ अरविंद द्वारा किया गया।

      

Post Top Ad