हाथरस (मानवी मीडिया) हाथरस गैंग रेप पीड़िता के परिजनों को अब राज्य और केंद्र सरकार से कोई आस नहीं है। बिटिया की हत्या के बाद मुआवजे के रूप में केवल 25 लाख रुपया मिला है। इसके अलावा सरकार ने न तो परिवार के किसी सदस्य को सरकारी नौकरी दी है और ना ही सरकारी आवास। सरकार के वादे को पूरा एक साल बीत चुका है। अब बूढ़े मां बाप की आंखें सिर्फ न्याय की तरफ है।
बूलगढ़ी कांड के बाद राज्य सरकार ने पीड़िता के परिवार को मदद का भरोसा दिया था। सरकार ने तमाम वायदे किये थे। लेकिन अब सरकार के वादे खोखले साबित होते नजर आ रहे हैं। सरकार ने पीड़िता के भाई को सरकारी नौकरी, मकान और जमीन समेत कई अन्य आर्थिक मदद करने का वादा किया था, लेकिन कोई भी तक पीड़िता के परिवार को कुछ नहीं मिला है।
पीड़िता के पिता ने बताया कि अभी तक सरकार की तरफ से उन्हें किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली। सिर्फ एससी एसटी एक्ट के तहत उन्हें केवल 25 लाख रूपये की राशि ही मिली है। अब सरकार से ओर से मिलने वाली राशि की आस भी टूटने लगी है। पीड़िता के पिता का कहना है कि उनकी बेटी को न्याय मिलना ही उनके लिये सबसे बड़ी उपलब्धी होगी। उन्होंने चारों आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा की मांग की।
दो साल पहले हाथरस में मानवता हुई थी शर्मसार
हाथरस में आज से दो साल पहले मानवता को शर्मसार करने वाली घटना हुई। जिले के थाना चंदपा क्षेत्र के गांव बूलगढ़ी में 14 सितंबर 2020 को सुबह करीब 9 बजे खेत में काम करने गई एक 19 वर्षीय युवती के साथ गांव के ही चार लोगों ने गैंगरेप किया। 29 सितम्बर को युवती की दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में मौत हो गयी। उसके बाद हाथरस का यह कांड देश भर में छाया रहा। विपक्षियों ने बूलगढ़ी से लेकर संसद और विधानसभा तक हंगामा किया। सीबीआई चार आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल कर चुकी है।